नेशनल कॉन्फ्रेंस "इंटेलेक्चुअल प्रोपेर्टी राइट्स इन इनोवेशन, सोसाइटी एंड इकोनॉमी" का भव्य समापन

राष्ट्रीय सम्मलेन "इंटेलेक्चाुअल प्रॉपर्टी राइट्स इनोवेशन, सोसाइटी एंड इकोनोमी" का भव्य समापन
राष्ट्रीय सम्मलेन "इंटेलेक्चाुअल प्रॉपर्टी राइट्स इनोवेशन, सोसाइटी एंड इकोनोमी" का भव्य समापन
बलरामपुर 17 नवंबर: दो दिवसीय नेशनल कॉन्फ्रेंस "इंटेलेक्चुअल प्रापर्टी राइट्स इन इनोवेशन, सोसाइटी एंड इकोनॉमी" का आज सफलतापूर्वक समापन हुआ। इस सम्मेलन का आयोजन शोध और नवाचार के क्षेत्र में बौद्धिक संपदा अधिकारों (IPR) के महत्व को रेखांकित करने और उनके सामाजिक-आर्थिक प्रभावों पर विचार-विमर्श करने के उद्देश्य से किया गया।


कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन की शुरुआत ऑफलाइन और ऑनलाइन माध्यमों में आयोजित तकनीकी सत्रों से हुई,। जिनमें विशेषज्ञों, शोधकर्ताओं और शिक्षाविदों ने बौद्धिक संपदा अधिकारों के विभिन्न पहलुओं पर गहन चर्चा की। प्रतिभागियों ने पेटेंट, कॉपीराइट, ट्रेडमार्क, और बौद्धिक संपदा के अन्य महत्वपूर्ण आयामों पर अपने विचार प्रस्तुत किए।

चौथे तकनीकी सत्र की अध्यक्षता एम एल के महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य डॉ आर बी श्रीवास्तव ने की। इस सत्र में मुख्य वक्ता रहे डॉ राजू तिवारी जो मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स व गवर्नमेण्ट ऑफ इंडिया में कंट्रोलर ऑफ पेटेंट्स एंड डिज़ाइनस है। अपने उद्बोधन के दौरान उन्होंने इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स के विभिन्न प्रकारों की जानकारी देते हुए इस क्षेत्र में जुड़े रोजगार के बारे में भी चर्चा की। उन्होंने अपने उदबोधन में आविष्कार और खोज को परिभाषित किया और बताया कि आविष्कार वो है जिसमे आविष्कारी कदम हो। कॉपीराइट, जी आई, पेटेंट्स व ट्रेड मार्क के बारीकियों को स्पष्ट करते हुए इनमे जुड़े रोजगार के अवसरों की चर्चा की। तकनीकी सत्र पाँचवे में मुख्य वक्ता मेजर प्रभाकर देव सिंह रहे। अपने उद्बोधन में विभिन्न दृष्टान्तों के माध्यम से ये बताया कि कैसे फेक प्रोडक्ट्स राष्ट्रीय सुरक्षा में बाधक है। उन्होंने बताया कि नवाचार हमारे राष्ट्र के लिए बहुत ही आवश्यक है। और कहा कि विचार ही नवाचारों को प्रेरित करते है और विकास को बढ़ावा देते है।

दोपहर में आयोजित वैलेडिक्टरी सेशन कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण रहा। इस सत्र की अध्यक्षता डॉ आर बी श्रीवास्तव ने की। मुख्य अतिथि के रूप में डॉ राजू तिवारी व विशेष अतिथि के रूप में एम एल के महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य प्रोफेसर राजेश सिंह थे। डॉ आर बी श्रीवास्तव सर् ने अपने अध्यक्षीय उदबोधन के दौरान इस सेमिनार के सफल आयोजन हेतु ऑर्गनाइजिंग समिति को बधाई देते हुए अपना आशीर्वचन प्रदान किया।

प्रतिभागियों ने इस सम्मेलन को अपने विचारों और शोध को साझा करने के लिए एक प्रभावी मंच बताया। जिसने सभी प्रतिभागियों और आयोजकों में गर्व और उत्साह की भावना का संचार किया। अंत में, कार्यक्रम के आयोजक डॉ. प्रखर त्रिपाठी ने सभी को धन्यवाद देते हुए कहा, "यह सम्मेलन न केवल बौद्धिक संपदा अधिकारों की समझ को बढ़ाने में सहायक रहा, बल्कि विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं को एक साझा मंच प्रदान करने में भी सफल रहा।"
उन्होंने सभी अतिथियों, प्रतिभागियों और आयोजन टीम का धन्यवाद करते हुए भविष्य में और भी ऐसे कार्यक्रम आयोजित करने की आशा व्यक्त की। मंच संचालन डॉ स्वदेश भट्ट व डॉ मनोज सिंह ने किया। डॉ बी एल गुप्ता ने दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस की संक्षिप्त सारांश प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ। इस अवसर पर प्रोफेसर एम अंसारी, प्रोफेसर वीना सिंह, प्रोफेसर एस पी मिश्रा, डॉ शिवमहेन्द्र, डॉ रामरहीस, डॉ ओ पी सिंह, डॉ प्रमोद यादव, डॉ जितेन्द्र कुमार,  संदीप यादव, दिनेश कुमार, अभिषेक सिंह, महाविद्यालय के विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष, शिक्षकगण व छात्र व छात्रायें उपस्थित थे।

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