जलवायु संकट में कमाई का मौका: 1 रुपया लगाएं, 10 से ज़्यादा वापस पाएं

अगर हर 1 रुपये के बदले 10 रुपये का लाभ हो क्या आप निवेश नहीं करेंगे?
World Resources Institute (WRI) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, यदि हम आज जलवायु अनुकूलन (Climate Adaptation) में बुद्धिमानी से निवेश करें, तो इससे न केवल आपदाओं से जान-माल की रक्षा होगी, बल्कि आर्थिक और सामाजिक तरक्की भी हासिल होगी।
प्रति डॉलर $10 से अधिक का रिटर्न: जलवायु समाधान है फायदे का सौदा
इस अंतरराष्ट्रीय अध्ययन में 12 देशों के 320 प्रोजेक्ट्स को विश्लेषण में शामिल किया गया। $133 बिलियन (11 लाख करोड़ रुपये) के कुल निवेश से अनुमान है कि अगले 10 वर्षों में $1.4 ट्रिलियन (115 लाख करोड़ रुपये) का लाभ मिल सकता है।
यह मतलब साफ है
हर ₹1 के बदले ₹10 से ज़्यादा का समग्र रिटर्न — सिर्फ पैसों में नहीं, जीवन की गुणवत्ता में भी।
WRI के 'Triple Dividend of Resilience' की संकल्पना
जलवायु अनुकूलन में निवेश तीन मुख्य लाभ देता है:
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आपदा से सुरक्षा: बाढ़, सूखा, लू जैसी प्राकृतिक आपदाओं में जान-माल की रक्षा।
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आर्थिक लाभ: बेहतर कृषि उत्पादन, नए रोजगार, मजबूत स्थानीय अर्थव्यवस्था।
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सामाजिक और पारिस्थितिक सुधार: बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं, पर्यावरण संरक्षण, वंचित वर्गों का सशक्तिकरण।
उदाहरण के तौर पर
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स्वास्थ्य क्षेत्र की योजनाएं (जैसे हीटवेव से सुरक्षा या मच्छरजनित बीमारियों की रोकथाम) 78% से अधिक का रिटर्न दिखा रही हैं।
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आपदा पूर्व चेतावनी प्रणालियाँ (Early Warning Systems) जीवन बचाने के साथ-साथ बुनियादी ढांचे की सुरक्षा में भी कारगर साबित हो रही हैं।
सिर्फ सुरक्षा कवच नहीं, बल्कि विकास का इंजन
युगांडा के वरिष्ठ वित्त अधिकारी और Climate Finance Ministers Coalition के सह-अध्यक्ष सैम मुगूमे कूजो का मानना है:“अब समय है यह समझने का कि जलवायु अनुकूलन सिर्फ़ बचाव नहीं, विकास की गति है — यह टिकाऊ रोज़गार, बेहतर स्वास्थ्य और सुरक्षित भविष्य का द्वार खोल सकता है।”
और भी ज़्यादा लाभ, जो अभी कागज़ों में दर्ज ही नहीं
चौंकाने वाली बात यह है कि अधिकतर योजनाओं के मूल्यांकन में केवल 8% मामलों में ही तीनों स्तर के लाभों (Triple Dividend) को पूरी तरह आर्थिक रूप में आंका गया। यानि असल लाभ अनुमान से कहीं अधिक हो सकता है।
क्या होता है क्लाइमेट एडाप्टेशन?
यह ऐसी योजनाएं हैं जो जलवायु आपदाओं से पहले तैयारी करती हैं और समाज को अधिक लचीला बनाती हैं:
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जलवायु स्मार्ट खेती, जो बदलते मौसम में भी टिकाऊ उपज दे सके।
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शहरी बाढ़ प्रबंधन, जिससे शहर जलजमाव से बचे।
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ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार।
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हीटवेव से बचाने के लिए ठंडी छांव और जल आपूर्ति की व्यवस्था।
इनका असर केवल आपदा के समय नहीं, बल्कि रोज़मर्रा की ज़िंदगी में भी सकारात्मक होता है।
भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है यह रिपोर्ट?
भारत हर साल बाढ़, लू, चक्रवात और सूखे से हजारों जानें और अरबों का आर्थिक नुकसान झेलता है। इस रिपोर्ट के निष्कर्ष नीति निर्माताओं, प्रशासन और कॉरपोरेट जगत को एक स्पष्ट संदेश देते हैं:जलवायु अनुकूलन में निवेश कोई खर्च नहीं, समझदारी भरा आर्थिक अवसर है।
अगर पंचायत स्तर तक ऐसी योजनाएं पहुंचें, तो गांवों में रोज़गार, स्वास्थ्य और आत्मनिर्भरता में क्रांतिकारी सुधार संभव है।
अब क्या करना जरूरी है?
सरकारी योजनाओं में जलवायु अनुकूलन को मुख्यधारा में लाना
फंडिंग को नुकसान रोकने की बजाय लाभ कमाने के नजरिए से देखना
स्थानीय समुदायों को योजना निर्माण में सक्रिय रूप से शामिल करना
डेटा, रिसर्च और प्रभाव मापन की व्यवस्था को मजबूत करना
नीति निर्माताओं के लिए स्पष्ट संदेश:“जलवायु अनुकूलन को अब खर्च नहीं, एक आर्थिक इंजन के रूप में देखिए।”
COP30 के संदर्भ में यह रिपोर्ट एक 'इकोनॉमिक टूलकिट' की तरह है, जो यह दर्शाती है कि जलवायु कार्रवाई केवल कार्बन उत्सर्जन कम करने तक सीमित नहीं, बल्कि इसका संबंध रोज़गार, स्वास्थ्य और स्थानीय विकास से भी है।
अब सवाल ये नहीं है कि 'हम खर्च कर सकते हैं या नहीं'
सवाल है कि क्या हम चुप बैठने का जोखिम उठा सकते हैं?
जैसा कि एक किसान ने कहा था:“तूफान को रोका नहीं जा सकता, लेकिन खेत की मेड़ मजबूत हो, तो नुकसान कम होता है।”
अब समय है मेड़ बाँधने का और इस बार यह मेड़ मिट्टी की नहीं, बल्कि नीतियों की होनी चाहिए।