यूपी डिफेंस कॉरिडोर में ₹30,819 करोड़ के निवेश प्रस्ताव प्राप्त: मुख्यमंत्री योगी ने की यूपीडा कार्यों की समीक्षा

लखनऊ : अक्टूबर, 2025। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने आज एक उच्चस्तरीय बैठक में उत्तर प्रदेश इण्डस्ट्रियल एक्सप्रेस-वे डेवलपमेंट अथॉरिटी (यूपीडा) के कार्यों की समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने बल देते हुए कहा कि एक्सप्रेस-वे केवल सड़कों का जाल नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था और औद्योगिक भविष्य की रीढ़ हैं।
1. एक्सप्रेस-वे निर्माण और कनेक्टिविटी पर बल
मुख्यमंत्री ने परियोजनाओं को समयबद्ध तरीके से पूरा करने पर विशेष जोर दिया:
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गंगा एक्सप्रेस-वे: इसका निर्माण कार्य दिसम्बर माह तक हर हाल में पूरा कराने का लक्ष्य रखा गया है, ताकि पश्चिमी और पूर्वी क्षेत्रों के बीच सहज कनेक्टिविटी स्थापित हो सके।
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समीक्षा और गुणवत्ता: प्रत्येक परियोजना की प्रगति की साप्ताहिक समीक्षा हो और कार्य की गुणवत्ता पर किसी प्रकार का समझौता न किया जाए।
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नए एक्सप्रेस-वे: बैठक में प्रस्तावित मेरठ-हरिद्वार लिंक एक्सप्रेस-वे, नोएडा-जेवर लिंक एक्सप्रेस-वे, चित्रकूट-रींवा लिंक एक्सप्रेस-वे और विंध्य एक्सप्रेस-वे (प्रयागराज, मिर्जापुर, वाराणसी, चंदौली और सोनभद्र तक) के रूटों पर चर्चा हुई।
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एकीकृत सड़क तंत्र: मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि नए एक्सप्रेस-वे की योजना बनाते समय एनएचएआई (NHAI) द्वारा प्रस्तावित नेटवर्क का पूरा ध्यान रखा जाए, ताकि दोहराव से बचते हुए राज्य में एक एकीकृत और समन्वित सड़क तंत्र विकसित हो सके।
2. डिफेंस कॉरिडोर में बड़ी सफलता और स्किल डेवलपमेंट
उत्तर प्रदेश डिफेंस इण्डस्ट्रियल कॉरिडोर (UPDIC) में निवेश और प्रगति पर संतोष जताया गया:
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निवेश प्रस्ताव: अब तक लगभग 30,819 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हो चुके हैं।
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भूमि अधिग्रहण: 5,039 एकड़ भूमि अधिग्रहीत की जा चुकी है, और विभिन्न कम्पनियों द्वारा कार्य प्रारंभ भी किया जा चुका है।
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स्किल डेवलपमेंट: कॉरिडोर के सभी 06 नोड्स (लखनऊ, कानपुर, झांसी, आगरा, अलीगढ़ और चित्रकूट) में स्किल डेवलपमेंट सेंटर की स्थापना के निर्देश दिए गए।
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उद्देश्य: इन केंद्रों के माध्यम से स्थानीय युवाओं को तकनीकी प्रशिक्षण देकर रक्षा उद्योग से जोड़ा जाएगा, जिससे रोजगार सृजन के साथ ही क्षेत्रीय आत्मनिर्भरता को बल मिलेगा।
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3. भूमि आवंटन नीति में पारदर्शिता और जवाबदेही
मुख्यमंत्री ने भूमि आवंटन नीति को सख्त बनाते हुए निवेशकों की जवाबदेही सुनिश्चित करने के निर्देश दिए:
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उपयोग की शर्त: निवेशकों को भूमि आवंटन के तीन वर्ष के अंदर भूमि का यथोचित उपयोग करना ही होगा। यदि उपयोग नहीं किया जाता है, तो ऐसा आवंटन स्वतः निरस्त किया जाए।
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निगरानी: अधिकारियों को निर्देश दिए गए कि भूमि उपयोग की निगरानी की पारदर्शी व्यवस्था बनाई जाए और निवेशक को केवल वास्तविक प्रगति की स्थिति में ही आगे की सुविधाएँ दी जाएँ।
बैठक में यह भी बताया गया कि एक्सप्रेस-वे के किनारे विकसित हो रहे औद्योगिक क्लस्टर और लॉजिस्टिक पार्कों में निवेश आकर्षित करने के लिए यूपीडा ने बिजली, जलापूर्ति, ट्रक टर्मिनल, इलेक्ट्रिक वेहिकल स्टेशन और हेल्थ-इमरजेंसी सुविधाओं की व्यवस्था हेतु समयबद्ध योजना बनाई है।
