अमीर भारत को कैसे और कितना गरीब कर गए अंग्रेज़?

How the Britishers plundered a humongous 64.82 Lacs Crore Dollar from India.. Enough to wrap London city 4 times
 
 
अमीर भारत को कैसे और कितना गरीब कर गए अंग्रेज़?
आप बचपन से सुनते चले आए होंगे कि एक दौर में भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था... वो इसलिए क्योंकि यहां सोना काफी ज़्यादा मात्रा में था...‌ इसके अलावा भी कई और बेशकीमती Metals भी काफ़ी क्वांटिटी में थे... साथ ही, भारत में Natural Resources, Gems और Minerals भी भरपूर मात्रा में थे... भारत की समृद्धि के कई कारण थे, जिनमें से एक बिजनेस एंड कॉमर्स भी था... 

ये वही दौर था जब भारत की जीडीपी दुनिया में सबसे ज़्यादा थी... ये कोई 400 साल पहले की बात है... तब भारत में महान मुग़ल बादशाह अकबर का साम्राज्य था... तब भारत को अमेरिका और ब्रिटेन से ज्यादा धनवान कहा जाता था... रिसर्च बताती हैं कि शुरुआती 1800 सालों में भारत या तो सबसे बड़ी इकोनॉमी रही या फिर दूसरे नंबर की.

अंग्रेजों के आने के बाद हमारा देश संसाधनों और समृद्धि के लिहाज़ से खोखला होने लगा. International Investment Management Sector की जानी मानी कंपनी "Aberdeen Asset Management" की एशिया ब्रांच ने एक रिपोर्ट पब्लिश की थी..इस रिपोर्ट का नाम था इंडिया- The Giant Awakens..रिपोर्ट कहती है कि जब सम्राट अकबर का भारत में साम्राज्य था, उस समय भारत के लोग अमेरिकियों, चीनियों और ब्रिटैनियों के कंपैरिज़न में ज़्यादा अमीर थे...

इस रिपोर्ट के मुताबिक, 17वीं शताब्दी में मुगल सम्राट अकबर के शासन में Revenue 17.5 मिलियन पाउंड तक पहुंच गया था... उस समय ग्लोबल जीडीपी में भारत का हिस्सा 25.9 फीसदी था... ये समझ लीजिए कि अकबर के दौर में भारत के पास पैसा इतना ज़्यादा था कि सोने की मुहरें और चांदी के सिक्के चलते थे... इनका दूसरे साम्राज्यों से Exchange हो जाता था... मतलब जो हैसियत आज अमेरिका की है उससे कहीं ज़्यादा उस वक़्त हिंदुस्तान की हैसियत पूरे दुनिया में थी...

यूरोपियन travelers के ऐतिहासिक दस्तावेज़ बताते हैं उस वक़्त हिंदुस्तान के भव्य मुग़ल सल्तनत की चकाचौंध को देखकर यूरोपियन लोगों की आंखें फटी की फटी रह जाती थीं... उस वक़्त लखनऊ, दिल्ली और हैदराबाद को वो दर्जा हासिल था जो आज पेरिस और न्यूयॉर्क को है... लेकिन फिर हमारे देश में एंट्री होती है अंग्रेज़ों की... इतिहासकारों के मुताबिक, अंग्रेजों का भारत में 24 अगस्त, 1608 को arrival हुआ था... अंग्रेजों का भारत में आने का मकसद भारत में बिज़नेस करना था... ऐसे में अंग्रेज़ों ने पहली बार जेम्स फर्स्ट के राजदूत सर थॉमस रॉ की अगुवाई में कारखाना खोला था... आपको बता दें कि ये कारखाना सूरत में खोला गया था, इसके बाद ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपना दूसरा कारखाना मद्रास में खोला था... फिर इस कंपनी ने भारत की सत्ता पर कब्जा कर लिया और इसने देश को लगभग 200 सालों तक गुलामी की ज़ंजीरों में जकड़े रखा.

