गोयल आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एवं चिकित्सालय में अग्निशमन मॉक ड्रिल आयोजित: गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा की दिशा में एक और कदम

इस संस्थान की स्थापना वर्ष 2019 में हुई थी, और उसी वर्ष 100 बेड वाले अस्पताल का संचालन भी प्रारंभ हुआ। संस्थान में BAMS पाठ्यक्रम की शुरुआत 2022 से हुई, जिसे नेशनल कमीशन फॉर इंडियन सिस्टम ऑफ मेडिसिन (NCISM) द्वारा 100 सीटों की मान्यता प्राप्त है। यह संस्थान महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय, गोरखपुर से संबद्ध है, और इसमें प्रवेश NEET-UG स्कोर व UP Ayush Counselling के माध्यम से होता है।
चिकित्सालय की विशेषताएं:
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100 बेड की सुविधा से युक्त अस्पताल
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संचालित 10 प्रमुख विभाग: कायचिकित्सा, पंचकर्मा, शल्य, शालाक्य, कौमारभृत्य, प्रसूति एवं स्त्री रोग, स्वास्थवृत्त, आपातकालीन चिकित्सा, फिजियोथैरेपी एवं डेंटल विभाग
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आधुनिक पंचकर्मा केंद्र, फार्मेसी, OPD, IPD और आपातकालीन सेवाएं
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केंद्रीय पुस्तकालय, प्रयोगशालाएं, छात्रावास, मैनेजमेंट ब्लॉक, कैंटीन और हर्बल गार्डन जैसी सुविधाएं
प्रशासनिक और नैतिक प्रतिबद्धता:
संस्थान के चेयरमैन ई. महेश अग्रवाल का यह सपना रहा है कि गोयल कॉलेज एक उत्कृष्ट शिक्षण और चिकित्सा केंद्र के रूप में स्थापित हो। उनके नेतृत्व में यह संस्थान लगातार प्रगति कर रहा है। वर्ष 2022 के बाद से संस्थान में चार बैचों का प्रवेश हो चुका है, और यह निरंतर विस्तार की दिशा में अग्रसर है।
संस्थान के प्राचार्य एवं अधीक्षक प्रो. (डॉ.) अविनाश चन्द्र श्रीवास्तव ने बताया कि चिकित्सालय वर्तमान में NABH प्रमाणन की प्रक्रिया में है। यह मान्यता अस्पताल की सेवाओं की गुणवत्ता, रोगी सुरक्षा, स्वच्छता और सुसंगत प्रक्रियाओं की पुष्टि करती है।
गुणवत्ता उन्नयन हेतु नियमित प्रशिक्षण:
संस्थान समय-समय पर स्टाफ को प्रशिक्षित करने के लिए मॉक ड्रिल, आपातकालीन प्रबंधन सत्र, और सेवा मानकों के प्रशिक्षण का आयोजन करता है। हालिया अग्निशमन अभ्यास इसी दिशा में एक सशक्त पहल है, जो यह सुनिश्चित करता है कि संकट की घड़ी में भी कर्मचारी तत्पर और प्रभावशाली ढंग से कार्य करें। गोयल आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एवं चिकित्सालय, लखनऊ एक आधुनिक, मान्यता प्राप्त और गुणवत्तायुक्त आयुर्वेदिक शिक्षण संस्थान के रूप में उभर रहा है। उच्चस्तरीय चिकित्सा सुविधाएं, प्रशिक्षित स्टाफ, गुणवत्तापूर्ण शैक्षणिक ढांचा, और NABH जैसे मानकों की ओर अग्रसरता इसे राज्य के प्रमुख संस्थानों में एक विशिष्ट स्थान प्रदान करती है।