मुस्लिम तुष्टीकरण का विकृत स्वरूप है, औरंगजेब का महिमामंडन:मृत्युंजय दीक्षित

Glorifying Aurangzeb is a distorted form of Muslim appeasement: Mrityunjay Dixit
 
Glorifying Aurangzeb is a distorted form of Muslim appeasement: Mrityunjay Dixit
संभा जी महाराज के जीवन पर बनी फिल्म छावा धूम मचाते हुए 500 करोड़ के क्लब में शामिल हो गई है तथा सिनेमा व्यवसाय विशेषज्ञों का अनुमान है कि यह फिल्म अगर 1000 करोड़ का करोबार कर ले तो कोई आश्चर्य नही होगा। छावा फिल्म की लोकप्रियता को देखते हुए कुछ राज्यों ने इसे टैक्स फ्री भी कर दिया है। छावा के माध्यम से जनता के संभा जी महाराज की वीरता और औरंगजेब की क्रूरता को पहली बार अनुभव किया है । जो फिल्म देखने गया उसका ही सिर संभा जी की वीरता के सामने झुक रहा है और औरंगजेब से घृणा हो रही है, साथ ही सच्चे इतिहास को छुपाए जाने और मुगलों को जबरन महिमामंडित किये जाने से क्रोध में भी है। 

छावा के माध्यम से वास्तविक इतिहास सामने आ रहा है तो भारत की राजनीति में कुछ लोग इसे भी अपनी तुष्टीकरण की राजनीति में भुना लेना चाहते हैं और क्रूर औरंगजेब के पक्ष में खड़े होकर अपने वोट बैंक को खुश कर रहे हैं। महाराष्ट्र के सपा विधायक अबू आजमी ने औरंगजेब को महान समाजसेवी बता दिया जिसके बाद महाराष्ट्र से लेकर उत्तर प्रदेश तक राजनीतिक बयानबाजी गर्म हो उठी। इसके बाद अबू आजमी को महाराष्ट्र विधानसभा के बजट सत्र तक के लिए निलंबित करते हुए उनके विधानसभा परिसर में प्रवेश पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया। महाराष्ट्र में अपने विधायक के निलंबन पर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का भड़कना स्वाभविक था, वो भड़के तो यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी औरंगजेब फैंस क्लब को एक कड़ा संदेश दिया।    

