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जनपद स्तर पर सुशासन व नवप्रयोगों से देश ही नहीं बल्कि विश्व के कल्याण के उद्देश्य से कार्यक्रम का आयोजन

Organizing a program at the district level with the aim of welfare of not only the country but the world through good governance and innovation
 
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लखनऊ, 23 मार्च । उत्तर प्रदेश में स्टेट लेवल नोडल एजेंसी वाटरशेड डेवलपमेंट कम्पोनेंट प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना 2.0 के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) डॉ. हीरा लाल ने शनिवार को राष्ट्रीय सुशासन केंद्र मसूरी में श्रीलंका के 45 प्रशासनिक अधिकारियों से जनपद स्तर पर सुशासन, नवप्रयोगों से गाँवों के समुचित विकास की योजनाओं के बारे में अपने अनुभवों को साझा किया। 

प्रशासनिक अधिकारियों के इस अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग, भारत सरकार के तत्वावधान में किया गया था। इस कार्यक्रम के आयोजन का मुख्य उद्देश्य जनपद स्तर पर सुशासन को स्थापित करते हुए भारत ही नहीं बल्कि विश्व का कल्याण करना और वैश्विक स्तर पर ग्रामीण क्षेत्रों का समुचित विकास सुनिश्चित करना रहा। गाँवों के विकास को लेकर डॉ. हीरा लाल द्वारा बड़े पैमाने पर किये गए नवप्रयोगों और जल-जंगल-जमीन और जीव को बचाने के लिए बड़े पैमाने पर चलाये गए

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अभियानों से प्रभावित होकर राष्ट्रीय सुशासन केंद्र मसूरी के एसोसिएट प्रोफ़ेसर व प्रशासनिक प्रभारी डॉ. ए. पी. सिंह ने विशेष तौर पर उन्हें आमंत्रित किया था। डॉ. हीरा लाल ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुशासन, नीति निर्धारण, प्रशिक्षण और क्षमतावर्धन को लेकर इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन निश्चित रूप से महत्वपूर्ण साबित होगा।

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प्रशिक्षण कार्यक्रम में डॉ. हीरा लाल ने जनपद स्तर पर इनोवेटिव गवर्नेंस की चुनौतियों और सामुदायिक सहभागिता व अन्य माध्यमों से उनके समाधान का जो खाका खींचा वह देश और विश्व हित में उपयोगी साबित हो सकता है। इसके साथ ही सुशासन के जरूरी बिन्दुओं जैसे – पारदर्शिता, जिम्मेदारी का पालन, जनसहभागिता को बढ़ावा देना, नियम-कानूनों का पालन, नवप्रयोगों आदि के बारे में भी विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बांदा जिलाधिकारी के रूप में किये गए नवप्रयोगों से आये बदलाव और अन्य प्रशासनिक दायित्वों का निर्वहन करते हुए किये गए महत्वपूर्ण कार्यों और उनके सुखद परिणामों के बारे में भी बताया। 
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      डॉ. हीरा लाल ने कहा कि विश्व के अधिकतर देश आज जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणामों, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, गरीबी, आमजन की आय में कमी जैसी तमाम समस्याओं से जूझ रहे हैं जिनका समाधान पुरातन तरीकों से सम्भव नहीं प्रतीत होता, इसके लिए नवप्रयोग (इनोवेशन) आज नितांत जरूरी बन गए हैं। इसी दिशा में किये गए अपने नवप्रयोगों को जब उन्होंने साझा किया तो श्रीलंका के सभी प्रशासनिक अधिकारियों ने दिल खोलकर उन प्रयासों को सराहा।

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