देश में गूंजा आयोडीन का संदेश – नमक हो टाटा का, टाटा नमक

Iodine's message resonates across the country - Salt should be Tata's, Tata salt
 
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बरेली/लखनऊ डेस्क (आर. एल. पाण्डेय):
देश का सबसे भरोसेमंद आयोडीन युक्त नमक ब्रांड टाटा साल्ट एक बार फिर चर्चा में है। उपभोक्ताओं के अपार स्नेह और पहले अभियान “नमक हो टाटा का, टाटा नमक” की सफलता से प्रेरित होकर, ब्रांड ने इस जिंगल के दूसरे संस्करण को आईपीएल 2025 के फाइनल में लॉन्च किया। यह नया अभियान न केवल पुरानी यादों को ताज़ा करता है, बल्कि आयोडीन की महत्ता पर एक प्रभावशाली सामाजिक संदेश भी देता है – आयोडीन से बच्चों का मानसिक विकास बेहतर होता है

नए अभियान की विशेषताएं:

इस संस्करण में 8 दिल छू लेने वाली छोटी-छोटी ब्रांड फिल्में शामिल हैं जो जीवन के रोज़मर्रा के पलों को आत्मीयता से दर्शाती हैं – जैसे माँ की लोरी, स्कूल में शिक्षक का पाठ, या परिवार के साथ बिताए जाने वाले भावनात्मक क्षण। इन सभी में टाटा नमक एक सच्चे साथी की तरह शामिल है – ऐसा साथी जो हर भारतीय रसोई का अभिन्न हिस्सा बन चुका है।

क्रिएटिव एजेंसी ओगिल्वी द्वारा परिकल्पित यह अभियान भारतीय संस्कृति की विविधता को बखूबी दर्शाता है – हिंदी भाषी क्षेत्रों की घरेलू भावनाएँ, बंगाल की कोमलता और मराठी परिवारों की आत्मीयता को बड़ी सुंदरता से पर्दे पर लाया गया है।

एक फिल्म में जहाँ एक शिक्षिका बच्चों को आयोडीन की महत्ता समझाती हैं, वहीं दूसरी में एक व्यस्त और जीवंत घर दिखाया गया है, जहाँ हर व्यंजन में टाटा नमक स्वाद और पोषण दोनों जोड़ता है। इस अभियान का उद्देश्य न केवल टाटा साल्ट की गुणवत्ता को प्रदर्शित करना है, बल्कि उसके उस सामाजिक उद्देश्य को भी रेखांकित करना है जिससे देश का भविष्य – हमारे बच्चे – मानसिक रूप से और अधिक सशक्त बन सके।

ब्रांड की आवाज़:

दीपिका भान, प्रेसिडेंट – पैकेज्ड फूड्स, टाटा कंज़्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड, ने कहा:
"यह कैंपेन हमारे उपभोक्ताओं के साथ जुड़ाव को और गहरा करने की दिशा में एक स्वाभाविक और खूबसूरत अगला कदम है। ‘देश का नमक’ केवल एक टैगलाइन नहीं है, बल्कि यह भरोसे और गुणवत्ता की परंपरा है जो पिछले 40 वर्षों से हमारे ब्रांड से जुड़ी है। यह नया संस्करण उसी विरासत को आगे बढ़ाता है।"

अनुराग अग्निहोत्री, चीफ क्रिएटिव ऑफिसर (मुंबई और कोलकाता), ओगिल्वी, ने इस अभियान के रचनात्मक दृष्टिकोण को साझा करते हुए कहा:
"हम चाहते थे कि आयोडीन की महत्ता की बात हर घर तक पहुंचे, और इसके लिए हमने 80 के दशक के सुनहरे जिंगल्स को फिर से जीवंत किया। ये कहानियाँ रोज़मर्रा के पलों में बुनी गई हैं – स्कूल, किटी पार्टी, या परिवार के साधारण लेकिन मूल्यवान क्षण। यह अभियान हमारे लिए विज्ञापन की उस भावनात्मक भाषा को फिर से रचने का प्रयास है जो लोगों के दिलों को छू जाती है।"

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