अबू आजमी के बयान से उपजे विवाद के बीच टीवी चैनलों तथा सोशल मीडिया में जिस प्रकार से औरंगजेब के समर्थक निकल रहे हैं वह अत्यंत चिंताजनक है। यह संभवतः वही लोग हैं जिन्होने भाजपा प्रवक्ता नुपुर शर्मा के खिलाफ सर तन से जुदा का नफरत भरा अभियान छेड़ दिया था। अब यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि ,क्या भारत में स्वतंत्रता प्राप्ति के 75 वर्षो के बाद भी औरंगजेब का फैन क्लब जीवित है जिसे सनातन विरोधी कांग्रेस व इंडी गठबंधन के नेताओं का संरक्षण प्राप्त है। टीवी चैनलों पर विरोधी दलों के सभी प्रवक्ता सपा नेता अबू आजमी के बयान का समर्थन कर रहे हैं । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए बोटी -बोटी काटने जैसे शब्दों का प्रयोग करने वाले कांग्रेस सांसद इमरान मसूद भी इसमें शामिल हैं। 
भगवान राम को काल्पनिक बताने वाले आज औरंगजेब को महान बता रहे हैं और अबू आजमी को सही ठहरा रहे हैं। अयोध्या में निहत्थे हिंदू रामभक्तों पर गोलियां चलवाकर उनका नरसंहार करवाने वाले औरंगजेब के साथ हैं तो आश्चर्य कैसा ? अबू आजमी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के दौरान भी नफरत भरे भाषण दिये थे। महाराष्ट्र में तो अबू आजमी को सांकेतिक सजा मिल चुकी है तथा उसके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज हो चुकी है किंतु यही सही समय है कि मुगल शासक औरंगजेब की क्रूरता का महिमामंडन करके मुस्लिम तुष्टीकरण में संलिप्त राजनैतिक दलों को भी बेनकाब किया जाये। 
यह प्रमाणिक ऐतिहासिक तथ्य है कि मुगल शासक औरंगजेब एक बहुत ही क्रूर शासक था। दिल्ली के तख़्त के लिए उसने अपने पिता शाहजहां को जेल में डाल दिया था और अपने भाई दारा शिकोह का सिर तन से जुदा करके अपने बाप को भेंट में भिजवा दिया था लेकिन भारत में औरंगजेब के फैन्स की कमी नहीं है। एक अनुमान के अनुसार भारत में मोहम्मद की तरह औरंगजेब नाम भी काफी लोकप्रिय है और अकेले महाराष्ट्र में ही 2 लाख से अधिक लोगों का नाम औरंगजेब है। इसी तरह पाकिस्तान में भी 17 लाख लोगों का नाम औरंगजेब क नाम पर रखा गया है और पाकिस्तान के वित्तमंत्री का नाम भी मोहम्मद औरंगजेब है और इसी से समझा जा सकता हे कि औरंगजेब की जबरदस्त फैन फालोइंग भारत से लेकर पाकिस्तान तक है । यही कारण है कि जब भारत के राष्ट्रद्रोही औरंगजेब का महिमामंडन करते है तब पाकितान के लोग भी तालियां पीटते हैं। 
भारत के विरोधी दलों के नता विदेशी समाचार पत्रों व एजेंसियों की झूठी रिर्पोटों पर संसद तक ठप कर देते हैं किंतु अमेरिका का एक बहुत बड़ा समाचार पत्र न्यूयार्क टाइम्स लिखता है कि,“औरंगजेब के 49 वर्षों के कार्यकाल में 46 लाख और हर वर्ष लगभग एक लाख हिन्दू मारे गये थे” तो उस पर विश्वास नहीं करते। भारत का इतिहास ऐसी हजारों घटनाओं से भरा पड़ा है जो ये बताती हैं कि औरंगजेब सबसे क्रूर मुगल शासक था और वह हिन्दुओं से घोर नफरत करता था। औरंगजेब का शासनकाल भारतीय इतिहस का अभिशप्त काल है। वह पाप द्वेष दुष्टता क्रूरता आतंक तथा निर्दयता की पराकाष्ठा का द्योतक है। फिल्म छावा में औरंगजेब के अत्याचार बस एक उदाहरण भर हैं। उसका प्रत्येक कार्य हिन्दुओं को मतांतरित करने के लिए था।  
मुस्तकबल लुबाब के लेखक सफी खां औरंगजेब के अत्याचारों के विषय में बिलकुल वैसा ही लिखा है जैसा उस समय हुआ। सफी खां लिखते हैं कि “औरंगजेब ने अपनी सेना को हिन्दुओं पर अत्याचार करने की खुली छूट दे रखी थी। औरंगजेब के शासनकाल में जनता को निर्दयता के साथ लूटा जाता था। उसके शासनकाल में ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं बचा था जहां से कर न लिया जाता हो।“ औरंगजेब के शासनकाल में ही हिंदुओं पर जजिया कर लगा दिया गया था। औंरंगजेब की सेनाओं ने उत्तर भारत से लेकर दक्षिण और बंगाल तक चारों तरफ मंदिर तोड़कर उन पर मस्जिद बनाने और तलवार की नोक पर धर्म परिवर्तन के लिए कोहराम मचा दिया था।
इसी औरंगजेब के फैन क्लब का कहना है कि उसने हिन्दुओं के लिए 80 मंदिर बनवाये जबकि वास्तविकता यह है कि उसकी सेनाओं ने 80 से अधिक मंदिरों का विध्वंस किया। औरंगजेब का शासनकाल ऐसा विकृत व घिनौना शासनकाल था जिसमें हिन्दू महिलाओं और बेटियों के साथ सरेआम बलात्कार किये जाते थे यहां तक कि उनकी हत्या करके उनके नग्न शवों को पेड़ों पर लटका दिया जाता था। सर्वत्र लूट, हत्या, धर्म परिवर्तन का बोलबाला था तब महाराष्ट्र में छत्रपति शिवाजी के नेतृत्व में हिंदू शक्ति का पुनर्जागरण हुआ, उन्होंने औरंगजेब के दांत खट्टे कर दिये थे। सफी खां लिखता है कि औरंगजेब की सेना के लगातार हमलों के कारण तथा खेतों में खड़ी फसलों में आग लगा देने के कारण कई बार भयंकर सूखा तक पड़ा किंतु उसे इसकी कोई परवाह नहीं थी। 
औरंगजेब हिंदुओं से इतनी नफरत करता था कि उसने जयपुर के राजा जय सिंह को दासता स्वीकार न करने के कारण जहर पिलवा दिया था ।औरंगजेब ने संपूर्ण भारत में इस्लाम के नाम पर जो आतंक मचा रखा था उसका वर्णन मुस्लिम लेखक साकी मुस्तईद खां के मासिर -ए - आलमगीरी की पंक्तियों मे मिलती है वह लिखता है,“ 18 अपैल 1669 को उसने सभी यवन शासकों को हिन्दुओं के मंदिरों तथा स्कूलों के विनाश के आदेश दिये थे। उस आदेश के अनुसार ही बनारस का आज का काशी विश्वनाथ मंदिर विध्वंस किया गया था।“मंदिर को हथियाकर उसे मस्जिद में बदलना मुसलमानों के लिए गर्व की बात थी।
दिसंबर 1669 में ही मथुरा के भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली को भी औरंगजेब ने ही ध्वस्त करवाया। 1679 में जोधपुर में भी कई मंदिरों व मूर्तियां का विध्वंस किया गया। औरंगजेब ने स्वयं चित्तौड़ जाकर हिन्दुओं के 63 मंदिरों का विध्वंस किया था और जश्न मनाया था। 
जिस औरंगजेब की क्रूरता की कहानियों का वर्णन उसके अपने चाटुकार लेखकों तक ने किया है उसका समाजवादी व इंडी गठबंधन के नेता महिमामंडन कर रहे हैं यह उनकी दूषित व विकृत मानसिकता का ही परिचय है। छत्रपति शिवाजी के पुत्र सम्भा जी के जीवन पर बनी फिल्म छावा में जो दिखाया गया है वह एक कटु सत्य है जिसे झुठलाया नहीं जा सकता और न ही दबाया जा सकता हैं।
अभी तक इस सत्य को धर्मनिरपेक्षता के नाम पर छुपाया जाता रहा और अब जब यह सामने लाया जा रहा है तब मुस्लिम तुष्टीकरण करने वाले सभी दल छटपटा रहे हैं और औरंगजेब का अनर्गल महिमामंडन कर रहे हैं। महाराष्ट्र में सपा नेता अबू आजमी को सांकेतिक सजा मिलने के बाद जिस तरह सपा तथा अन्य मुस्लिम परस्त दलों ने औरंगजेब को महान बताने का बीड़ा उठाया है वो भविष्य के लिए चिंताजनक है।

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