शरद ऋतु में स्वास्थ्य की देखभाल कैसे करें

How to take care of your health during autumn
 
शरद ऋतु में स्वास्थ्य की देखभाल कैसे करें

(अंजनी सक्सेना – विभूति फीचर्स)

हर ऋतु अपने साथ अलग अनुभूति और आनंद लेकर आती है। शरद ऋतु भी इन्हीं में से एक है, जो सुहावनी ठंड, स्वच्छ वातावरण और मन को सुकून देने वाली धूप के लिए जानी जाती है। हल्की ठंडी हवाएं, कोहरा और स्वच्छ वायु न केवल मन को प्रसन्न करती हैं, बल्कि यह मौसम स्वास्थ्य सुधार के लिए भी अत्यंत अनुकूल माना जाता है।

शरद ऋतु: स्वास्थ्य संवर्धन का उपयुक्त समय

आयुर्वेद के अनुसार शरद ऋतु पाचन शक्ति को मजबूत करने का सर्वोत्तम समय है। इस मौसम में भोजन अच्छी तरह पचता है और शरीर को आवश्यक पोषण मिलता है। व्यायाम, योग और कसरत करने के लिए भी यह ऋतु अत्यंत लाभकारी है, जिससे शरीर का समुचित विकास होता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

पौष्टिक आहार से बढ़ाएं ऊर्जा

शरद ऋतु में बादाम, काजू, किशमिश, अखरोट, मूंगफली, तिल के लड्डू, गजक और अन्य ड्रायफ्रूट्स का सेवन विशेष लाभकारी होता है। इनमें प्रोटीन और ऊर्जा तत्व प्रचुर मात्रा में होते हैं, जो शरीर में गर्मी बनाए रखते हैं और रक्त निर्माण में सहायक होते हैं।

फलाहार की बात करें तो संतरा और किन्नू जैसे फल विटामिन ‘सी’ से भरपूर होते हैं, जो रोगों से बचाव करते हैं। केला और चीकू ऊर्जा प्रदान करते हैं, जबकि अंगूर को स्वास्थ्य के लिए अमृत समान माना गया है।

स्वच्छता से दूर रहें रोग

वर्षा ऋतु के बाद घरों की सफाई, लिपाई-पुताई और रंग-रोगन कराना अत्यंत लाभकारी होता है। इससे घर में छिपे कीटाणु, मच्छर, मक्खियां और अन्य हानिकारक जीव नष्ट होते हैं। पर्याप्त धूप और हवा की व्यवस्था से श्वसन संबंधी रोगों से भी बचाव होता है और घर का वातावरण स्वस्थ बना रहता है।

ठंड से बचाव है जरूरी

सर्दी के मौसम में उचित गर्म कपड़े पहनना अत्यंत आवश्यक है। स्वेटर, कोट, जुराबें, टोपी, मफलर और दस्ताने शरीर को ठंड से बचाते हैं। ऊनी कपड़ों में फंसी हवा शरीर की गर्मी को बनाए रखती है। रात में कंबल या रजाई का प्रयोग कर ठंड से बचाव करना चाहिए।

बच्चों और बुजुर्गों का विशेष ध्यान

बच्चे और बुजुर्ग ठंड से जल्दी प्रभावित होते हैं। बच्चों को नंगे पांव न चलने दें, क्योंकि पैरों से ठंड जल्दी लगती है। बुजुर्गों में ठंड सहन करने की क्षमता कम होती है, इसलिए उन्हें पर्याप्त गर्म कपड़े पहनाएं और ठंड से सुरक्षित रखें। मौसम की अधिकता से बचाव करना सभी के लिए आवश्यक है।

स्नान और पानी पीने की सही विधि

शीत ऋतु में स्नान के लिए हल्के गुनगुने पानी का प्रयोग करना चाहिए। पानी को गैस, अंगीठी या गीजर से गर्म कर उपयोग में लाया जा सकता है। सिर को टोपी और पैरों को गर्म मोजों से ढककर ठंड से सुरक्षा करनी चाहिए।

भोजन के तुरंत बाद ठंडा पानी पीने से बचें। इससे गले में संक्रमण और पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। बेहतर होगा कि भोजन के लगभग आधे घंटे बाद ही पानी पिया जाए, ताकि पाचन क्रिया सुचारु रूप से हो सके।

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