आत्मा हूं की अवेयरनेस जगानी है
लखनऊ डेस्क (आर एल पाण्डेय).आत्मा पर किसी की सत्ता नहीं चलती। शस्त्र उसे चीर नहीं सकते, अग्नि जला नहीं सकती, पानी भिगो नहीं सकता, हवा सुखा नहीं सकती। वह स्थिर, निश्चल, नित्य, सर्वव्यापी, सनातन तत्त्व है। उससे उलटा देह को चीरा जा सकता है, जलाया जा सकता है, भिगोया जा सकता है, सुखाया जा सकता है। अलावा वह अस्थिर है, चंचल है, अनित्य है, देशकाल में सीमित ऐसा उसका स्वरूप है। देह के इन सारे विकारों को देखनेवाला मैं साक्षी हूं, चेतन हूं, अखंड, अनंत, अनादि हूं।
आत्मा देह के पर्दे से ढंक गया है तो उस पर्दे को हटाना है। देहबद्ध चेतना को आत्मचिंतन की ओर मोडना है। नाहं देहो अहं आत्मा - मैं देह नहीं, आत्मा हूं की अवेयरनेस जगानी है। उसके लिए झूठे अहम् और सच्चे अहम् का भेद समझना है। देह जड है, आत्मा चेतन है। देह रूप है, आत्मा स्वरूप है।
देह और आत्मा पृथक्करण की वह प्रक्रिया है। आत्मा सत् है, देह असत् है। आत्मा नित्य है, देह अनित्य है। आत्मा शाश्वत है, देह अशाश्वत है। आत्मा सर्वव्यापी है, देह सीमाबद्ध है। आत्मा कालातीत है, देह काला- धीन है। इस तरह अनेक प्रकार से उसका वर्णन कर सकते हैं। गीता-प्रवचन की भाषा में, आत्मा अमर है, देह नश्वर है।
उक्त विचार शाहजहांपुर विनोबा सेवा आश्रम में गीता जयंती समारोह के मुख्य अतिथि केरल के राज्यपाल श्री आरिफ मोहम्मद खान ने भगवान श्रीकृष्ण द्वारा दिये गये कुरुक्षेत्र में दिए गीता उपदेश की विस्तृत व्याख्या करते हुए अपने प्रवचन संदेश में कहा कि हम गीता का।संदेश।है कि कर्म करेंगें तो फल तो मिलेगा। लेकिन उसकी पहले से अपेक्षा करनी गीता के।सिद्धांत के खिलाफ है।
कर्म योग, ध्यान योग, भक्त योग के साथ जोड़ते हुए जब तक यह मानों कि मैं शरीर हूं तब तक अहंकार रहेगा ।तब तक व्यक्ति आत्मां को नहीं पहचान पायेगा। महामहिम ने भारतीय दर्शन शास्त्र के माध्यम से सनातन धर्म के गूढ़ रहस्यों को भी बताते हुए कहा कि धर्म क्षेत्र और कुरु क्षेत्र के श्लोक के साथ वैश्विक संदेश देते हुए कहा। कि धर्म क्षेत्र और कुरू क्षेत्र से धर्म और कुरू हटा दे तो गीता वैश्विक क्षेत्र ही क्षेत्र दिखेगा। उन्होंने यह भी।कहा कि केवल।इंसान ही।ऐसा प्राणी है जो चेतना मय है।और सारे प्राणी दिमाग वाले नहीं । दिमाग से बड़ी बड़ी समस्याएं हल हो जाती हैं।
गीता की प्रस्तावना व्यक्त करते हुए विनोबा रत्न से सम्मानित अजय कुमार पांडे ने कहा कि गीता के बारे में आज।ऐसे महान व्यक्ति के मुख से गीता का प्रसाद मिलने वाला हैं। जिनके कर्म में तो।गीता ही।है।उनका संपूर्ण।जीवन गीतामय है। आज गीता की शिक्षा गांव गांव पहुंचने की जरूरत है। विषय प्रवेश करते हुए विनोबा विचार प्रवाह के संरक्षक रमेश भइया ने कहा कि गीता का विनोबा के जीवन से अदभुत संबंध है इसलिए बाबा कहा करते थे कि गीता का मेरा संबंध तर्क से परे है। बाबा का शरीर मां के दूध पर जितना पला है। उससे कहीं अधिक बाबा के हृदय और बुद्धि का पोषण गीता के दूध पर हुआ है। बाबा प्रायः गीता के वातावरण में ही रहते थे। तभी तो बाबा गीता को अपना प्राणतत्व मानते थे।पूज्य विनोबा जी ने गीता पर प्रवचन धुलिया की जेल में 1932 में किये थे। जिसकी पुस्तक गीता प्रवचन के नाम से हम सबको सुलभ है। मां को मराठी में गीता लिखने का वचन पूरा करने के लिए गीताई पुस्तक की रचना की।
जिसकी कई लाख प्रतियां बाबा के छोटे भाई षिवा जी भावे ने घर घर पहुंचाई थी। गीताई चिंतन्किा बहुत ही गहराई का ग्रंथ विनोबा जी ने तैयार किया। जिसके पाठक काफी समाज में पाये जाते हैं। विनोबा जयंती समारोह में विनोबा विचार प्रवाह के द्वारा नेशनल एक्सप्रेस समूह के संस्थापक श्री विपिन कुमार गुप्ता,राष्ट्रीय युवा योजना के ट्रस्टी श्री अजय कुमार पांडे, नेहरू युवा केंद्र के सी ई ओ श्री उदय शंकर सिंह जी ई ए जी के अध्यक्ष डॉ शिराज वजीह को विनोबा रत्न से राज्यपाल महोदय।के।कर कमलों से सम्मानित किया गया। गीता अध्याय के प्रतीक अठारह विभूतियों को।विनोबा सेवाश्री सम्मान से सम्मानित किया।गया।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि राज्यपाल महोदय का स्वागत आश्रम की संरक्षक विमला बहन ने किया। ब्रम्हकुमारी परिवार की विनीता बहन,सहयोग के महेंद्र दुबे अनिल गुप्ता, पूर्व मंत्री श्री अवधेश वर्मा , पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष श्री वीरेंद्र पाल सिंह यादव, सी डब्लू सी के मुनीश परिहार, उपेंद्र पाल सिंह ,पत्रकार श्री संजीव कुमार गुप्ता पुनीत मनीषी, प्राचार्या तराना जमाल, चार्टर्ड अकाउंटेंट श्री जी एस वर्मा,समीर सक्सेना अजय शर्मा रामचंद्र सिंघल नरेंद्र सिंह राजेंद्र पाल सिंह अरुण।सिंह अंकित मिश्रा हरवंश।कुमार अहसान मोहम्मद आदि उपस्थित थे।