लखनऊ में श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का भव्य आयोजन
शोभायात्रा का मार्ग और उत्साह
यह शोभायात्रा श्रीराम मंदिर, श्रीहनुमान मंदिर, भुइयां देवी मंदिर, शिव मंदिर और गायत्री मंदिर जैसे क्षेत्र के प्रमुख धार्मिक स्थलों से होकर गुजरी। यात्रा के दौरान श्रद्धालु "श्रीकृष्ण गोविंद हरे मुरारे", "राधे-राधे" और "नारायण-नारायण" जैसे भजनों का उच्चारण करते रहे। गगनभेदी जयकारों, शंखनाद और घंटियों की ध्वनि से पूरा क्षेत्र भक्तिमय हो गया।
वरुण पूजन और मुख्य यजमान
इस भव्य आयोजन की शुरुआत कथा व्यास आचार्य नारायण दास के नेतृत्व में हुई। कथा के मुख्य यजमान अभिषेक द्विवेदी और उनकी पत्नी ने परिवार सहित गोमती तट पर वरुण पूजन संपन्न किया। पूजा के दौरान वातावरण श्रीमद्भागवत महापुराण की जयघोष से गुंजायमान था।
कथा का उद्देश्य और प्रवचन
कथा व्यास आचार्य नारायण दास, जो श्रीभरत मिलाप आश्रम, ऋषिकेश से पधारे हैं, ने बताया कि श्रीमद्भागवत कथा का उद्देश्य भौतिकवाद, जातिवाद और क्षेत्रवाद के भ्रम में भटकने के बजाय अपने स्वधर्म और कर्तव्य को पहचानते हुए जीवन के परम लक्ष्य, मोक्ष की प्राप्ति है। उन्होंने कथा को जीवन का आध्यात्मिक मार्गदर्शक बताया।
आयोजन समिति और प्रबंधन
इस आयोजन की पूरी व्यवस्था श्रीराधे परिवार ट्रस्ट द्वारा की गई, जिसका संचालन के.के. श्रीवास्तव ने किया। उनके साथ श्री दीपक तिवारी, पं. राम सागर तिवारी, पं. मंगल तिवारी, सौरभ पांडेय, प्रशांत सिंह, मानव श्रीवास्तव, राघवेंद्र सिंह और सुरेंद्र वर्मा ने भी आयोजन में सहयोग दिया।
कथा की समय
यह कथा 23 दिसंबर 2024 से प्रारंभ होकर 29 दिसंबर 2024 तक चलेगी। कथा के समापन के दिन हवन और भव्य भंडारे का आयोजन किया जाएगा, जिसमें बड़ी संख्या में भक्तगण प्रसाद ग्रहण करेंगे। यह आयोजन न केवल धार्मिक उत्सव का प्रतीक है, बल्कि समाज में एकता और सांस्कृतिक मूल्यों को भी बढ़ावा देता है।