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नयी दिल्ली मे हुए अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में डाॅ. रघुनाथ पाण्डेय हुए सम्मानित। हिंदी साहित्य, शिक्षा और संस्कृति के प्रति समर्पण का मिला प्रतिफल।

Dr. Raghunath Pandey was honored in an international seminar held in New Delhi. He received the reward for his dedication towards Hindi literature, education and culture.
 
Dr. Raghunath Pandey was honored in an international seminar held in New Delhi. He received the reward for his dedication towards Hindi literature, education and culture.
हाल ही में विश्व हिंदी परिषद् द्वारा एनडीएमसी सभागार नई दिल्ली मे युगॠषि अरविन्द पर केन्द्रित  दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया, जिसके मुख्य अतिथि मिजोरम के महामहिम राज्यपाल कम्भमपाठी हरिबाबू रहे। अध्यक्षता लालबहादुर शास्त्री राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति मुरलीधर पाठक ने की।

इस विराट अंतरराष्ट्रीय सेमिनार मे देश-विदेश के 350 विद्वानों ने अपना-अपना शोधपत्र प्रस्तुत किया। जिनमें तात्विकता के आधार पर कुल 21सर्वश्रेष्ठ शोधपत्रों को पुरस्कार हेतु चयनित किया गया। इनमे भी डाॅ रघुनाथ पाण्डेय का शोधपत्र द्वितीय स्थान पर रहा। मुख्य अतिथि की मौजूदगी में विश्व हिन्दी परिषद के अध्यक्ष यार्लगड्डा लक्ष्मी प्रसाद, महामंत्री डाॅ विपिन कुमार द्वारा शिक्षक डाॅ. रघुनाथ पाण्डेय को ट्राफी व प्रशस्तिपत्र देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम मे  एनसीईआरटी निदेशक दिनेश सकलानी, पूर्व मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते,अपर सचिव शान्तनु,रामकृष्णमिशन के सचिव स्वामी सर्वलोकानन्द, प्रो सूर्यग्रहण दीक्षित, प्रो सम्पदानंद मिश्र, प्रो रमा, प्रो  संध्या वात्स्यायन,  कुमुद शर्मा आदि गणमान्य अतिथि मंचस्थ रहे।

Dr. Raghunath Pandey was honored in an international seminar held in New Delhi. He received the reward for his dedication towards Hindi literature, education and culture.

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह सम्मान हिंदी भाषा और साहित्य के क्षेत्र में डाॅ. पाण्डेय के उत्कृष्ट योगदान और समर्पण का प्रतिफल है।'राष्ट्रवाद के सन्दर्भ मे श्री अरविन्द का निष्क्रिय प्रतिरोध सिद्धांत' विषयक श्री पाण्डेय के शोधपत्र को  सर्वश्रेष्ठ घोषित करते हुए पुरस्कृत किया गया।Dr. रघुनाथ पांडेय का जन्म उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में हुआ, जहाँ उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की। बचपन से ही हिंदी भाषा के प्रति उनकी गहरी रुचि थी। एल बी एस मे उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद शिक्षिकाओं करते हुए उन्होंने हिंदी साहित्य के क्षेत्र में कदम बढ़ाया और कई महत्वपूर्ण पुस्तकें और शोधपत्र लिखे। उनके लेखन में सामाजिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक मुद्दों का गहन विश्लेषण द्रष्टव्य है, जो हिंदी साहित्य को समृद्ध बनाता है।

अब तक आप एक कविता संग्रह,एक मुक्तक संग्रह, एक बालगीत संग्रह, एक पत्र संग्रह, एक डायरी, एक शोधनिबन्ध संग्रह लिख चुके हैं। पूर्वोत्तर भारत मे हिन्दी प्रसार हेतु समर्पण भाव से अब तक आधा दर्जन पुस्तकों सहित 11 पुस्तको का सम्पादन कर चुके हैं। इसके अलावा  स्कूल शिक्षा से सम्बन्धित 25 माॅड्यूल्स का सहलेखन भी किया है। लगभग 50 शोधपत्र  विभिन्न उच्चस्तरीय संगोष्ठियों में प्रस्तुत किया है।

Dr. Raghunath Pandey was honored in an international seminar held in New Delhi. He received the reward for his dedication towards Hindi literature, education and culture.
इस सेमिनार में डाॅ. पांडेय को सम्मानित करने का निर्णय हिंदी भाषा और साहित्य के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान को मान्यता देने का प्रयास था। डाॅ. पांडेय का साहित्यिक सफर आरंभ से ही उल्लेखनीय रहा है। उन्होंने अनेक महत्वपूर्ण शोध पत्र और पुस्तकें लिखी हैं, जिनमें हिंदी साहित्य के विभिन्न पहलुओं पर विश्लेषण और विवेचना की गई है, जो हिंदी साहित्य को समृद्ध बनाता है। उन्होंने अपने लेखन के माध्यम से न केवल हिंदी भाषा की महत्ता को उजागर किया है, बल्कि नई पीढ़ी को हिंदी भाषा के प्रति जागरूक और प्रेरित भी किया है।

डाॅ. पांडेय की साहित्यिक यात्रा में उनके कई महत्वपूर्ण योगदान शामिल हैं, जिनमें उनकी प्रमुख पुस्तकें, शोध पत्र, और विभिन्न साहित्यिक कार्यक्रमों में भागीदारी शामिल है। उनकी रचनाएँ समाज के विभिन्न वर्गों को प्रभावित करती हैं और हिंदी साहित्य को नई दिशा देती हैं। डाॅ. पांडेय का योगदान हिंदी भाषा और साहित्य के विकास में अद्वितीय है। उनके लेखन और उनके कार्यों ने न केवल हिंदी भाषा को नई पीढ़ी के लिए प्रासंगिक और आकर्षक बनाया है। अपितु उनके प्रयासों के परिणामस्वरूप, हिंदी भाषा के प्रसार और पहचान में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है।

युगपुरुष अरविन्द के अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में डाॅ. रघुनाथ पांडेय को सम्मानित किया जाना, हिंदी भाषा के विकास और प्रसार में उनके योगदान की मान्यता है। यह सम्मान हिंदी भाषा के प्रति उनके समर्पण और निष्ठा को सलाम है, और यह संकेत करता है कि हिंदी भाषा को विभिन्न स्तरों पर पहचान दिलाने के उनके प्रयासों को सराहा जा रहा है।

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