सुशासन दिवस 25 दिसंबर : उदारमना और ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ के प्रतिपालक थे भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी

Good Governance Day (December 25)
Bharat Ratna Atal Bihari Vajpayee was a magnanimous leader and a proponent of the principle of 'Vasudhaiva Kutumbakam' (the world is one family).
 
Bharat Ratna Atal Bihari Vajpayee

(सुरेश पचौरी – विभूति फीचर्स)  25 दिसंबर का दिन भारतीय लोकतंत्र और राजनीति के इतिहास में विशेष महत्व रखता है। यह दिन वंदनीय भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी का जन्मदिवस है, जिसे आज देश सुशासन दिवस के रूप में स्मरण करता है। अटल जी का नाम आते ही मन श्रद्धा, सम्मान और आत्मीयता से भर जाता है। वे केवल एक राजनेता नहीं, बल्कि नैतिकता, शुचिता, गरिमा और मर्यादा के प्रतीक थे।अटल बिहारी वाजपेयी जनसंघ से चुनकर संसद पहुँचने वाले सबसे कम उम्र के सांसदों में से एक थे। अपनी विलक्षण प्रतिभा, शालीन व्यवहार और अद्वितीय भाषण शैली से उन्होंने संसद में ऐसी अमिट छाप छोड़ी, जो आज भी अनुकरणीय है।

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पत्रकार से प्रधानमंत्री तक का प्रेरक सफर

अटल जी के सार्वजनिक जीवन की शुरुआत पत्रकारिता से हुई। कालांतर में वे लेखक, कवि और साहित्यकार के रूप में भी प्रतिष्ठित हुए। जनसंघ के संस्थापक सदस्य, कई बार सांसद, विदेश मंत्री, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और तीन बार देश के प्रधानमंत्री—इन सभी दायित्वों को निभाते हुए भी उनके व्यक्तित्व में विनम्रता और साधुता बनी रही। सत्ता और पद कभी उनके अहंकार का कारण नहीं बने। राजनीति की काजल-कोठरी में रहते हुए भी उनके जीवन पर कोई दाग नहीं लगा।

भारतीय राजनीति के अजातशत्रु

अटल बिहारी वाजपेयी का संपूर्ण जीवन शांति, सह-अस्तित्व, समता, न्याय और बंधुत्व के मूल्यों पर आधारित रहा। वे सच्चे अर्थों में राष्ट्रवादी थे, जो राष्ट्रीय हित के प्रश्नों पर दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सोचते और निर्णय लेते थे। टकराव नहीं, सहयोग उनके राजनीतिक दर्शन का मूल था।

चाहे सत्ता में हों या विपक्ष में, अटल जी संवाद और सहमति में विश्वास रखते थे। संसद में जब वे बोलते थे, तो विरोधी दल भी उन्हें गंभीरता से सुनते थे। यह सम्मान भय से नहीं, बल्कि उनके व्यक्तित्व की विश्वसनीयता से उपजा था। यही कारण है कि वे भारतीय राजनीति के अजातशत्रु कहलाए।

विकास पुरुष के रूप में अटल जी

प्रधानमंत्री के रूप में अटल जी ने पारदर्शी, जवाबदेह और जनहितैषी शासन व्यवस्था की मजबूत नींव रखी। स्वर्णिम चतुर्भुज योजना के माध्यम से उन्होंने देश को सड़क नेटवर्क से जोड़ा। किसान क्रेडिट कार्ड, सार्वजनिक वितरण प्रणाली का सुदृढ़ीकरण और सर्व शिक्षा अभियान जैसे कदम उनके दूरदर्शी नेतृत्व के प्रमाण हैं।

वे भारत को आर्थिक और सैन्य दृष्टि से सशक्त राष्ट्र के रूप में देखना चाहते थे। पोखरण परमाणु परीक्षण ने भारत को वैश्विक मंच पर सामरिक शक्ति के रूप में स्थापित किया। वहीं, संयुक्त राष्ट्र महासभा में हिन्दी में दिया गया उनका भाषण भाषा और सांस्कृतिक गौरव का ऐतिहासिक क्षण था।

संवेदनशील, उदार और अभिभावक स्वरूप

अटल जी के साथ मेरे पारिवारिक और आत्मीय संबंध रहे। राजनीति में आने से पहले और बाद में, उनसे जो स्नेह और मार्गदर्शन मिला, वह मेरे लिए अमूल्य है। राज्यसभा में रहते हुए, भले ही मैं विपक्ष में था और कई बार सरकार की आलोचना करता था, लेकिन अटल जी ने कभी इसे व्यक्तिगत रूप से नहीं लिया। वे कहते थे—“मुखरता के साथ बोला करो।”

उनका विशाल हृदय सत्ता में रहते हुए भी दिखाई देता था। एसपीजी (संशोधन) विधेयक 2003 इसका जीवंत उदाहरण है, जब उनके निर्देश पर पूर्व प्रधानमंत्रियों के बच्चों को थ्रेट परसेप्शन के आधार पर सुरक्षा देने का निर्णय लिया गया। यह राजनीति में प्रतिशोध नहीं, बल्कि उदारता का उदाहरण था।

‘राष्ट्र प्रथम’ का जीवंत प्रतीक

अटल बिहारी वाजपेयी के लिए राष्ट्र सर्वोपरि था। “भारत प्रथम” उनके जीवन का मूल मंत्र था। वे सच्चे अर्थों में “उदार चरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्” के प्रतिपालक थे। देश की अस्मिता, गरिमा और आत्मनिर्भरता उनके हर निर्णय में झलकती थी।

वे कहते थे—
“गरीबी कोई गरिमा नहीं, बल्कि विवशता है।”
इस विवशता से देश को मुक्त कराने के लिए उन्होंने जीवन भर प्रयास किया।

अटल जी की विरासत

आज जब भारत तकनीक, विज्ञान और वैश्विक नेतृत्व की दिशा में आगे बढ़ रहा है, उसकी मजबूत नींव अटल जी ने ही रखी थी। वे स्वप्नदृष्टा भी थे और कर्मवीर भी। विदेश यात्राओं के दौरान उन्होंने भारत के लिए स्थायी मित्र बनाए और विश्व मंच पर देश की प्रतिष्ठा बढ़ाई।अटल बिहारी वाजपेयी जैसे शलाका पुरुष विरले ही होते हैं। उनके जाने से राष्ट्र ने एक सच्चा सपूत खो दिया, लेकिन उनकी विचारधारा, मूल्य और सुशासन की अवधारणा आज भी भारत को दिशा दे रही है।

भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जी के जन्मदिवस पर उन्हें कोटिशः नमन।

(लेखक भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री हैं)

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