international womens day : जीवन के हर मोर्चे पर संघर्षरत भारतीय नारी

international womens day : Indian women are struggling on every front of life
 
    international womens day :   जीवन के हर मोर्चे पर संघर्षरत भारतीय नारी 

 (आर. सूर्य कुमारी-विनायक फीचर्स)   भारतीय नारी आज के समय में विश्व की ऐसी नारी है जो अपने जीवन में कई - कई मोर्चों पर संघर्ष कर रही है , और जीवन जीने के नए मायने तलाश रही है । हालांकि हमारे देश में भी अवैध सेक्स के प्रति रुझान बढ़ रहा है साथ ही साथ लिव इन जैसी बुराइयां भी घर कर रही हैं । हर रोज महिलाओं के साथ हत्या - अत्याचार जैसी दुर्घटनाएं भी बढ़ रही हैं । इस कारण जो महिला जीवन मूल्यों को साथ रखकर चलना चाहती है , उसके सामने निश्चित रूप से बहुत सारी चुनौतियां पेश आती हैं । 

ह्हरिया

भारतीय महिला के सामने शादी और संतान जैसी अनिवार्यता निश्चित रूप से सामने आती है । एक वक्त उसे यह एहसास हो जाता है कि शादी में जीवन की जो सुरक्षा - संरक्षा की सकारात्मक स्थिति है , दूसरे तरह के जीवन में नहीं है । वह विवाह करती है और वात्सल्य का आनंद भी लेती है । लेकिन इतने भर से उसकी जिम्मेदारी व जिम्मेवारी समाप्त नहीं हो जाती । उसके सामने एक चुनौती होती है कि संतानों को पाल - पोस कर , पढ़ा - लिखा कर उनको एक सकारात्मक जीवन का मालिक बना दे । और इस पूरे क्रम में पति की जो भूमिका होती है , निश्चित रूप से कम नहीं होती , मगर एक पत्नी के बराबर की भी नहीं होती । 

घर के सारे काम - काज में भी महिलाओं की भूमिका बहुत चुनौतीपूर्ण होती है । पति - बच्चे , घर - परिवार , रिश्तेदारी - नातेदारी , सब के सब  किसी न किसी स्तर पर अभिमान का आभास कराते हैं , मगर जब इनके निर्वाह की जटिल समय आती है तो पसीने छूट जाते हैं । वह एक महिला ही समझ सकती है , बजट का ध्यान रखकर घर - परिवार की गाड़ी को दौड़ाना कितना मुश्किल है ।

एक तो आज की भारतीय नारी अपने अधिकारों के प्रति सजग हो गई है , साथ ही साथ मंहगाई और आवश्यकताओं के इस दौर में उसे घर से निकलकर रुपए कमाने के लिए भी तैयार होना पड़ रहा । यह जरूरी नहीं कि सभी महिलाओं को सरकारी नौकरी मिल जाए । ज्यादातर महिलाओं को निजी क्षेत्रों में जाना पड़ता है । और इन परिस्थितियों में अघोषित नियमों और शर्तों के साथ समझौता करना सभी महिलाओं के वश की बात नहीं होती है । आज की बहुत बड़ी सच्चाई तो यह है कि निजी क्षेत्र का एक बहुत बड़ा हिस्सा निरंकुश हैं और यहां कामकाजी महिला कंपनी मालिक की निजी संपत्ति होती है और वह मनमाने तौर पर उसका इस्तेमाल करता है । अगर कामकाजी महिला की पृष्ठभूमि मजबूत व सुदृढ़ होती है तो कोई बात नहीं , अन्यथा तो कंप्रोमाइज करने के लिए बाध्य होना पड़ता है। 

और एक चुनौती ! समाज में रहकर एक महिला सामाजिक जिम्मेदारियों से मुंह नहीं मोड़ सकती । भारतीय समाज में औरतों की स्थिति अच्छी नहीं है । महिलाएं खुद महिलाओं की टांग खींचने का काम करती हैं । आजकल महिलाओं में बच्चों का विकास , उनका स्वास्थ्य , उनकी शिक्षा - दीक्षा आदि को लेकर चर्चाएं कम होती हैं । नारी की उन्नति को लेकर चर्चाएं कम होती हैं , घर - परिवार के विकास को लेकर चर्चाएं कम होती हैं , बस वहां ' निंदा शास्त्र ' का अनवरत पाठ चलता रहता है । अवांछित व लाभ रहित चर्चाएं ज्यादा होती रहती हैं । हर रोज यह क्रम चलता रहता है कि आज किसको बदनाम किया जाए , किसका अपमान किया जाए । कुल मिलाकर सामूहिक प्रगति के स्थान पर व्यक्तिगत आलोचना बढ़ती चली जा रही है । ऐसे वातावरण में अपने लिए स्थान बनाना उन महिलाओं के लिए बहुत बड़ा संकट है जो समाज के लिए कुछ रचनात्मक करना चाहती हैं,कुछ सकारात्मक करना चाहती हैं । 

और ऐसी तमाम चुनौतियों के बावजूद  भारतीय नारी की मूल आत्मा कुछ अच्छा कर जाने के लिए लालायित रहती है और संघर्ष करती हुई कुछ आयामों तक पहुंच ही जाती है ।अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का उपलक्ष्य है । भारत की सभी महिलाओं को सकारात्मक सोचना होगा , अपने अंदर दृढ़ता लानी होगी । समाज के लिए अच्छा सोचकर एक अच्छा सामाजिक प्राणी बनना होगा , देश के बारे में सोचकर एक सच्चा देशप्रेमी बनना होगा । अपनी पीढ़ियों को रास्ता दिखाना होगा , अन्याय का विरोध करना होगा , नकारात्मक जीवन से तौबा करना होगा । जो आगे बढ़ जाए वही धारा है । आप सभी को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की असंख्य शुभकामनाएं ।(विनायक फीचर्स)

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