जेन ज़ी की 'अजब-गजब' भाषा: व्याकरण को चुनौती देता डिजिटल शॉर्टहैंड

The 'strange' language of Gen Z: Digital shorthand that challenges grammar
 
जीनियस जनरेशन की ‘अजब गजब’ भाषा

(विवेक रंजन श्रीवास्तव द्वारा एक विश्लेषण)

'जनरेशन ज़ी' (Gen Z) ने संवाद की एक ऐसी नई शैली विकसित की है, जिसने सीधे तौर पर पारंपरिक व्याकरण और भाषा के नियमों को चुनौती दी है। यह केवल एक भाषाई प्रवृत्ति नहीं, बल्कि एक क्रांति है, जिसे हम 'जीनियस जनरेशन'की 'अजब-गजब' भाषा कह सकते हैं। यह मोबाइल और चैट की दुनिया का वह शॉर्टहैंड है जहाँ शब्दों के मूल अर्थ बदल जाते हैं, अक्षरों का लोप हो जाता है, और एक छोटा-सा इमोजी पूरी वाक्य-संरचना का काम करने लगता है। इस भाषा को समझने के लिए आपको किसी डिक्शनरी की नहीं, बल्कि संदर्भ और स्थिति के अनुरूप एक विशेष डिजिटल समझ की आवश्यकता होती है।

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भाषा का मिनिमलिज्म: अक्षरों की बलि

 

इस भाषा का मूल सिद्धांत है: 'जो दिखे सो नहीं, जो लिखे सो है'।

  • 'यू' अब 'आप' नहीं, बल्कि 'तू' बन जाता है।

  • 'आर' (हैं) का प्रयोग 'हो' के लिए किया जाता है।

  • 'एल.ओ.एल.' (LOL - Laugh Out Loudly) अब केवल ज़ोर से हँसने की आवाज़ नहीं, बल्कि जीवन जीने की एक प्रतिक्रिया बन गया है।

यह भाषा इतनी लचीली है कि 'थैंक्यू' पहले 'थेंक्स' बनता है, फिर 'टी.एन.एक्स' में बदलता है, और अंततः सीधे 'टी.क्यू' (TQ) तक सिमट जाता है। यह एक तरह से भाषा का मिनिमलिज्म है, जहाँ कम से कम शब्दों में ज्यादा से ज्यादा भाव अभिव्यक्त होते हैं। क्लासिक टेस्ट क्रिकेट से शुरू हुआ सफ़र, फिफ्टी-फिफ्टी और टी20 से होते हुए इस भाषा में अब 'सुपर ओवर' बन चुका है।

युवाओं की इस भाषा में अक्षरों, विशेषकर स्वरों की बलि चढ़ाना आम बात है। लंबा वाक्य 'व्हाट आर यू डूइंग?' (What are you doing?) पहले 'वट आर यू डूइंग?' बनता है और फिर धीरे-धीरे 'वट आर यू डूइन?' और अंततः केवल 'डूइन वट?' तक सिमट जाता है।

 

इमोजी: इस भाषा की आत्मा

 

इस मजेदार भाषा की रही-सही कमी असरदार इमोजी पूरी कर देते हैं। इमोजी इस डिजिटल संवाद की आत्मा हैं।

  • आँखों से आँसू निकल रहे एक हँसता हुआ चेहरा ('एल.ओ.एल.' का प्रतीक) खुशी, गम, हैरानी, या केवल 'यार, मज़ाक था' जैसे संदेशों को अभिव्यक्त कर सकता है।

  • एक लाल दिल ('लव') प्यार, दोस्ती, शुभकामना या फिर सीधे 'ओके, बाय' का इशारा कर सकता है।

यह एक अंतरराष्ट्रीय भाषा है जो देश, काल, जाति और धर्म के बंधन तोड़कर सीधे दिल से दिल तक, दिन-रात बात पहुँचाती है।

 

एक नया सामाजिक वर्ग

इस भाषा ने समाज में एक नए प्रकार के विभाजन को जन्म दिया है: वे जो इस कोड को समझते हैं, और वे जो नहीं समझते।

आज के दौर में एक माँ का अपने बेटे के मैसेज 'पी.सी.एम., जी.एन., टी.सी., आई.एल.वाय' को देखकर हैरान होना और फिर इसे समझने के लिए इंटरनेट की मदद लेना एक सामान्य घटना बन गई है:

  • पी.सी.एम. (PCM): पेरेंटल कंट्रोल मच (माता-पिता का नियंत्रण बहुत है)

  • जी.एन. (GN): गुड नाइट (शुभ रात्रि)

  • टी.सी. (TC): टेक केयर (अपना ध्यान रखना)

  • आई.एल.वाय (ILY): आई लव यू (मैं तुमसे प्यार करता हूँ)

सांस्कृतिक बदलाव

 यह 'एल.ओ.एल.' भाषा केवल शब्दों का संक्षिप्तिकरण नहीं है। यह एक सांस्कृतिक बदलाव है, जो तकनीक और समय के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने की कोशिश है—चाहे इसका कारण युवाओं के पास समय का अभाव हो या उनकी कुशाग्र बुद्धि।

पुरानी पीढ़ी को यह अजीब लग सकता है, लेकिन यह नई पीढ़ी की अपनी मौलिक पहचान है। इसलिए अगली बार जब कोई आपको 'आई.डी.के.' (I Don’t Know) लिखे, तो नाराज़ न हों। बस 'एस.एम.एच.' (SMH - Shaking My Head) करते हुए 'टी.टी.वाय.एल.' (TTYL - Talk To You Later) लिख दें।

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