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Trump के टैरिफ से भारत को कैसे होगा फायदा? जानिए कैसे खुलेगा किस्मत का दरवाजा

How will India benefit from Trump's tariff? Know how the door of luck will open
 
How will India benefit from Trump's tariff? Know how the door of luck will open
नई दिल्ली (  नरेन् ) । अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप बुधवार देर रात जब भारत समेत 60 से अधिक देशों पर पारस्परिक शुल्क लगाने की घोषणा कर रहे थे तो भारतीय निर्यातकों को इस ऐतिहासिक एलान से अमेरिका में अपने लिए पहले के मुकाबले बड़े दरवाजे खुलते दिख रहे थे। निश्चित रूप से ट्रंप के इस फैसले से कुछ समय के लिए वैश्विक व्यापार में अनिश्चितता आएगी |

परंतु स्थिति सामान्य होने पर भारत के हिस्से में बड़ा लाभ आ सकता है। भारत अभी देखो और इंतजार करो की नीति पर चलते हुए इसके असर की समीक्षा कर रहा है। सूत्रों का कहना है कि सरकार जल्दबाजी में कोई कदम नहीं उठाएगी। ट्रंप ने न्यूनतम 10 प्रतिशत और अधिकतम 50 प्रतिशत शुल्क लगाया है। भारत पर 27 प्रतिशत शुल्क लगाया गया है। 


नए टैरिफ नौ अप्रैल से लागू होंगे।वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने कहा है कि अमेरिका की घोषणा पर उद्योग जगत, निर्यातकों एवं अन्य हितधारकों के साथ सावधानीपूर्वक विचार-विमर्श किया जा रहा है। वह इस घोषणा से विकसित भारत के लिए अवसर तलाशने में भी जुट गया है। अधिकारियों का कहना है कि टैरिफ की घोषणा देश के लिए झटका नहीं है। मंत्रालय का कहना है कि अमेरिका के साथ भारत की द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) पर वार्ता चल रही है और इस वर्ष सितंबर-अक्टूबर तक बीटीए का पहला चरण पूरा किया जाना है। फेडरेशन आफ इंडियन एक्सपोर्ट आर्गनाइजेशंस (फियो) के महानिदेशक एवं सीईओ अजय सहाय कहते हैं कि बीटीए होने पर भारतीय वस्तुओं पर लगने वाले शुल्क ऐसे ही शून्य हो जाएंगे, इसलिए भारत को इस घोषणा से नुकसान नहीं है।


अमेरिका ने भारत के प्रतिद्वंद्वी देशों चीन पर 34 प्रतिशत, बांग्लादेश पर 37 प्रतिशत, वियतनाम पर 46 प्रतिशत, थाईलैंड पर 36 प्रतिशत, इंडोनेशिया पर 32 प्रतिशत तो कंबोडिया पर 49 प्रतिशत का शुल्क लगाया है। ये देश भारत को अमेरिका के बाजार में इलेक्ट्रानिक्स, जेम्स व ज्वैलरी, गारमेंट्स, खिलौना, केमिकल्स, लेदर आइटम के निर्यात में प्रतिस्पर्धा देते हैं। लिहाजा भारत से इनके निर्यात में बढ़ोतरी होगी। रूस के लिए किसी तरह के टैरिफ का एलान नहीं किया गया है क्योंकि उस पर पहले से प्रतिबंध लागू हैं। ट्रंप ने कहा कि अगर कोई देश पारस्परिक शुल्क समाप्त कराना चाहता है तो वह अमेरिकी वस्तुओं पर अपने शुल्क समाप्त कर दे। इसलिए कई देश अभी ट्रंप सरकार के साथ शुल्क को लेकर बातचीत कर सकते हैं।


ट्रंप ने फार्मा, सेमी-कंडक्टर, तांबा व ईंधन से जुड़े उत्पादों को शुल्क मुक्त रखा है। इसलिए भारत के फार्मा निर्यात पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। भारत के साफ्टवेयर निर्यात पर भी टैरिफ का कोई असर नहीं होगा। एल्युमीनियम, स्टील, आटोमोबाइल्स व आटो पा‌र्ट्स पर सभी देशों के लिए 25 प्रतिशत का शुल्क तय किया गया है। यही भारत पर भी लागू है। शेष भारतीय उत्पादों पर भारत पांच से आठ अप्रैल के बीच 10 प्रतिशत का बेसलाइन टैरिफ लगेगा। उसके बाद नौ अप्रैल से हर देश के लिए अलग-अलग दर के अनुसार टैरिफ 27 प्रतिशत तक बढ़ जाएगा। मई से पारस्परिक शुल्क का असर दिखना शुरू होगा। भारत के इंजीनिय¨रग सामान और विशिष्ट रसायनों पर टैरिफ का सबसे बुरा असर पड़ सकता है। आटोमोबाइल निर्यात पर ज्यादा असर पड़ने की संभावना नहीं है 

क्योंकि इसका अमेरिका को निर्यात कुल निर्यात का लगभग तीन प्रतिशत है।26 प्रतिशत का किया एलान, दस्तावेज में 27 प्रतिशत ट्रंप ने जब बुधवार को भारत के लिए टैरिफ का एलान किया तो उन्होंने इसे 26 प्रतिशत बताया। लेकिन जब बाद में इस संबंध में कार्यकारी आदेश जारी किया गया तो उसमें भारत के लिए टैरिफ की दर 27 प्रतिशत थी। 

अंटार्कटिक पर 10 प्रतिशत टैरिफ, जहां रहते हैं पैंग्विन व सील ट्रंप प्रशासन ने अंटार्कटिक के द्वीपों पर 10 प्रतिशत पारस्परिक शुल्क लगाया है जहां कोई मनुष्य नहीं रहता। अंटार्कटिक के हर्ड द्वीप व मैक्डोनाल्ड द्वीप पैंग्विन, सी-बर्ड एवं सील की आबादी के लिए जाने जाते हैं और वहां सिर्फ समुद्र के रास्ते पहुंचा जा सकता है। इन द्वीपों का प्रशासन आस्ट्रेलिया के पास है।


 पारस्परिक टैरिफ से गिरे बाजार अमेरिकी टैरिफ की घोषणा के बाद गुरुवार को यूरोप और एशिया के शेयर बाजारों में गिरावट आई तथा अमेरिकी वायदा बाजार में भी गिरावट दर्ज की गई। यूरोप में जर्मनी का डीएएक्स 1.7 प्रतिशत और ब्रिटेन में एफटीएसई 100 1.2 प्रतिशत गिर गया। एशिया में टोक्यो का निक्की 225 का सूचकांक चार प्रतिशत, दक्षिण कोरिया का कोस्पी 1.1 प्रतिशत और हांगकांग का हेंगसेंग 1.7 प्रतिशत गिर गया। आस्ट्रेलिया के एसएंडपी/एएसएक्स 200 में 0.9 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। चीनी उत्पाद महंगे होने से भारत को मिल सकते हैं बड़े आर्डरबांग्लादेश, वियतनाम, श्रीलंका, कंबोडिया भी लगा है अधिक शुल्क- भारत उठा सकता है इन देशों पर लगे अधिक शुल्क का फायदा
 

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