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अब चेहरा दिखाकर खुद यूएएन बना सकेंगे कर्मचारी

श्रम मंत्री मांडविया ने बिहार के छह जिलों - अररिया, सहरसा, औरंगाबाद, बांका, पूर्वी चंपारण और गोपालगंज - को कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआइसी) के तहत पूर्ण रूप से अधिसूचित करने की भी घोषणा की। इससे जिससे लगभग 24 हजार और बीमित व्यक्ति ईएसआइसी की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के दायरे में आ जाएंगे।केंद्रीय मंत्री ने कहा कि फिलहाल बिहार के कुल 38 में से 27 जिले पूरी तरह से अधिसूचित हैं और 11 जिले आंशिक रूप से अधिसूचित हैं।
छह जिलों के बारे में अधिसूचना जारी होने के बाद यह संख्या बढ़कर 33 हो जाएगी।मांडविया ने कहा कि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने चेहरे के सत्यापन के जरिये यूएएन आवंटित करने और उसे एक्टिव करने के लिए डिजिटल सेवाएं शुरू की हैं। यह ईपीएफओ के करोड़ों सदस्यों के लिए संपर्क-रहित, सुरक्षित और डिजिटल सेवा की दिशा में महत्वपूर्ण है।उन्होंने कहा, कर्मचारी अब 'उमंग' मोबाइल एप की मदद से आधार चेहरा सत्यापन प्रौद्योगिकी (एफएटी) का उपयोग करके सीधे अपना यूएएन जेनरेट कर सकते हैं। कोई भी नियोक्ता किसी भी नए कर्मचारी के लिए आधार एफएटी का उपयोग करके यूएएन बनाने के लिए उमंग एप का इस्तेमाल कर सकता है।
यूएएन जनरेट करने के लिए कर्मचारी को उमंग एप खोलना होगा और चेहरा पहचान के जरिये यूएएन बनाने और एक्टिवेशन के चरणों का पालन करना होगा। चेहरा पहचान के जरिये आधार-आधारित सत्यापन के बाद यूएएन जनरेट हो जाएगा और मोबाइल नंबर पर एसएमएस भेजा जाएगा। यूएएन बनाने के बाद कर्मचारी उमंग एप या सदस्य पोर्टल से यूएएन कार्ड डाउनलोड कर सकता है। चेहरा प्रमाणीकरण का उपयोग करके बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण, ओटीपी-आधारित प्रमाणीकरण जैसे पारंपरिक तरीकों की तुलना में अधिक सुरक्षित है। श्रम मंत्री ने कहा कि जिन सदस्यों के पास पहले से ही यूएएन है,
लेकिन अभी तक इसे एक्टिव नहीं किया है, वे अब आसानी से उमंग एप के माध्यम से अपना यूएएन एक्टिव कर सकते हैं। वित्त वर्ष 2024-25 में ईपीएफओ ने 1.26 करोड़ यूएएन आवंटित किए। हालांकि, इनमें से केवल 44 लाख यूएएन ही सदस्यों द्वारा एक्टिव किए गए थे। मंत्री ने कहा कि आने वाले दिनों में ईपीएफओ पेंशनभोगियों को उनके दरवाजे पर सेवाएं देने के लिए 'माई भारत' के वालंटियरों के सहयोग से चेहरा सत्यापन प्रौद्योगिकी के जरिये 'जीवन प्रमाण' के माध्यम से डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र को भी बढ़ावा देगा।