भारत, ब्रिटेन और अमेरिका के विशेषज्ञ उभरती वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियों हेतु अनुसंधान तैयारियों पर मंथन करने हेतु एक साथ बैठे

Experts from India, UK and US come together to brainstorm on research preparedness for emerging global health challenges
 
Experts from India, UK and US come together to brainstorm on research preparedness for emerging global health challenges
लखनऊ डेस्क (आर एल पाण्डेय)।सीएसआईआर-सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट, लखनऊ में ड्रग डिस्कवरी रिसर्च में वर्तमान रुझानों पर 9वें अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के चौथे दिन "एंटी-माइक्रोबियल प्रतिरोध से निपटने" पर बहुत महत्वपूर्ण वैज्ञानिक सत्र और "उभरती वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियों हेतु अनुसंधान तैयारी" पर एक और सत्र एवं पैनल डिस्कशन आयोजित किया गया।

मल्टीड्रग-प्रतिरोधी ग्राम-निगेटिव जीवाणु संक्रमण, सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा करता है। लिपिड-ए के जैवसंश्लेषण को लक्षित करने वाले नवीन एंटीबायोटिक्स इस समस्या को सुलझाने हेतु गेम चेंजर साबित होंगे: प्रोफेसर पेई झोउड्यूक यूनिवर्सिटी, यूएसए के प्रोफेसर पेई झोउ ने ग्राम-नेगेटिव बैक्टीरिया में लिपिड ए जैवसंश्लेषण को लक्षित करने वाले नए एंटीबायोटिक्स पर एक दिलचस्प प्रस्तुति दी। मल्टीड्रग-प्रतिरोधी ग्राम-निगेटिव जीवाणु संक्रमण, सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए गंभीर संकट पैदा करता है। ये रोगज़नक़ जीवाणु अपना अस्तित्व बनाए रखने के लिए अपने बाहरी आवरण को मजबूत बनाने के लिए विशेष प्रकार के लिपिड-ए जिन्हें एंकरयुक्त लिपोपॉलीसेकेराइड कहते हैं, पर निर्भर रहते हैं । इसलिए, लिपिड-ए बायोसिंथेसिस एंजाइम को लक्षित करना नवीन एंटीबायोटिक दवाओं के विकास के लिए एक आशाजनक रणनीति प्रदान करता है। डॉ. झोउ ने पिकोमोलर बाइंडिंग एफ़िनिटी और ब्रॉड-स्पेक्ट्रम एंटीबायोटिक गतिविधि के साथ एक एलपीएक्ससी-लक्षित नैदानिक उम्मीदवार के विकास पर चर्चा की। उन्होंने मल्टीड्रग-प्रतिरोधी ग्राम-निगेटिव संक्रमणों से निपटने के लिए नवीन लक्ष्य के रूप में रैट्ज़ पाथवे एंजाइमों की अप्रयुक्त क्षमता पर जोर दिया।

एंटीमाक्रोबियल रेजीस्टेंस (एएमआर) से निबटने हेतु जीवाणु कोशिका आवरण को लक्षित करने के लिए रोगाणुरोधी पेप्टाइड्स (एएमपी) एक संभावित समाधान है: प्रोफेसर जयंत हलदरजवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च (जेएनसीएएसआर), बेंगलुरु के प्रो. जयंत हलदर ने रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एंटीमाक्रोबियल रेजीस्टेंस) की उभरती चुनौती पर जोर दिया, जो एंटीबायोटिक थेरेपी से बच जाती है। उन्होंने इस चुनौती के संभावित समाधान के रूप में रोगाणुरोधी पेप्टाइड्स (एएमपी) का प्रस्ताव रखा और एएमपी की सफलता से जुड़ी प्रमुख सीमाओं का उल्लेख किया। उनकी बातचीत में अप्रचलित एंटीबायोटिक दवाओं को पुनर्जीवित करने के लिए लिपोपेप्टाइड्स की छोटी आणविक नकल पर उनके शोध को भी शामिल किया गया।बाद में सत्र में, ग्लोबल एंटीबायोटिक रिसर्च एंड डेवलपमेंट पार्टनरशिप (जीएआरडीपी), यूके के डॉ. सीमस ओ'ब्रायन ने ऑनलाइन मोड के माध्यम से सेप्सिस और संबंधित गंभीर जीवाणु संक्रमण और यौन संचारित संक्रमण (एसटीआई) को लक्षित करने वाले एंटीबायोटिक उपचार के विकास पर चर्चा की। उन्होंने ज़ोलिफ्लोडासिन के नियामक विकास का अवलोकन प्रस्तुत किया, जिसमें इसके पुष्टिकरण चरण 3 नैदानिक परीक्षण भी शामिल हैं।

