दिव्यांग सशक्तिकरण: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी मंडल मुख्यालयों पर पुनर्वास केंद्र स्थापित करने के दिए निर्देश

"सेवा, संवेदना और सम्मान" का संकल्प
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार "सेवा, संवेदना और सम्मान" के भाव से दिव्यांगजनों के समग्र सशक्तिकरण के लिए कृतसंकल्पित है। इन केंद्रों के माध्यम से दिव्यांगजन केवल सहानुभूति के पात्र नहीं रहेंगे, बल्कि आत्मनिर्भर और योगदानकारी नागरिक के रूप में समाज की मुख्यधारा में शामिल होंगे।
केंद्रों की स्थापना और सुविधाएँ
वर्तमान में प्रदेश के 37 जिलों में दिव्यांग पुनर्वास केंद्र कार्यरत हैं, जिनमें से 11 मंडल मुख्यालयों पर स्थित हैं। इन सभी केंद्रों को मॉडल केंद्रों के रूप में विकसित किया जाएगा।
नए केंद्रों की स्थापना के लिए निर्देश दिए गए हैं:
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जहाँ मंडल मुख्यालयों पर केंद्र नहीं हैं, वहाँ उन्हें जिला या सरकारी अस्पताल परिसर में स्थापित किया जाएगा।
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यदि अस्पताल परिसर में स्थान उपलब्ध न हो, तो अलग भवन की व्यवस्था की जाएगी।
प्रत्येक केंद्र पर चिकित्सकीय, शैक्षिक, मनोवैज्ञानिक और व्यावसायिक सहायता एक ही स्थान पर उपलब्ध कराई जाएगी, जिसमें शामिल हैं:
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फिजियोथेरेपी और ऑक्यूपेशनल थेरेपी।
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स्पीच थेरेपी और मनोवैज्ञानिक परामर्श।
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ऑर्थोटिक व प्रॉस्थेटिक सेवाएँ (कृत्रिम अंग और सहायक उपकरण)।
प्रशिक्षित स्टाफ और पारदर्शी व्यवस्था
इन केंद्रों की सेवाओं को सशक्त बनाने के लिए प्रशिक्षित स्टाफ की नियुक्ति सुनिश्चित की जाएगी। प्रत्येक केंद्र में फिजियोथेरेपिस्ट, क्लिनिकल साइकॉलजिस्ट, प्रॉस्थेटिस्ट, ऑर्थोटिस्ट, स्पीच थैरेपिस्ट और काउंसलर की नियुक्ति अनिवार्य होगी।
प्रशासनिक दक्षता और पारदर्शिता के लिए:
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केंद्रों में तकनीकी प्रशिक्षण, डिजिटल पंजीकरण और ऑनलाइन ट्रैकिंग सिस्टम की सुविधा उपलब्ध होगी।
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केंद्र संचालन के लिए जिलाधिकारी की अध्यक्षता में एक संचालन समिति गठित की जाएगी।
यह महत्वपूर्ण बैठक राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) नरेन्द्र कश्यप और विभागीय अधिकारियों की उपस्थिति में संपन्न हुई।
