गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे: संकल्प से सिद्धि तक का एक प्रेरक सफर

कल्प से सिद्धि’ का अनुपम उदाहरण है गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे

जहां सड़क बनाना कठिन था, वहां योगी सरकार ने बना दिया एक्सप्रेसवे

17 जून को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ करेंगे गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे का लोकार्पण

91.35 किमी लंबे एक्सप्रेसवे के निर्माण पर आई है 7283.28 करोड़ रुपये की लागत

 
गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे: संकल्प से सिद्धि तक का एक प्रेरक सफर
गोरखपुर,  जून। उत्तर प्रदेश में विकास की रफ्तार को नई दिशा देने वाली परियोजनाओं में गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे एक बड़ी उपलब्धि के रूप में उभरकर सामने आ रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में यह एक्सप्रेसवे उस मंत्र को साकार कर रहा है जिसे वह अक्सर दोहराते हैं—"संकल्प से सिद्धि"। यह परियोजना दिखाती है कि मजबूत इच्छाशक्ति से कठिन से कठिन कार्य भी सफलता पूर्वक पूरे किए जा सकते हैं।

जहां सड़क बनाना भी मुश्किल था, वहां बना एक्सप्रेसवे

गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे का मार्ग मुख्य रूप से निम्न भू-भाग (लो लैंड) से होकर गुजरता है—जहां सामान्य सड़कें भी हर साल क्षतिग्रस्त हो जाया करती थीं। लेकिन मुख्यमंत्री के नेतृत्व में इस चुनौतीपूर्ण क्षेत्र में एक पूरी तरह से नियंत्रित एक्सप्रेसवे का निर्माण कर पाना एक अद्वितीय उदाहरण है।

यह एक्सप्रेसवे गोरखपुर से शुरू होकर आजमगढ़ के सालारपुर में जाकर पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से जुड़ता है, और इस प्रकार लखनऊ, आगरा और दिल्ली के लिए तेज़ और सुविधाजनक यात्रा सुनिश्चित करता है।

 गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे: परियोजना की रूपरेखा

विवरण जानकारी
प्रारंभ बिंदु जैतपुर (गोरखपुर बाईपास, NH-27)
अंत बिंदु सालारपुर (आजमगढ़) में पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से कनेक्शन
लंबाई 91.35 किलोमीटर
कुल लागत ₹7283.28 करोड़ (भूमि अधिग्रहण समेत)
प्रभावित जिले गोरखपुर, संत कबीर नगर, अंबेडकर नगर, आजमगढ़
प्रवेश नियंत्रण पूर्णतः प्रवेश नियंत्रित (फोरलेन, छह लेन में विस्तार योग्य)

 प्रमुख ढांचागत विशेषताएं

  • 9 टोल / रैम्प प्लाजा

  • 9 रैम्प (चढ़ने-उतरने हेतु)

  • 7 फ्लाईओवर

  • 8 बड़े पुल, 14 छोटे पुल

  • 49 पैदल अंडरपास

  • 55 लघु वाहन अंडरपास

  • 20 वाहन अंडरपास और 1 वाहन ओवरपास

  • 2 जनसुविधा परिसर, 2 टॉयलेट ब्लॉक

 यात्रा होगी और आसान – सिर्फ साढ़े तीन घंटे में लखनऊ

एक्सप्रेसवे की पूर्ण कनेक्टिविटी के बाद, गोरखपुर से लखनऊ तक की दूरी मात्र साढ़े तीन घंटे में तय की जा सकेगी। इसके साथ ही आगरा और दिल्ली की ओर यात्रा भी कहीं अधिक तेज़ और सहज हो जाएगी। प्रवेश नियंत्रित ढांचे के कारण वाहन ईंधन की बचत करेंगे, जिससे पर्यावरणीय प्रदूषण में कमी और समय की बचत दोनों सुनिश्चित होंगे।

 एक्सप्रेसवे से व्यापक विकास की उम्मीद

इस एक्सप्रेसवे के माध्यम से सिर्फ यातायात सुविधा नहीं बढ़ेगी, बल्कि इससे जुड़े क्षेत्रों में कृषि, वाणिज्य, पर्यटन, उद्योग और रोजगार के नए अवसर भी विकसित होंगे। योगी सरकार एक्सप्रेसवे के दोनों किनारों पर इंडस्ट्रियल कॉरिडोर विकसित कर रही है, जिससे स्थानीय स्तर पर औद्योगिक इकाइयों को गति मिलेगी।

 'लिंक' नाम का एक्सप्रेसवे, लेकिन 'लाभ' व्यापक

इस परियोजना से प्रभावित जिलों को न सिर्फ तेज़ संपर्क मिलेगा, बल्कि यह एक्सप्रेसवे इन क्षेत्रों को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रमुख आर्थिक क्षेत्रों से भी जोड़ेगा। यह यूपी की एक्सप्रेसवे-आधारित औद्योगिक रणनीति में एक मजबूत कड़ी है।

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