बॉलीवुड की ग्लैमरस अदाकारा से साध्वी बनने तक: ममता कुलकर्णी और उनका वायरल बयान

ममता कुलकर्णी: 90 के दशक की सुपरस्टार
ममता कुलकर्णी 90 के दशक की उन चंद एक्ट्रेसेस में थीं, जिन्होंने अपने अभिनय, सौंदर्य और बोल्ड किरदारों से दर्शकों के दिलों में खास जगह बनाई। करण अर्जुन, सबसे बड़ा खिलाड़ी, और क्रांतिवीर जैसी सुपरहिट फिल्मों में उनकी उपस्थिति आज भी याद की जाती है।
लेकिन 2000 के बाद ममता ने अचानक फिल्म इंडस्ट्री को अलविदा कह दिया। जहाँ बाकी एक्ट्रेस करियर की ऊँचाइयों पर होती हैं, वहाँ ममता ने चकाचौंध छोड़ आध्यात्मिक मार्ग चुन लिया।
आध्यात्मिक पथ की ओर: साध्वी बनने की यात्रा
ममता ने सन 2000 में आध्यात्मिक साधना की शुरुआत की और अपने गुरु चैतन्य गगनगिरी महाराज के मार्गदर्शन में वर्षों तक कठोर तपस्या की। 2025 के महाकुंभ में, प्रयागराज में, उन्हें किन्नर अखाड़े की ओर से महामंडलेश्वर की उपाधि से नवाज़ा गया। इस अवसर पर उनका नया नाम रखा गया — "यमाई ममता नंद गिरी"।
हालाँकि, यह सम्मान भी विवादों से अछूता नहीं रहा। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कुछ लोगों ने आरोप लगाया कि इस उपाधि के लिए ममता को 10 करोड़ रुपये देने पड़े, जिसका ममता ने खंडन करते हुए कहा, “मेरे पास तो 1 करोड़ भी नहीं है, मैंने अपने गुरु को दक्षिणा देने के लिए 2 लाख रुपये उधार लिए थे।”
बाद में, किन्नर अखाड़े के प्रमुख अजय दास ने ममता और उनकी गुरु लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को अखाड़े से निष्कासित कर दिया। लेकिन ममता ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो के माध्यम से स्पष्ट किया कि उनका इस्तीफा अस्वीकार कर दिया गया है और वह अब भी महामंडलेश्वर बनी हुई हैं।
वायरल बयान: "मुझे मुस्लिमों से बहुत प्यार है"
हाल ही में दिल्ली एयरपोर्ट पर एक इंटरव्यू में ममता कुलकर्णी ने कहा:
"मुझे मुसलमानों से बहुत प्रेम है, और उन्होंने भी मुझे उतना ही प्रेम दिया है। जब मैं फिल्मों में थी, तो पाकिस्तान से मुझे हर दिन 50 पत्र मिला करते थे। लेकिन मैं यह साफ करना चाहती हूं कि मुझे आतंकवादियों से कोई प्रेम नहीं है। आतंकवादी न किसी का बेटा होता है, न पति, न पिता — वह सिर्फ आतंकवादी होता है।"
इस बयान ने खासा ध्यान खींचा क्योंकि यह उस समय आया जब भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ा हुआ था, खासकर हालिया आतंकी घटनाओं और सैन्य कार्रवाइयों के चलते।
ममता ने यह भी बताया कि जब वह दुबई में तपस्या कर रही थीं, तब उन्हें वहाँ मुस्लिम समुदाय से बहुत शांति और स्नेह मिला।
प्रतिक्रियाएँ: तारीफ़ या ट्रोलिंग?
ममता के इस बयान को लेकर लोगों की राय बंटी हुई है। कुछ लोगों ने इसे धार्मिक सौहार्द और भाईचारे का संदेश माना, वहीं कुछ ने इसे प्रचार पाने का तरीका बताया। सोशल मीडिया पर यह बयान तेजी से वायरल हो गया, और एक नई बहस का विषय बन गया — क्या यह बयान धार्मिक समावेशिता को दर्शाता है या फिर एक पूर्व अभिनेत्री की चर्चाओं में लौटने की कोशिश?
ग्लैमर से सन्यास तक: क्या ममता की छवि बदली है?
ममता कुलकर्णी का जीवन सफर एक मिसाल है — ग्लैमर की दुनिया से पूर्ण रूप से सन्यास, साधना, और अब एक संत के रूप में पहचान। उनका हालिया बयान केवल एक व्यक्तिगत अनुभव नहीं, बल्कि सामाजिक संदर्भ में भी एक गहरा संदेश देता है: धर्म को जोड़ने का माध्यम बनाना चाहिए, तोड़ने का नहीं।