विनोबा सेवा आश्रम की प्रेरणा: 'जय प्रभा कुटीर' से ग्राम सेवा और आध्यात्मिक उत्थान

Inspiration from Vinoba Seva Ashram: Village service and spiritual upliftment through 'Jai Prabha Kutir'
 
जमनालाल बजाज पुरस्कार और गौरवशाली यात्रा समाजसेवी दंपति रमेश भइया और विमला बहन को उनके रचनात्मक योगदान के लिए वर्ष 2011 में संत मोरारी बापू के कर कमलों से जमनालाल बजाज पुरस्कार (राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पांचवें पुत्र जमनालाल बजाज की स्मृति में राष्ट्र का सर्वाधिक प्रख्यात अवार्ड) प्राप्त हुआ।  इस प्रतिष्ठित सम्मान के अलावा, विनोबा सेवा आश्रम परिवार को यशभारती सम्मान, राष्ट्रीय युवा पुरस्कार, जागृति अवार्ड, राष्ट्रीय विनोबा पुरस्कार सहित दर्जनों राष्ट्रीय और प्रादेशिक पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं, जो उनके अटूट सेवाभाव का प्रमाण है।  पितृ ऋण से मुक्ति हेतु 'जय प्रभा कुटीर' की स्थापना जमनालाल बजाज अवार्ड में मिली 5 लाख रुपये की सम्मान राशि को रमेश भइया ने अपने पैतृक गाँव छीतेपुर में पितृ ऋण से मुक्ति के निमित्त लोगों के कल्याणार्थ लगाने का निश्चय किया। इस केंद्र का नाम 'जय प्रभा कुटीर' रखा गया।  यह नाम पूर्वज जगदीश प्रसाद, जगदंबा प्रसाद, जगधर प्रसाद और जागेश्वर प्रसाद का भी प्रतिनिधित्व करता है।  वर्ष 2011 में तत्कालीन विधायक और प्रदेश सरकार के मंत्री श्री अवधेश कुमार वर्मा ने इसका प्रथम भूमिपूजन किया।  वर्ष 2014 में उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री श्री राजेंद्र चौधरी ने भी कुटीर का भ्रमण कर आशीर्वाद दिया।  राज्यपाल ने दिया 'सेवाधाम' नाम वर्ष 2022 की गांधी जयंती को एक ऐतिहासिक अवसर आया, जब उत्तर प्रदेश की माननीय राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने ग्राम स्वराज्य समारोह के निमित्त छीतेपुर में आशीर्वाद देने के लिए दौरा किया। उनके साथ उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री श्री सुरेश कुमार खन्ना और लोक निर्माण विभाग के मंत्री श्री जितिन प्रसाद जी भी उपस्थित रहे।  राज्यपाल महोदय ने विनोबा भावे द्वारा बताई गईं पाँच सेवाओं के निमित्त इस कुटीर को 'सेवाधाम' नाम दिया, जिसके बाद यह सेवा का कारवाँ निरंतर बढ़ता गया।  जय प्रभा कुटीर की व्यापक सेवा गतिविधियाँ हालांकि जय प्रभा कुटीर की स्थापना केवल छीतेपुर की सेवा के लिए हुई थी, लेकिन आज यहाँ आसपास के गाँवों के तमाम लोग विभिन्न प्रकार की सेवाएँ लेने आते हैं।  लाभार्थी	सेवा गतिविधियाँ बच्चे	बाल अखाड़ा, विन्या क्रीड़ांगन, बाल संस्कार केंद्र, बाल शिक्षण केंद्र। युवा/महिला	कम्प्यूटर केंद्र, लड़कियों के लिए सिलाई केंद्र (जल्द शुरू)। बुजुर्ग	वृद्ध दिवस देखभाल केंद्र (विश्राम, पोषण और बीमारी की देखभाल)। स्वास्थ्य	स्वास्थ्य केंद्र (जल्द शुरू), स्वास्थ्य शिविर, नेत्र परीक्षण शिविर (30 गाँवों के लिए)। सरकारी सहयोग	प्रशासन के सहयोग से वृद्धों की पेंशन, विकलांगों की पेंशन और विधवाओं की पेंशन के लिए शिविर लगाना।  Export to Sheets आत्मनिर्भरता और आध्यात्मिकता:  कुटीर परिसर में बाबा रामेश्वर नाथ मंदिर बन जाने से दोनों समय की पूजा-आरती बिजेंद्र अवस्थी के मार्गदर्शन में होती है, जिसमें ग्रामीण भाग लेते हैं। सुबह 5 बजे और शाम 6 बजे होने वाली प्रार्थना में ग्रामजन शरीक होते हैं। दिन में गीता प्रवचन या अन्य पुस्तकों का स्वाध्याय वर्ग चलता है, जिसमें भी अधिक से अधिक लोग भाग लेते हैं। यह आध्यात्मिक वातावरण गाँव को सकारात्मकता प्रदान करता है।  कुटीर में सब्जी की स्वावलम्बन हेतु जैविक खेती की जाती है, और पड़ोस के जे.पी. सेवा ट्रस्ट के खेत में खाने भर का जैविक गेहूँ और धान उत्पादित हो जाता है।
शाहजहांपुर (उत्तर प्रदेश)। शाहजहांपुर से सीतापुर की ओर 11 किलोमीटर दूर स्थित, बन का तारा गाँव (जो अब बरतारा के नाम से प्रख्यात है) में विनोबा सेवा आश्रम चार दशक से अधिक समय से सेवा कार्य में समर्पित है। आश्रम के संस्थापक रमेश भइया और विमला बहन का मानना है कि आश्रम की स्थापना से पूरे गाँव का वातावरण आध्यात्मिक हो जाता है।

