होला महल्ला गुरमति समागम के रुप में मनाया गया

Hola Mohalla was celebrated as Gurmati Samagam.
Hola Mohalla was celebrated as Gurmati Samagam.
लखनऊ। दशमेश पिता साहिब श्री गुरू गोबिन्द सिंह जी महाराज द्वारा आरम्भ की गयी परम्परानुसार खालसे की चढ़दी कला एवं न्यारेपन का प्रतीक होला महल्ला गुरमति समागम के रुप में श्री गुरु सिंह सभा ऐतिहासिक गुरूद्वारा श्री गुरू नानक देव जी श्री गुरू सिंह सभा नाका हिण्डोला, लखनऊ में बड़ी श्रद्धा एवं हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।

इस अवसर पर प्रातः 6 बजे श्री सुखमनी साहिब के पाठ से दीवान आरम्भ हुआ जो दोपहर 1.30 बजे तक चला जिसमें रागी जत्था भाई राजिन्दर सिंह जी ने अपनी मधुरवाणी में 


1- होली कीनी संत सेवा। रंग लागा अति लाल देव।। 
2- लाल रंग जिस कउ लगा जिस के वडभागा, मैला कदे न होवइ न लागे दागा।
शबद कीर्तन गायन कर आई साध संगत को भाव विभोर करते हुए गुरबाणी के रंगों में भिगोया तत्पश्चात ज्ञानी सुखदेव सिंह जी ने होली की महत्ता और सत्य की विजय के सम्बन्ध गुरमत विचारों से अवगत कराते हुए कहा कि आज ही के दिन सरबंस दानी साहिब श्री गुरू गोबिन्द सिंह जी महाराज ने आनन्दपुर साहिब में होला महल्ला मनाने की विधि सिखाई। अकाल पुरख की बन्दगी एवं रसमयी कीर्तन से इस दिन नगर कीर्तन निकालते एवं सिंहों के दो दल बनाकर मुकाबले करवाते और शेर दिलों को पुरस्कार देते और इत्र एवं स्वच्छ गुलाल से होला महल्ला मनाते थे सांसारिक रंगों से दूर रहकर गुरबाणी के रंगों में रंग प्रभु भक्ति में लीन रहने का उपदेश देते थे। इस अवसर पर दशमेश सेवा सोसाइटी द्वारा खेलों का आयोजन भी किया गया और विजेताओं को पुरस्कार दिए गए कार्यक्रम का संचालन सतपाल सिंह मीत ने किया।  दीवान की समाप्ति के पश्चात् लखनऊ गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी एवं ऐतिहासिक गुरूद्वारा श्री गुरू नानक देव जी नाका हिंडोला के अध्यक्ष स0 राजेन्द्र सिंह बग्गा ने आई समूह संगत को होले महल्ले की बधाई दी। उसके उपरांत दशमेश सेवा सोसाइटी के सदस्यों द्वारा गुजिया एवं गुरु का लंगर वितरित किया गया।

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