Powered by myUpchar

ऐतिहासिक भोजशाला के ताले खुलने के 22 वर्ष पूरे होने पर हुई आतिशबाजी

नोट - राष्ट्रीय पेज के लिए सरक्षित क्षेत्र को उर्स कमेटी के कथित वक्फ कब्जे से मुक्त कराने की मांग
 
ऐतिहासिक भोजशाला के ताले खुलने के 22 वर्ष पूरे होने पर हुई आतिशबाजी
धार : मध्य प्रदेश में धार की ऐतिहासिक भोजशाला के गौरव की पुनस्र्थापना और वहां प्रवेश के लिए ताले खुलने के 22 वर्ष पूर्ण होने पर संगठित ¨हदू समाज ने मंगलवार को आतिशबाजी कर मिठाई बांटी। यहां नियमित सत्याग्रह के बाद बाहर आधे घंटे तक आतिशबाजी की गई।

इस बीच एक बार फिर भोजशाला की पूर्ण मुक्ति का संकल्प लिया गया। वक्फ कानून में संशोधन का स्वागत किया गया, साथ ही मांग की गई कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की भोजशाला के संरक्षित क्षेत्र को उर्स कमेटी के कथित वक्फ कब्जे से मुक्त करवाया जाए। 2026 की वसंत पंचमी तक प्रति मंगलवार समाज के अलग-अलग वर्गों को जोड़ने की प्रक्रिया अब और भी तेज होगी। बता दें,

भोजशाला को लेकर 1997 में तत्कालीन कलेक्टर ने कांग्रेस की दिग्विजय ¨सह सरकार के समय ¨हदुओं के प्रवेश पर ताले लगा दिए थे। ¨हदू समाज के लंबे संघर्ष के बाद 8 अप्रैल 2003 को भोजशाला के ताले ¨हदुओं के प्रवेश के लिए खुले थे। यह संयोग था कि मंगलवार को 22वां साल पूरा हुआ। संरक्षक हेमंत दौराया ने कहा कि 1952 से महाराजा भोज स्मृति वसंतोत्सव समिति के माध्यम से भोजशाला की मुक्ति के प्रयास किए जा रहे हैं। केसरीमल सेनापति, वसंतराव प्रधान, प्रेम प्रकाश खत्री, ताराचंद अग्रवाल आदि के योगदान को याद करते हुए भोजशाला और मां वाग्देवी मंदिर की मुक्ति तथा उनके गौरव की पुनस्र्थापना के लिए संकल्प को दोहराया गया।

सर्वे रिपोर्ट के क्रियान्वयन की उम्मीदभोजशाला को लेकर 22 मार्च 2024 से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा सर्वे शुरू किया गया था, जो करीब 100 दिन तक चला। इसके बाद तय समय सीमा में एएसआइ ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी थी। वर्तमान में इस रिपोर्ट के क्रियान्वयन पर उच्चतम न्यायालय की रोक है। अब सुप्रीम कोर्ट की रोक को हटाने के लिए आगामी माह में सुनवाई प्रस्तावित है। भोजशाला में 94 सनातनी मूर्तियां मिली थीं। इसमें भगवान गणेश, शिव से लेकर अन्य देवी देवताओं की मूर्तियां थीं। इनके अतिरिक्त 1700 अवशेष मिले थे। इसमें मुख्य रूप से 106 स्तंभ अवशेष और 82 भित्ति चित्र भी थे।

Tags