फेक और डीपफेक खबरों पर सख्त हुई सरकार, सभी मीडिया प्लेटफॉर्म्स के लिए कानूनी ढांचा और मजबूत

The government has taken a tough stance on fake and deepfake news, strengthening the legal framework for all media platforms.
 
फेक और डीपफेक खबरों पर सख्त हुई सरकार, सभी मीडिया प्लेटफॉर्म्स के लिए कानूनी ढांचा और मजबूत

दिल्ली | 13 दिसंबर 2025  :  सरकार ने देश में तेजी से फैल रही फेक न्यूज और एआई-जनित डीपफेक कंटेंट पर प्रभावी नियंत्रण के लिए सभी मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लागू कानूनी और संस्थागत ढांचे को और मजबूत किया है। साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया है कि इस प्रक्रिया में रचनात्मक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।

सरकार ने माना है कि झूठी, भ्रामक और तथ्यहीन सूचनाएं लोकतांत्रिक व्यवस्था, सार्वजनिक व्यवस्था और सामाजिक विश्वास को नुकसान पहुंचा सकती हैं। भारतीय नागरिकों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता संविधान के अनुच्छेद 19(1) के तहत सुरक्षित है, लेकिन इसके दुरुपयोग को रोकना भी आवश्यक है।

फेक न्यूज क्या है?

फेक न्यूज को ऐसी जानकारी के रूप में परिभाषित किया गया है, जो या तो तथ्यात्मक रूप से गलत हो, भ्रामक हो या अधूरे सत्य पर आधारित हो और जिसे समाचार के रूप में प्रस्तुत किया जाए। सरकार ने बताया कि ऐसी सामग्री से निपटने के लिए पहले से ही व्यापक नियम और निगरानी तंत्र मौजूद हैं।

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए नियम

टेलीविजन चैनलों को केबल टेलीविजन नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम, 1995 के तहत निर्धारित कार्यक्रम संहिता का पालन करना अनिवार्य है।
इस कानून के तहत—

  • अश्लील, मानहानिकारक, जानबूझकर झूठी या भ्रामक सामग्री पर रोक है

  • अधिनियम के अंतर्गत तीन-स्तरीय शिकायत निवारण तंत्र लागू है:

    • स्तर 1: प्रसारकों द्वारा स्व-नियमन

    • स्तर 2: प्रसारकों की स्व-नियामक संस्थाएं

    • स्तर 3: केंद्र सरकार द्वारा पर्यवेक्षण

नियमों के उल्लंघन पर चेतावनी, परामर्श, माफीनामा प्रसारित करने या अस्थायी रूप से चैनल ऑफ-एयर करने जैसे कदम उठाए जाते हैं।

प्रिंट मीडिया के लिए आचार संहिता

प्रिंट मीडिया पर भारतीय प्रेस परिषद (PCI) द्वारा निर्धारित पत्रकारिता आचार संहिता लागू है।
यह संहिता—

  • फेक, मानहानिकारक और भ्रामक समाचारों के प्रकाशन पर रोक लगाती है

  • शिकायत मिलने पर PCI जांच कर सकती है

  • दोषी पाए जाने पर संबंधित अखबार, संपादक या पत्रकार को चेतावनी या फटकार लगाई जाती है

डिजिटल मीडिया और सोशल प्लेटफॉर्म्स पर नियंत्रण

आईटी नियम, 2021 के तहत डिजिटल मीडिया और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर समाचार और करंट अफेयर्स से जुड़े कंटेंट के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश तय किए गए हैं।

मुख्य प्रावधान—

  • प्लेटफॉर्म्स को यह सुनिश्चित करना होगा कि उपयोगकर्ता झूठी या भ्रामक जानकारी साझा न करें

  • प्रत्येक प्लेटफॉर्म को शिकायत निवारण अधिकारी नियुक्त करना अनिवार्य है

  • शिकायतों का समयबद्ध निपटारा जरूरी

  • आईटी नियमों के भाग-II के तहत मध्यस्थों को स्पष्ट रूप से झूठी या भ्रामक सूचनाओं के प्रसार को रोकने की जिम्मेदारी दी गई है

सरकार आवश्यकता पड़ने पर आईटी अधिनियम की धारा 69A के तहत आदेश जारी कर सकती है, खासकर जब मामला देश की संप्रभुता, सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था या विदेश संबंधों से जुड़ा हो।

PIB फैक्ट चेक यूनिट की अहम भूमिका

केंद्र सरकार से जुड़ी फेक खबरों की जांच के लिए प्रेस सूचना ब्यूरो (PIB) के अंतर्गत फैक्ट चेक यूनिट कार्यरत है।

यह इकाई—

  • सरकारी मंत्रालयों और विभागों के अधिकृत स्रोतों से खबरों की पुष्टि करती है

  • भ्रामक खबरों का खंडन करती है

  • सही जानकारी को अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर सार्वजनिक करती है

सरकार का स्पष्ट रुख

सरकार ने कहा है कि उसका उद्देश्य समाज की मूल संस्थाओं पर नागरिकों का भरोसा मजबूत करना है। साथ ही यह सुनिश्चित किया जाएगा कि रचनात्मक स्वतंत्रता बनी रहे, लेकिन झूठी और भ्रामक सूचनाओं से होने वाले नुकसान को प्रभावी रूप से रोका जाए।

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