भारत को 9 सितंबर को मिलेगा नया उपराष्ट्रपति: चुनाव आयोग ने जारी किया कार्यक्रम
लखनऊ डेस्क (अजय कुमार, वरिष्ठ पत्रकार |
भारत में उपराष्ट्रपति पद के लिए नया चुनाव 9 सितंबर 2025 को संपन्न होगा। चुनाव आयोग ने इस संबंध में अधिसूचना जारी करते हुए शेड्यूल की घोषणा की है। चुनाव प्रक्रिया 7 अगस्त से प्रारंभ होगी, जब अधिसूचना जारी की जाएगी। नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 21 अगस्त तय की गई है। 22 अगस्त को नामांकन पत्रों की जांच की जाएगी और 25 अगस्त तक नाम वापसी की अनुमति होगी। मतदान 9 सितंबर को सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक होगा और उसी दिन परिणाम भी घोषित कर दिए जाएंगे।
यह उपचुनाव उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के असमय इस्तीफे के चलते हो रहा है। उन्होंने 21 जुलाई को स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए पद छोड़ दिया था, जिसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 22 जुलाई को स्वीकार कर लिया। धनखड़ का कार्यकाल अगस्त 2027 तक था, लेकिन उनके अचानक इस्तीफे से राजनीतिक हलकों में चर्चाएं तेज हो गईं।
चुनाव प्रक्रिया
उपराष्ट्रपति का चुनाव लोकसभा और राज्यसभा के निर्वाचित सांसदों के साथ-साथ राज्यसभा के 12 नामांकित सदस्यों द्वारा किया जाएगा। यह चुनाव गुप्त मतपत्र और सिंगल ट्रांसफरेबल वोट प्रणाली के माध्यम से संपन्न होगा। इस दौरान सांसदों पर पार्टी व्हिप लागू नहीं होगा, जिससे क्रॉस वोटिंग की संभावना बनी रहेगी। यदि एकमात्र उम्मीदवार मैदान में होता है, तो उसे निर्विरोध विजेता घोषित कर दिया जाएगा।
संभावित दावेदार
राजनीतिक गलियारों में संभावित उम्मीदवारों को लेकर चर्चाएं जोरों पर हैं। एनडीए की ओर से नीतीश कुमार, अरिफ मोहम्मद खान, जेपी नड्डा, हरिवंश नारायण सिंह और रामनाथ ठाकुर जैसे नामों पर विचार हो रहा है। दूसरी ओर, विपक्षी दलों की रणनीति अभी स्पष्ट नहीं है। यदि विपक्ष कोई प्रत्याशी नहीं उतारता, तो एनडीए उम्मीदवार का निर्विरोध चुना जाना तय माना जा रहा है।
आंकड़े और समीकरण
संसद के दोनों सदनों को मिलाकर कुल 782 सदस्य हैं। उपराष्ट्रपति चुने जाने के लिए किसी भी उम्मीदवार को कम से कम 392 वोटों की जरूरत होगी। मौजूदा स्थिति में एनडीए के पास करीब 422 सांसदों का समर्थन है, जबकि विपक्षी INDIA गठबंधन के पास लगभग 313 वोट माने जा रहे हैं। यानी बहुमत फिलहाल एनडीए के पक्ष में दिख रहा है। चुनाव आयोग ने राज्यसभा महासचिव पी.सी. मोदी को इस चुनाव का रिटर्निंग ऑफिसर नियुक्त किया है। आयोग ने जानकारी दी है कि इलेक्टोरल कॉलेज की सूची तैयार हो चुकी है और सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।
राजनीतिक संकेत और संभावनाएं
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह चुनाव केवल संवैधानिक प्रक्रिया भर नहीं है, बल्कि आगामी राजनीतिक दिशा की झलक भी दे सकता है। चूंकि मतदान गुप्त होगा, इसलिए कुछ अप्रत्याशित परिणाम सामने आ सकते हैं। अब सभी की निगाहें इस पर टिकी हैं कि सत्ताधारी गठबंधन किसे अपना उम्मीदवार बनाता है और विपक्ष उसकी काट के लिए क्या रणनीति अपनाता है। यदि चुनाव हुआ तो यह मुकाबला बेहद दिलचस्प हो सकता है। लेकिन अगर विपक्ष उम्मीदवार नहीं उतारता, तो 9 सितंबर को बिना मतदान के ही भारत को नया उपराष्ट्रपति मिल सकता है।