जमनालाल बजाज पुरस्कार और गौरवशाली यात्रा

समाजसेवी दंपति रमेश भइया और विमला बहन को उनके रचनात्मक योगदान के लिए वर्ष 2011 में संत मोरारी बापू के कर कमलों से जमनालाल बजाज पुरस्कार (राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पांचवें पुत्र जमनालाल बजाज की स्मृति में राष्ट्र का सर्वाधिक प्रख्यात अवार्ड) प्राप्त हुआ।

इस प्रतिष्ठित सम्मान के अलावा, विनोबा सेवा आश्रम परिवार को यशभारती सम्मान, राष्ट्रीय युवा पुरस्कार, जागृति अवार्ड, राष्ट्रीय विनोबा पुरस्कार सहित दर्जनों राष्ट्रीय और प्रादेशिक पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं, जो उनके अटूट सेवाभाव का प्रमाण है।

पितृ ऋण से मुक्ति हेतु 'जय प्रभा कुटीर' की स्थापना

जमनालाल बजाज अवार्ड में मिली 5 लाख रुपये की सम्मान राशि को रमेश भइया ने अपने पैतृक गाँव छीतेपुर में पितृ ऋण से मुक्ति के निमित्त लोगों के कल्याणार्थ लगाने का निश्चय किया। इस केंद्र का नाम 'जय प्रभा कुटीर' रखा गया।

  • यह नाम पूर्वज जगदीश प्रसाद, जगदंबा प्रसाद, जगधर प्रसाद और जागेश्वर प्रसाद का भी प्रतिनिधित्व करता है।

  • वर्ष 2011 में तत्कालीन विधायक और प्रदेश सरकार के मंत्री श्री अवधेश कुमार वर्मा ने इसका प्रथम भूमिपूजन किया।

  • वर्ष 2014 में उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री श्री राजेंद्र चौधरी ने भी कुटीर का भ्रमण कर आशीर्वाद दिया।

राज्यपाल ने दिया 'सेवाधाम' नाम

वर्ष 2022 की गांधी जयंती को एक ऐतिहासिक अवसर आया, जब उत्तर प्रदेश की माननीय राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने ग्राम स्वराज्य समारोह के निमित्त छीतेपुर में आशीर्वाद देने के लिए दौरा किया। उनके साथ उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री श्री सुरेश कुमार खन्ना और लोक निर्माण विभाग के मंत्री श्री जितिन प्रसाद जी भी उपस्थित रहे।

राज्यपाल महोदय ने विनोबा भावे द्वारा बताई गईं पाँच सेवाओं के निमित्त इस कुटीर को 'सेवाधाम' नाम दिया, जिसके बाद यह सेवा का कारवाँ निरंतर बढ़ता गया।

जय प्रभा कुटीर की व्यापक सेवा गतिविधियाँ

हालांकि जय प्रभा कुटीर की स्थापना केवल छीतेपुर की सेवा के लिए हुई थी, लेकिन आज यहाँ आसपास के गाँवों के तमाम लोग विभिन्न प्रकार की सेवाएँ लेने आते हैं।

लाभार्थी सेवा गतिविधियाँ
बच्चे बाल अखाड़ा, विन्या क्रीड़ांगन, बाल संस्कार केंद्र, बाल शिक्षण केंद्र।
युवा/महिला कम्प्यूटर केंद्र, लड़कियों के लिए सिलाई केंद्र (जल्द शुरू)।
बुजुर्ग वृद्ध दिवस देखभाल केंद्र (विश्राम, पोषण और बीमारी की देखभाल)।
स्वास्थ्य स्वास्थ्य केंद्र (जल्द शुरू), स्वास्थ्य शिविर, नेत्र परीक्षण शिविर (30 गाँवों के लिए)।
सरकारी सहयोग प्रशासन के सहयोग से वृद्धों की पेंशन, विकलांगों की पेंशन और विधवाओं की पेंशन के लिए शिविर लगाना।

आत्मनिर्भरता और आध्यात्मिकता

कुटीर परिसर में बाबा रामेश्वर नाथ मंदिर बन जाने से दोनों समय की पूजा-आरती बिजेंद्र अवस्थी के मार्गदर्शन में होती है, जिसमें ग्रामीण भाग लेते हैं। सुबह 5 बजे और शाम 6 बजे होने वाली प्रार्थना में ग्रामजन शरीक होते हैं। दिन में गीता प्रवचन या अन्य पुस्तकों का स्वाध्याय वर्ग चलता है, जिसमें भी अधिक से अधिक लोग भाग लेते हैं। यह आध्यात्मिक वातावरण गाँव को सकारात्मकता प्रदान करता है।

कुटीर में सब्जी की स्वावलम्बन हेतु जैविक खेती की जाती है, और पड़ोस के जे.पी. सेवा ट्रस्ट के खेत में खाने भर का जैविक गेहूँ और धान उत्पादित हो जाता है।

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