भारत की सोलर फैक्ट्रियाँ रफ़्तार में, पर आधी क्षमता अब भी बंद — नई रिपोर्ट में मिला बड़ा संकेत

India's solar factories are ramping up production, but half of their capacity remains idle — a new report reveals a significant finding.
 
भारत की सोलर फैक्ट्रियाँ रफ़्तार में, पर आधी क्षमता अब भी बंद — नई रिपोर्ट में मिला बड़ा संकेत

भारत का सोलर मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर इन दिनों एक विरोधाभासी स्थिति से गुजर रहा है। एक तरफ उत्साह है कि देश ने पहली बार polysilicon और wafer जैसे जटिल और तकनीक-प्रधान क्षेत्रों में भी उत्पादन क्षमता विकसित करना शुरू कर दिया है। दूसरी तरफ चिंता यह कि स्थापित क्षमता का बड़ा हिस्सा अभी चालू ही नहीं हो पाया है। IEEFA (Institute for Energy Economics and Financial Analysis) और JMK Research की नई संयुक्त रिपोर्ट ने यह दोहरी तस्वीर साफ़ तौर पर सामने रखी है।

PLI स्कीम ने दी रफ़्तार, लेकिन जमीन पर आधी क्षमता ही सक्रिय

रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार की Production Linked Incentive (PLI) योजना ने सोलर उद्योग को बाद लंबे समय में निर्णायक प्रोत्साहन दिया है।2021 में 4,500 करोड़ का पहला चरण 2022 में 19,500 करोड़ की नई घोषणाऔर कुल लगभग 24,000 करोड़ का पैकेज ने सोलर मैन्युफैक्चरिंग को नई ऊर्जा दी। लेकिन वास्तविक स्थिति अभी भी अधूरी है। रिपोर्ट के मुताबिक, PLI के तहत जितनी क्षमता का लक्ष्य तय किया गया था, उसमें से लगभग सिर्फ 50% ही ऑपरेशनल हो पाई है।

स्थापित क्षमता बढ़ी, लेकिन उपयोग कम

जून 2025 तक भारत में 3.3 GW polysilicon, 5.3 GW wafer, 29 GW solar cell, और 120 GW module की क्षमता स्थापित हो चुकी है। यह पहली बार है जब भारत ने वैल्यू चेन के सबसे तकनीकी भाग—upstream सेक्टर—में इतनी प्रगति दर्ज की है।लेकिन समस्या यह है कि घोषित 65 GW मॉड्यूल क्षमता के मुकाबले केवल 31 GW ही अंदरूनी तौर पर चालू है। निवेश भी लक्ष्य से पीछे है—कुल अनुमानित 94,000 करोड़ के मुकाबले अब तक 48,120 करोड़ रुपये ही निवेश हुए हैं।

समय पर विस्तार नहीं हुआ तो कंपनियाँ झेल सकती हैं भारी नुकसान

रिपोर्ट के लेखक

  • विभूति गर्ग (IEEFA)

  • प्रभाकर शर्मा

  • चिराग तेवानी

  • अमन गुप्ता (JMK Research)

चेतावनी देते हैं कि यदि विस्तार समय पर नहीं हुआ तो कंपनियों को 41,834 करोड़ रुपये तक का संभावित नुकसान झेलना पड़ सकता है।

सबसे बड़ी चुनौती — upstream सेक्टर

भारत के सामने प्रमुख चुनौतियाँ हैं:polysilicon और wafer जैसे महत्वपूर्ण घटकों के लिए लगभग पूरी तरह आयात पर निर्भरतावैश्विक बाज़ार में कीमतों में भारी गिरावट, जिससे घरेलू उत्पादकों की लागत-प्रतिस्पर्धा प्रभावित होती हैमशीनरी, तकनीकी उपकरण और skilled workforce की कमी तेज़ी से बदलती global solar supply chainयह सभी मुद्दे भारतीय निर्माताओं के लिए एक जटिल आर्थिक और तकनीकी माहौल बनाते हैं।

भारत के पास अवसर भी बड़ा, जोखिम भी उतना ही गहरा

रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने सही दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं। वैश्विक सोलर सप्लाई चेन में बदलाव भारत के लिए अवसर भी है—कि वह वैश्विक स्तर पर एक बड़ा उत्पादक बन सके।

लेकिन यह तभी संभव होगा जब

  • upstream

  • downstream

  • तकनीक

  • वित्त

  • और नीति समर्थन

सभी मजबूत और एक-दूसरे से जुड़े हों।

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