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उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक श्री प्रकाश सिंह द्वारा अपने सेवाकाल एवं सेवानिवृत्ति के उपरान्त के जीवन के अनुभवों को साझा किया गया

उत्तर प्रदेश पुलिस के पॉडकास्ट "Beyond the Badge" के बारहवें एपिसोड में उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक श्री प्रकाश सिंह द्वारा अपने सेवाकाल एवं सेवानिवृत्ति के उपरान्त के जीवन के अनुभवों  को साझा किया गया
 
उत्तर प्रदेश पुलिस के पॉडकास्ट "Beyond the Badge" के बारहवें एपिसोड में उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक श्री प्रकाश सिंह द्वारा अपने सेवाकाल एवं सेवानिवृत्ति के उपरान्त के जीवन के अनुभवों  को साझा किया गया
लखनऊ डेस्क (आर एल पाण्डेय)।मुख्यमंत्री उ0प्र0  योगी आदित्यनाथ द्वारा उत्तर प्रदेश पुलिस की उपलब्धियों, विशेषताओं एवं किए गए सराहनीय कार्यों को वीडियो के माध्यम से प्रचारित-प्रसारित करने के निर्देश दिए गए थे, जिसके अनुपालन में पुलिस महानिदेशक उ0प्र0,  प्रशान्त कुमार द्वारा एक अभिनव पहल करते हुए उ0प्र0 पुलिस के “Beyond the Badge” नामक पॉडकास्ट के श्रृंखला की शुरूआत की गयी है। उक्त पॉडकास्ट के बारहवें एपिसोड में उत्तर प्रदेश पुलिस के पूर्व पुलिस महानिदेशक श्री प्रकाश सिंह द्वारा अपने सेवाकाल एवं सेवानिवृत्ति के उपरान्त के जीवन के अनुभवों को पुलिस अधीक्षक, महिला एवं बाल सुरक्षा संगठन,  वृन्दा शुक्ला के साथ विस्तार से चर्चा की गयी । 


श्री प्रकाश सिंह द्वारा भारतीय पुलिस सेवा में आने के अपने अनुभव के संबंध में बताया गया कि कोई ईश्वरीय शक्ति थी जो मुझे इस पुलिस की सेवा में ले आई और वही मेरा मार्ग प्रशस्त करती रही । इनके द्वारा बताया गया कि भारतीय पुलिस सेवा में चयनित होने के उपरांत जब इन्होंने नौकरी की शुरुआत की तब इनका पुलिस की नौकरी में मन नहीं लग रहा था और वह अपनी पत्नी से अक्सर चर्चा किया करते थे कि इस नौकरी को छोड़कर चला जाए, पर उनकी पत्नी ने कहा कि अभी कुछ साल देख लीजिए, अगर आपका मन नहीं लगे तो छोड़ दीजिएगा और अपनी पत्नी की बात सुनकर श्री प्रकाश सिंह जी के द्वारा कुछ दिन और नौकरी करने का विचार किया और धीरे-धीरे चुनौतियों का सामना करते-करते इनका मन इस नौकरी में रम गया।


श्री प्रकाश सिंह  के द्वारा अपनी नागालैंड की पोस्टिंग के दौरान के अनुभवों को साझा करते हुए बताया गया कि ततसमय उनको मारने का फरमान तत्कालीन अलगाववादी संगठनों के नेताओं द्वारा दिया गया था, जिसको देखते हुए उनको वहां से हटाकर नई दिल्ली पोस्टिंग किए जाने का विकल्प भी तत्कालीन उच्च अधिकारियों द्वारा दिए गए थे, किंतु इनके द्वारा यह कहकर नागालैंड से जाने से मना कर दिया गया कि "जाको राखे साइयां मार सके ना कोई" और इसी भावना के साथ इन्होंने अपने नागालैंड पोस्टिंग के कार्यकाल को पूरा किया।


श्री प्रकाश सिंह  के द्वारा अपनी पारिवारिक पृष्ठभूमि के बारे में बताया गया कि, इनके पिता श्री सूर्यनाथ सिंह जी के द्वारा 1942 के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया था, जिसके लिए उन्हें जेल भी जाना पड़ा था, इसीलिए इनके पिता को पूर्वी यूपी का गांधी भी कहा जाता था। इनके द्वारा अपने पिता के बारे में बताया गया कि वह बहुत ईमानदार आदमी थे और बचपन से ही इनके पिताजी हमेशा कहा करते थे कि जो लोग गलत पैसा कमाते हैं, उनका सारा पैसा गलत तरीके से निकल ही जाता है। पिताजी के द्वारा दी गई शिक्षा के कारण बचपन से ही ईमानदारी का गुण इनके अन्दर था और अपने पूरे सेवाकाल में अपने सिद्धान्त के साथ दृढ़ता से नौकरी किये जाने की जानकारी वार्ता के दौरान दी गई। 


उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा माफियाओं के विरुद्ध की गई कार्यवाही के संबंध में चर्चा करते हुए श्री प्रकाश सिंह  द्वारा बताया गया कि माननीय मुख्यमंत्री योगी जी के द्वारा माफियाओं के कमर तोड़ने का, उनको नेस्तनाबूत करने का जो काम किया गया है, वह ऐतिहासिक है और वह एक मुख्यमंत्री ही कर सकते हैं कोई डीजीपी ऐसा ऐतिहासिक काम नहीं कर सकता है। उनके द्वारा माफिया और अपराधियों के खिलाफ की गई कार्यवाही का पूर्ण समर्थन चर्चा के दौरान किया गया।
उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा *60 हजार आरक्षियों की पारदर्शी एवं भ्रष्टाचार रहित भर्ती के संबंध में चर्चा करते हुए उनके द्वारा कहा गया कि उत्तर प्रदेश में रिक्त पदों को भरने का काम बहुत अच्छा ढंग से किया जा रहा है, और उनके द्वारा यह भी कहा गया कि भवन निर्माण के क्षेत्र में भी उत्तर प्रदेश पुलिस में काफी अच्छा काम हो रहा है।


श्री प्रकाश सिंह  के द्वारा चर्चा के दौरान अपनी नौकरी के उतार-चढ़ाव में परिवार ने किस प्रकार साथ दिया, इनके द्वारा की गई जनहित याचिका में माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए ऐतिहासिक निर्णय, सेवानिवृत्ति के उपरांत अपने द्वारा लिखी गई पुस्तकों इत्यादि के संबंध में काफी विस्तार से चर्चा की गई है।


श्री प्रकाश सिंह के द्वारा अंत में युवा पीढ़ी के अधिकारियों को यह संदेश दिया गया कि पुलिस विभाग में शॉर्टकट से तरक्की की बात न सोचे, सत्य के रास्ते पर चले, सही रास्ते पर चलकर सही नेतृत्व प्रदान करें, क्योंकि आपके नीचे का सिपाही आपके आचरण और नेतृत्व को देखकर ही आपकी इज्जत करता है। इसलिए सही रास्ते पर चलिए रूल ऑफ लॉ को अपहोल्ड करिए और रास्ते में अगर कुछ कुर्बानी देनी पड़ती है तो कुर्बानी दीजिए, तब आपके माथे पर विजय का सेहरा बनेगा और लोग आपको याद करेंगे।

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