ब्रिटिश राज के शुरू होने के साथ भारत की अर्थव्यवस्था में जो गिरावट शुरू हुई तो ये 1970 तक गिरती ही रही... हालांकि, 1991 से भारत‌ की जीडीपी में सुधार होना शुरू हो गया था.चलिए अब आते हैं सीधे मुद्दे पर... दरअसल, Oxfam International की एक रिपोर्ट सामने आई है... इसमें खुलासा हुआ है कि अंग्रेज़ों ने अपने शासनकाल में भारत को जमकर लूटा... 1765 से 1900 तक अंग्रेजों ने भारत से 64.82 ट्रिलियन डॉलर यानी 5611 लाख करोड़ रुपये की लूट मचाई थी..

रिपोर्ट के मुताबिक, इसमें से 33.8 ट्रिलियन डॉलर की रकम 10 फीसदी अंग्रेजों में बांटी गई... दावोस में World Economic Forum की सलाना बैठक में इस रिपोर्ट को सार्वजनिक किया गया है... Oxfam International ने अपनी रिपोर्ट में ये भी बताया है कि अंग्रेजों की इस लूट का असर भारत के Industrial Production पर पड़ा... Global Industrial Production में भारत की हिस्सेदारी 1750 में 25 फीसदी थी, जो 1900 तक गिरकर सिर्फ 2 फीसदी ही बची... 

इसकी वजह ये भी थी कि ब्रिटेन ने भारतीय कपड़ों के खिलाफ कठोर नीतियों को लागू किया... इससे प्रोडक्शन पर अपोज़िट इंपैक्ट पड़ा... सिर्फ 135 साल की लूट ने ब्रिटेन में अंग्रेजों की कई पीढ़ियों को अमीर बना दिया है... जी हां, अंग्रेजों ने भारत से कितनी संपत्ति लूटी है? इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि अगर कुल भारतीय संपत्ति को 50 ब्रिटिश पाउंड के नोट में विभाजित किया जाए और इसके बाद इन्हें जमीन पर बिछाया जाए तो पूरे लंदन शहर को चार बार ढका जा सकता है... रिपोर्ट में ये भी दावा किया गया कि 10 फीसदी अंग्रेजों के पास सबसे ज़्यादा संपत्ति पहुंची है... मगर ब्रिटेन के मिडिल क्लास को भी इसका फायदा फायदा पहुंचा है... लगभग 32 फीसदी पैसा मिडिल क्लास तक पहुंचा है...

वैसे Oxfam International की इस रिपोर्ट में अंग्रेजों की क्रूरता का भी खुलासा हुआ है... 1891 से 1920 के बीच Colonial policies की वजह से भारत को अकाल, बीमारी और गरीबी का सामना करना पड़ा... इस वजह से 5.9 करोड़ मौतें भी हुई हैं... सबसे भयानक तस्वीर 1943 में बंगाल में अकाल के दौरान देखने को मिली... अकाल से लगभग 30 लाख लोगों की जानें गई थीं... Oxfam की रिपोर्ट ने Global inequality को भी उजागर किया है... इसमें कहा गया कि ग्लोबल साउथ में मजदूरी ग्लोबल नॉर्थ के कंपैरिज़न में समान काम के मुकाबले 87-95 फीसद तक कम है... रिपोर्ट में Multinational Companies को colonialism की देन कहा गया है...
भारत समेत ग्लोबल साउथ में Multinational Companies के ज़रिए Economic exploitation जारी है... इन कंपनियों का ग्लोबल सप्लाई चेन पर कंट्रोल है... developing countries में सस्ती मजदूरी पर शोषण करती हैं... और फायदे को ग्लोबल नॉर्थ देशों की तरफ भेजती हैं...

सोना, चांदी, हीरे, जावरात तो अंग्रेज़ों ने भर भर कर लूटा... लेकिन चलिए अब आपको वो बेशकीमती चीज़ों के बारे में बता देते हैं, जिन्हें अंग्रेज चुराकर ब्रिटेन ले गए..सबसे पहले बात करते हैं कोहिनूर हीरे की... आंध्र प्रदेश के कोल्लूर खदान से निकला कोहिनूर हीरा आज भी दुनिया का सबसे मशहूर हीरा है, जो कि ब्रिटेन की महारानी के मुकुट पर लगा हुआ है... इसका वज़न 21.6 ग्राम है और 105.6 मीट्रिक कैरेट का है... मौजूदा वक्त में इसे टावर ऑफ लंदन के ज्वेल हाउस में रखा गया है... एक वक्त कोहिनूर मुगल बादशाह के मयूर सिंहासन में लगा हुआ था... इसके बाद ये पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह के पास भी रहा था... अंग्रेजों ने इसे लूटकर साल 1849 में इसे ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया को सौंप दिया था...

