वीरांगना शब्द से उन सैनिकों की पत्नियों को संबोधित किया

किंतु खेद व्यक्त करता हूं मीडिया के बंधुओं के शब्द ज्ञान पर। हिंदी शब्दावली में "वीर " शब्द का आशय युद्ध के मैदान अथवा एरिया ऑफ एक्शन में वीरता पूर्ण कार्य करने वाले पुरुष से होता है यथा वीर अब्दुल हमीद। इसी भांति युद्ध के मैदान या एरिया ऑफ एक्शन में वीरता पूर्ण कार्य करने वाली महिलाएं वीरांगना कहलाती हैं यथा वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई, वीरांगना झलकारी बाई, रानी दुर्गावती आदि। अर्थात वीरतापूर्ण कार्य करने वाले ही वीर या वीरांगना कहलाने के अधिकारी होते हैं न कि उनके पति या पत्नियां। शब्दों और उनके निहितार्थ का मीडिया के बंधु मजाक न बनाए और पत्रकार एवम संपादक गण युवा पीढ़ी में शब्द भ्रम न पैदा करें। वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई के पति राजा तो थे किंतु अपने जीवन काल में वीर की पदवी नहीं प्राप्त कर सके। वीर अब्दुल हमीद की पत्नी को कभी भी वीरांगना के रूप में नहीं याद किया जाता।
इसी भांति शहीद शब्द का भी गलत परिप्रेक्ष्य में प्रयोग मीडिया के द्वारा करते देखा गया है। शहीद शब्द उस व्यक्ति और विशेषतः उस सैनिक के लिए उपयोग किया जाना चाहिए जो की देश के दुश्मनों के साथ युद्ध के मैदान या एरिया ऑफ एक्शन में लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त करे। क्षमा पूर्वक कहना चाहता हूं कि यदि दुश्मन बंकर में सोए हुए सैनिक को मौत के घाट उतार दे, घात लगाकर सैनिक छावनी या कुमुक पर हमला करके सैनिकों को मौत के घाट उतार दे , सैनिक को अपनी लैंड माइन का शिकार बना कर उन्हें मारने की अपनी योजना में सफल हो जाएं तो इसे सैनिक की पेशागत अपरिपक्वता, अक्षमता या दुर्घटना के कारण मौत कहा जाना चाहिए न कि शहीदी।
सैनिक की किसी भी परिस्थिति में जान जाना ही शहीदी कतई नहीं कहा जा सकता। अनेक बार ऐसा देखा गया है कि हाई टेंशन इलेक्ट्रिक टावर पर कार्य करता हुआ मजदूर, सड़क पर वाहन चलाता वाहन चालक, कोयले आदि की खदानों में कार्य करते हुए श्रमिक भी कार्य स्थल पर अपनी जान गंवा देते हैं किंतु उनके अपने कार्य स्थल पर जान गंवा देने को मात्र दुर्घटना की संज्ञा दी जाती है न कि शहीदी की। अतः शहीदी शब्द को ही शहादत का शिकार न बनाया जाय।
इसी भांति विज्ञापन जगत के लोगों द्वारा एक नामी कंपनी के विज्ञापन में "
शुद्ध गाय का देशी घी " वाक्य का प्रयोग देखा जा सकता है। इस वाक्य में शुद्ध शब्द गाय के पहले प्रयुक्त हुआ है और गाय की शुद्धता को प्रकट करता है न कि घी की। वास्तव में वाक्य होना चाहिए था " . गाय का शुद्ध देशी घी" जिसमें शुद्ध शब्द देशी घी के पहले प्रयुक्त हो रहा है और गाय की नहीं घी की शुद्धता प्रकट करता है। मीडिया जन को अपने उल्लेखों में सदैव निहितार्थ को दृष्टिगत रखते हुए ही शब्द का चयन करना चाहिए ताकि छात्रों युवाओं एवं पाठकों में शब्द का उचित उपयोग एवं भाषा की प्रवीणता मजबूत हो।