ईरान-इज़रायल युद्ध ने बढ़ाया अमेरिका का संकट, ट्रंप पर कर्ज का बोझ, भारत से उधारी की चर्चा गर्म

 
Iran Israel War Traps USA in Crisis Trumps Debt Woes & Indias Alleged Loan

आज हम बात करेंगे एक ऐसी खबर की, जिसने  पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है। middle east में ईरान और इजरायल के बीच छिड़ी जंग ने न सिर्फ global peace को खतरे में डाला है, बल्कि सुपरपावर अमेरिका को भी इस संकट में घसीट लिया है। लेकिन रुकिए, कहानी यहीं खत्म नहीं होती! अमेरिका का बढ़ता कर्ज और उसका भारत से उधार लेने का दावा इस जंग को और भी पेचीदा बना रहा है। तो, क्या है इस जंग की असल कहानी ? और क्यों डोनाल्ड ट्रंप के माथे पर चिंता की लकीरें गहरी हो रही हैं? आइए, इस पूरे मसले को गहराई से समझते हैं। अगर आपको ऐसी खबरें पसंद हैं, तो अभी चैनल को सब्सक्राइब करें और बेल आइकन दबाना न भूलें 

 ईरान और इजरायल के बीच तनाव कोई नई बात नहीं है। लेकिन जून 2025 में ये तनाव एक पूर्ण युद्ध में बदल गया। इजरायल ने ईरान के military और परमाणु ठिकानों पर बड़े पैमाने पर हमले किए, जिसे उसने "ऑपरेशन राइजिंग लायन" का नाम दिया। जवाब में, ईरान ने इजरायल पर सैकड़ों मिसाइलें और ड्रोन हमले किए, जिससे तेल अवीव और यरुशलम जैसे शहरों में सायरन बजने लगे।  

इस युद्ध का main reason  है ईरान का परमाणु कार्यक्रम। इजरायल का दावा है कि ईरान 15 परमाणु बम बना रहा था, जिसे वो बर्दाश्त नहीं कर सकता। दूसरी ओर, ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई ने साफ कहा, "हम सरेंडर नहीं करेंगे।" खामेनेई ने अमेरिका को भी चेतावनी दी कि अगर अमेरिकी सेना ने इस जंग में दखल दिया, तो "अंजाम बुरा होगा।"  

लेकिन इस जंग में अमेरिका का रोल क्या है? आइए, अब उसकी कहानी पर नजर डालते हैं।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस जंग में इजरायल के सबसे बड़े समर्थक बनकर उभरे हैं। उन्होंने दावा किया कि उन्हें इजरायल के हमलों की पूरी जानकारी थी और उन्होंने ईरान को 60 दिन का अल्टीमेटम दिया था कि वो परमाणु कार्यक्रम रोक दे। लेकिन ईरान ने इस मांग को ठुकरा दिया। ट्रंप ने धमकी भरे लहजे में कहा, "हम जानते हैं कि खामेनेई कहां छिपे हैं, लेकिन अभी हम उन्हें नहीं मारेंगे।

अमेरिका ने इजरायल को 300 हेलफायर मिसाइलें दीं, जिनसे ईरान के military bases और परमाणु सुविधाओं को भारी नुकसान हुआ। इसके अलावा, अमेरिका ने middle east  में अपने नौसैनिक बेड़े और B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स तैनात किए हैं, जिससे ये साफ है कि वो युद्ध की situation  में जवाबी कार्रवाई के लिए तैयार है।  

लेकिन  यहां ट्विस्ट है। ट्रंप ने बार-बार कहा है कि वो अमेरिका को middle east  के युद्धों से बाहर रखना चाहते हैं। फिर भी, जब ईरान की मिसाइलें इजरायल में US Embassy के पास गिरीं, तो ट्रंप के तेवर बदल गए। उन्होंने कहा, अगर ईरान ने अमेरिकी हितों को नुकसान पहुंचाया, तो हम पूरी ताकत से जवाब देंगे।"  

अब बात करते हैं अमेरिका के कर्ज की। अमेरिका का राष्ट्रीय कर्ज 33 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा हो चुका है, और ये हर दिन बढ़ रहा है। इस जंग ने global oil की कीमतों में 12% से ज्यादा की उछाल ला दी, जिससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर दबाव और बढ़ गया। स्टॉक मार्केट में भी भारी गिरावट देखी गई, खासकर S&P 500 में 1.1% की कमी आई।  

ट्रंप ने इस संकट से निपटने के लिए कई कदम उठाए हैं, लेकिन उनकी नीतियां विवादों में हैं। कुछ experts  का कहना है कि ट्रंप की "अधिकतम दबाव" नीति ईरान को और aggressive बना रही है, जिससे युद्ध और लंबा खिंच सकता है। और अगर युद्ध बढ़ा, तो अमेरिका को और ज्यादा military  खर्च करना पड़ेगा, जिसके लिए उसके पास फंड्स की कमी है।  

अब आते हैं उस दावे पर, जिसने सबको चौंका दिया है। कुछ Unconfirmed reports में कहा जा रहा है कि अमेरिका ने इस आर्थिक संकट से निपटने के लिए भारत से उधार लिया है। हालांकि, इस दावे की कोई official confirmation नहीं हुई है। भारत और अमेरिका के बीच मजबूत आर्थिक और रणनीतिक रिश्ते हैं, और हाल ही में ट्रंप ने दावा किया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर करवाया। लेकिन भारत ने इस दावे को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि सीजफायर DGMO स्तर की बातचीत से हुआ, जिसमें किसी तीसरे पक्ष की mediation  नहीं थी।  

भारत ने इस जंग के बीच इजरायल में रहने वाले अपने नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी की है और हेल्पलाइन नंबर दिए हैं। लेकिन क्या भारत वाकई अमेरिका को आर्थिक मदद दे रहा है? या ये सिर्फ एक अफवाह है? इस सवाल का जवाब अभी clear नहीं  है, लेकिन अगर ये सच है, तो ये 
global diplomacy  में एक बड़ा बदलाव हो सकता है।  

ईरान-इजरायल जंग का भारत पर भी गहरा असर पड़ रहा है। तेल की कीमतों में उछाल से भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ सकती हैं, क्योंकि भारत अपनी तेल जरूरतों का बड़ा हिस्सा import करता है। भारतीय शेयर बाजार में भी गिरावट देखी गई, खासकर उन कंपनियों के शेयरों में, जिनका इजरायल से कारोबारी रिश्ता है, जैसे अडानी पोर्ट्स और Sun Pharmaceutical. 

इसके अलावा, एयर इंडिया ने 21 जून से 15 जुलाई तक कई इंटरनेशनल फ्लाइट्स रद्द कर दी हैं, जिससे यात्रियों को परेशानी हो रही है। भारत सरकार इस संकट पर नजर रख रही है और neutral stance अपनाए हुए है, लेकिन global markets में उथल-पुथल भारत की economy को influence  कर सकती है।  

ये जंग सिर्फ ईरान और इजरायल तक सीमित नहीं है। इसका असर अमेरिका, भारत और पूरी दुनिया पर पड़ रहा है। ट्रंप की धमकियां, अमेरिका का कर्ज, और भारत से उधार का दावा—ये सभी इस कहानी को और complex बना रहे हैं। आपकी इस पर क्या राय है? क्या अमेरिका इस जंग में कूदेगा ? और क्या भारत वाकई अमेरिका को आर्थिक मदद दे रहा है ? अपनी राय कमेंट बॉक्स में जरूर शेयर करें।

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