चलिए अब बात करते हैं टीपू सुल्तान की अंगूठी और तलवार के बारे में जिन्हें अंग्रेज अपने साथ ले गए थे... साल 1799 में मैसूर के शासक टीपू सुल्तान और अंग्रेजों के दरमियां श्रीरंगपट्टनम का युद्ध हुआ था... इसमें टीपु सुल्तान की हार हुई और उनकी मौत हो गई थी... कहा जाता है कि अंग्रजों ने टीपू की लाश से तलवार और अंगूठी को चुरा लिया था... इसके अलावा भी कई और बेशकीमती चीजें थीं जिन्हें चुराकर अंग्रजों ने ब्रिटेन भेज दिया गया था... कई साल पहले ऐसी खबरें आई थी भगोड़े कारोबारी विजय माल्या ने टीपू की तलवार को खरीद लिया था... हालांकि, अब भी ये पता नहीं चल सका है कि ये तलवार है कहां... टीपू की अंगूठी आज भी ब्रिटेन में है... आपको बता दें कि इस अंगूठी पर देवनागरी लिपि में श्रीराम का नाम लिखा हुआ है...

 शाहजहां का वाइन कप भी उन बेशकीमती चीज़ों में से है जिन्हें अंग्रेज चुरा कर ले गए थे... जी हां, मुगल बादशाह शाहजहां के महल में कई बेशकीमती सामान थे... इसी में से एक था precious रत्न Jade से बना उनका वाइन पीने का कप... 19वीं सदी में अंग्रेजों ने अपनी सत्ता आने के बाद इसे भी चोरी-छीपे ब्रिटेन भेज दिया था... जानकारी के मुताबिक 19वीं सदी में कर्नल चार्ल्स सेटन गुथरी ने शाहजहां के इस वाइन कप को चुराकर ब्रिटेन भेज दिया था... इसे साल 1962 से इसे लंदन के विक्टोरिया और अल्बर्ट संग्रहालय में रखा गया है...

चलिए अब बात करते हैं सुल्तानगंज बुद्ध की प्रतिमा की... सुल्तानगंज बुद्ध की प्रतिमा अपने-आप में भारतीय वास्तुकला का एक बेहतरीन नमूना है... ये 2 मीटर से ज़्यादा लंबा और 500 किलोग्राम से ज़्यादा वजन की है... साल 1862 में रेलवे निर्माण के दौरान एक ब्रिटिश रेलवे इंजीनियर ई.बी.हैरिस को ये मूर्ति खुदाई के दौरान मिली थी... ऐसा माना जाता है कि ये मूर्ति करीब 700 सालों तक दफन रही थी... अंग्रजों ने इसे भी चुराकर ब्रिटेन भेज दिया... आज भी सुल्तानगंज बुद्ध की प्रतिमा बर्मिंघम म्यूजियम में रखी हुई है...

चलिए अमरावती के मार्बल्स के बारे में भी आपको बता देते हैं... बेहद चमकदार और अनोखी नक्काशी से लैस ये संगमरमर भी ब्रिटिश लूट ले गए थे... साल 1859 में खुदाई के दौरान इन invaluable marbels की बनीं मूर्तियां अंग्रजों को मिली थी... इन मार्बल्स को अंग्रजों ने चोरी-छिपे मद्रास से ब्रिटेन भेज दिया गया था... लंदन के ब्रिटिश संग्रहालय में आज भी इसे देखा जा सकता है... 

बहरहाल, भारत का इतिहास बहुत ही गौरवशाली रहा है... हमारी अनेकों धरोहरें या तो लूट ली गईं या फिर वे जमीन के नीचे दबी हैं... समय-समय पर ये चीजें दुनिया के सामने भी आती रहती हैं... आज भले ही हमारी गिनती दुनिया के गरीब देशों में होती है, लेकिन हम उम्मीद करते हैं कि सोने की चिड़िया का वो दौर एक बार फिर आएगा

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