भय बिन होय न प्रीति: भारत-पाकिस्तान के जटिल संबंधों को समझने की कुंजी
Half part of Sundarkand of Ramcharit Manas *"There is no love without fear
Mon, 12 May 2025

रामचरित मानस के सुंदरकांड की अर्धाली *"भय बिन होय न प्रीति"* कुटिल शत्रु के लिए एक शाश्वत सत्य है। भारत और पाकिस्तान के जटिल संबंधों के संदर्भ में यह अर्धाली शांति के पाठ को समझने की कुंजी है। 1947 के विभाजन से उपजे द्वेष, युद्धों, और कश्मीर विवाद ने भारत पाकिस्तान के बीच अविश्वास और भय की गहरी खाई खोद दी है। प्रत्यक्ष और परोक्ष बारम्बार युद्ध पाकिस्तान छेड़ता रहा है। फरवरी 2021 में लाइन ऑफ कंट्रोल (एलओसी) पर युद्धविराम की घोषणा की गई थी।
परंतु समय के साथ मौका परस्त पाकिस्तान का भय जैसे ही कम होता है, वह इस या उस तरह अपरोक्ष आक्रमण से शुरू होकर युद्ध तक आ जाता है। मुंह की खाता है, और पुनः भयभीत होकर शांति प्रस्ताव रखता रहा है। इस बार भी आतंक पर भारत की कार्यवाही से डी जी एम ओ स्तर पर सीज फायर का प्रस्ताव उसके भय ग्रस्त होने का प्रमाण है।
सीमा पर 2021 से युद्धविराम तो लागू था ही , उसे स्वयं पाकिस्तान ने तोड़ा , और तीन ही दिन में सीज फायर का पुनः संकल्प जाहिर किया है। युद्धविराम भले ही सैन्य तनाव कम कर सके,परंतु मूल मुद्दे अछूते रह जाते हैं।
पहलगाम में धार्मिक आतंकवाद , पुलवामा (2019) और उरी (2016) जैसे हमलों ने पाकिस्तान की बदनीयत जग जाहिर की है । पाकिस्तान सरकार और सेना पर आतंकी समूहों को संरक्षण देने का आरोप प्रमाणित हुआ है।
भारत द्वारा संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने (2019) के बाद पाकिस्तान ने राजनयिक संबंध तोड़े। यह मुद्दा युद्धविराम के टिकाऊपन के लिए बाधक बना ।
दोनों देशों में राष्ट्रवादी नैरेटिव शांति प्रक्रिया को जोखिम में डालते हैं। पाकिस्तान में कट्टर पंथ अपने चरम पर हैं। इस हद तक कि वहां सेना ने मजहब को उसूल बताया है।
इस तरह के दुश्मनों से निपटने में भय की भूमिका क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा तथा सह अस्तित्व के लिए जरूरी लगती है। दुनिया में न्यूक्लीयर शक्ति प्रीति के लिए भय का संसाधन बना हुआ है। सेनाओं की श्रेष्ठता तथा आधुनिकीकरण से भी राष्ट्र परस्पर अपरोक्ष भय का वातावरण बनाने में लगे रहते हैं।
भारत का डर पाकिस्तान के आतंकवाद और अस्थिर कश्मीर को लेकर रहता है । पाकिस्तान के मामले में नंगे से खुदा डरता है वाली स्थिति बनती रही है , चाहे जब वहां से अनधिकृत लोग भी अपने पाव किलो के परमाणु हथियारों की धमकी देते रहते हैं। पड़ोसी देशों की गरीबी , कट्टरता और उनके चीन या अमेरिका जैसे देशों की कठपुतली बनने को लेकर भारत परेशान रहता है।
पाकिस्तान का भय भारत के दुनिया की तीसरी बड़ी आर्थिक शक्ति बनने , सैन्य श्रेष्ठता और बढ़ते वैश्विक प्रभाव को लेकर ईर्ष्या की है। लातों के भूत बातों से नहीं समझते यह बात पाकिस्तान पर पूरी तरह लागू होती है। हर पिटाई के बाद कुछ अंतराल तक पाकिस्तान शांत रहता आया है।
प्रीति की राह भारत द्वारा आतंक पर किए गए प्रहार ही हैं। पाकिस्तान को उसकी औकात दिखाना समय की मांग थी । पूरे पाकिस्तान में हम कहीं भी कभी भी प्रहार कर सकते हैं यह जानना पाकिस्तान के लिए जरूरी है। भारत बिना लंबे युद्ध के ट्रैप में फंसे अपने मंतव्य में कामयाब रहा है। अब जब पाकिस्तान ने डरकर सीज फायर चाहा है तब विश्वास निर्माण के कदम यही है कि डिप्लोमेसी हो ।
भारत से व्यापार अभी दूर की बात है किंतु यह पाकिस्तान की राजनीतिक इच्छाशक्ति पर निर्भर है जिसका वहां व्यापक अभाव है।
जन-से-जन संपर्क, क्रिकेट और संस्कृति के माध्यम से रिश्ते सुधारने की कोशिशें पुनः शुरू होंगी यदि पाकिस्तान भयभीत होकर ही सही अपना सैन्य एवं राजनयिक व्यवहार सुधारेगा।
भारत ने अपना सक्षम , तेज, स्वरूप बता कर पाकिस्तान के युद्धविराम की पेशकश को स्वीकार कर बड़े दिल का उदाहरण रखा है। यह पाकिस्तान के लिए एक सकारात्मक शुरुआत हो सकती है । *(विभूति फीचर्स)*