इंडो-जैपनीज सीटीओ मीटिंग 2025: हृदय रोग उपचार में अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों का महामंथन

लखनऊ में होगी वार्षिक इंडो-जैपनीज सीटीओ मीटिंग 2025
इस वर्ष की वार्षिक बैठक 30 मई से 1 जून 2025 के बीच लखनऊ में आयोजित की जाएगी। इस तीन दिवसीय कार्यक्रम का मुख्य विषय होगा क्रॉनिक टोटल ऑक्लूज़न (CTO) – एक ऐसी अवस्था जिसमें हृदय की धमनी पूरी तरह अवरुद्ध हो जाती है। कार्यक्रम में इस चुनौतीपूर्ण स्थिति के इलाज में इस्तेमाल होने वाली नवीनतम इंटरवेंशन तकनीकों पर गहन चर्चा की जाएगी।
600 से अधिक विशेषज्ञ करेंगे भागीदारी
भारत, जापान, कनाडा, नेपाल और श्रीलंका सहित विभिन्न देशों के 600 से अधिक कार्डियोलॉजिस्ट्स इस कार्यक्रम में पंजीकरण कर चुके हैं। हर साल की तरह इस बार भी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय चिकित्सक इस मंच से अत्याधुनिक इलाज की तकनीकों का आदान-प्रदान करेंगे।
प्रसिद्ध विशेषज्ञों की भागीदारी
इस वर्ष कार्यक्रम में जापान से डॉ. मसाहिसा यामाने, डॉ. केन्या नासु, डॉ. शंशुके मात्सुनो, और डॉ. वातारु नागामात्सु, तथा कनाडा से डॉ. संजोग कालरा जैसे प्रतिष्ठित विशेषज्ञ शामिल होंगे।
भारत की ओर से कोर्स डायरेक्टर डॉ. पी.के. गोयल (लखनऊ), डॉ. एन. प्रताप कुमार (तिरुवनंतपुरम), डॉ. सूर्य प्रकाश राव (हैदराबाद) और डॉ. ए.वी. गणेश कुमार (मुंबई) इस आयोजन का नेतृत्व करेंगे।
सीटीओ तकनीक से बिना सर्जरी के राहत
डॉ. पी.के. गोयल के अनुसार, जब हृदय की कोई धमनी पूरी तरह बंद हो जाती है, तो आमतौर पर बायपास सर्जरी की आवश्यकता होती है। लेकिन सीटीओ इंटरवेंशन तकनीक के ज़रिए अब बंद नस को भी एंजियोप्लास्टी के माध्यम से खोला जा सकता है। इससे न केवल सर्जरी की आवश्यकता कम होती है, बल्कि मरीज को कम दर्द और तेज़ रिकवरी का लाभ भी मिलता है।
2013 से लगातार हो रहा आयोजन
2013 में शुरू हुआ यह क्लब हृदय रोग विशेषज्ञों के लिए एक सशक्त मंच बन चुका है। कोविड काल के दौरान दो वर्षों के लिए यह बैठक स्थगित रही, लेकिन इसके बाद से यह हर साल जारी है और अब यह कार्यक्रम चिकित्सकीय आत्मनिर्भरता और अंतरराष्ट्रीय सहयोग का सशक्त उदाहरण बन चुका है।
उद्देश्य: व्यापक विशेषज्ञता और जीवन रक्षा
इस पहल का उद्देश्य है कि अधिक से अधिक भारतीय डॉक्टर्स जटिल हृदय रोग उपचार तकनीकों में दक्ष बनें। ताकि देश के हर कोने में इन उन्नत उपचार विधियों के माध्यम से मरीजों को बेहतर जीवन जीने का मौका मिल सके।इंडो-जैपनीज सीटीओ क्लब की यह पहल वैश्विक चिकित्सा सहयोग को बढ़ावा देने के साथ-साथ भारत को हृदय रोग उपचार के क्षेत्र में और अधिक आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक मजबूत कदम है।