सीटीडीडीआर2025 का अंतिम वैज्ञानिक सत्र उभरती वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियों के लिए अनुसंधान तैयारी पर समर्पित रहाबिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन, यूएसए के डॉ. डैनियल गोल्डबर्ग ने "गैर-हार्मोनल गर्भनिरोधक दवा के अनुसंधान को खोज को आगे बढ़ाने की दिशा में किए जा रहे प्रयासों पर चर्चा की। इसके लिए उन्होने एक वैश्विक सहयोगी पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। उन्होंने नए गर्भनिरोधक विकसित करने के उद्देश्य से गैर-हार्मोनल गर्भनिरोधक अनुसंधान को पुनर्जीवित करने के लिए गेट्स फाउंडेशन (जीएफ) के प्रयासों को साझा किया जो प्रभावी और अच्छी तरह से सहन करने योग्य दोनों हैं।
ब्रिटेन के डंडी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर इयान एच. गिल्बर्ट ने उपेक्षित संक्रामक रोगों के लिए दवाओं की खोज में शामिल चुनौतियों को रेखांकित किया। संक्रामक रोग दुनिया भर में रुग्णता और मृत्यु दर का एक बहुत बड़ा कारण हैं। उन्होंने उपेक्षित संक्रामक रोग के लिए दवा अणु के विकास पर अपने हालिया शोध को साझा किया।

सीटीडीडीआर2025 का समापन "ड्रग डिस्कवरी में चुनौतियां और अवसर" विषय पर दिग्गजों द्वारा विचार-मंथन (पैनल चर्चा) के साथ हुआ।इस मंथन सत्र में डॉ. अनिल कौल, लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन, यूके, डॉ. डैनियल गोल्डबर्ग, बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन, यूएसए, प्रोफेसर क्रिस्टोफर आर. मैककर्डी, यूनिवर्सिटी ऑफ फ्लोरिडा, यूएसए, प्रोफेसर इयान एच. गिल्बर्ट, यूनिवर्सिटी ऑफ डंडी, यूके और डॉ. राधा रंगराजन, निदेशक, सीएसआईआर-सीडीआरआई, लखनऊ, पैनलिस्ट थे।

डॉ. रंगराजन ने इस प्रश्न के साथ शुरुआत की कि किस समस्या को सबसे बड़ी वैश्विक स्वास्थ्य चुनौती माना जाए जिसे तुरंत संबोधित किये जाने की आवश्यकता है। डॉ. कौल ने कहा कि एएमआर एवं  हृदय साबंधी रोग मुख्य वैश्विक स्वास्थ्य संसएन हैं, क्योंकि 9 मिलियन मौतें एएमआर से जुड़ी हैं और लगभग 19 मिलियन मौतें हृदय या सीवीएस रोगों से जुड़ी हैं। सभी पैनलिस्ट इससे सहमत थे। प्रोफेसर मैककर्डी ने कहा कि खान-पान की आदतों और जीवन शैली और आंत्र माइक्रोबायोटा में बदलाव से समस्या की गंभीरता और अधिक बढ़ जाती है।

डॉ. गोल्डबर्ग ने कहा कि इन वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियों से केवल खुल कर सहयोग करने और मिलकर काम करके ही निपटा जा सकता है। वर्तमान परिदृश्य के देखते हुए प्रोफेसर गिल्बर्ट ने उल्लेख किया कि नए खोजकर्ताओं को आगामी स्वास्थ्य चुनौतियों की तैयारी के लिए अधिक जिज्ञासा और समर्पण की आवश्यकता है। प्रत्येक पैनलिस्ट ने इस सम्मेलन के दौरान नवीन अनुसंधानो पर चर्चा के माध्यम से ज्ञान मैं वृद्धि, नेटवर्किंग के अवसर और परस्पर सहयोग की दिशा में किए गए प्रयासों की सराहना की। उन्होंने इस सफल आयोजन के लिए आयोजन समिति के प्रयासों और व्यवस्थाओं की भी सराहना की।सत्र के अंत में, समापन समारोह का आयोजन किया गया और युवा उभरते वैज्ञानिकों को चार सर्वश्रेष्ठ फ्लैश टॉक पुरस्कार एवं विभिन्न क्षेत्रों मेन 34 सर्वश्रेष्ठ पोस्टर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के आयोजन सचिव और सह-संगठन सचिव डॉ. कुमारवेलु और डॉ. किशोर मोहनन के धन्यवाद प्रस्ताव के साथ संगोष्ठी का समापन हुआ।

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