अब सिर्फ मौसम नहीं, इंसाफ की भी बात है जलवायु संकट पर इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस का ऐतिहासिक बयान

Now it is not just about weather, it is also about justice: International Court of Justice's historic statement on climate crisis
 
अब सिर्फ मौसम नहीं, इंसाफ की भी बात है: जलवायु संकट पर इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस का ऐतिहासिक बयान
जलवायु परिवर्तन अब केवल वैज्ञानिक चेतावनियों या युवा आंदोलनों का विषय नहीं रहा—अब यह एक कानूनी दायित्व बन चुका है। दुनिया की सर्वोच्च अदालत इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) ने यह साफ कर दिया है कि जलवायु संकट से निपटना हर देश की कानूनी जिम्मेदारी है।

वानुआतु से उठी आवाज़, पहुंची अंतरराष्ट्रीय अदालत तक

इस ऐतिहासिक सलाह की शुरुआत एक छोटे से द्वीपीय देश वानुआतु से हुई, जहां के युवाओं ने यह सवाल उठाया—"क्या सरकारों की ये कानूनी जिम्मेदारी नहीं बनती कि वे हमें जलवायु आपदाओं से बचाएं?" इस सवाल को 2023 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने ICJ के पास भेजा था। और आज, दर्जनों देशों की दलीलों के बाद, अदालत ने स्पष्ट कहा:हर राष्ट्र को ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में तेजी से कटौती करनी होगी और कोयला, तेल, गैस जैसे जीवाश्म ईंधनों पर अपनी निर्भरता खत्म करनी होगी—अन्यथा वे अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन कर रहे होंगे।”

 अब कानून भी पर्यावरण के साथ

UN महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने इस निर्णय को पृथ्वी, जलवायु न्याय और उन युवाओं की जीत बताया है जो वर्षों से इस लड़ाई में सक्रिय हैं। उनका कहना है कि 1.5°C का लक्ष्य कोई सुझाव नहीं, बल्कि एक अनिवार्य सीमा है जिसे नीति निर्धारण में शामिल करना जरूरी है।

 यह फैसला अकेला नहीं

दुनिया की कई अदालतें पहले ही यह साफ कर चुकी हैं कि जलवायु संकट से निपटने में सरकारों की विफलता केवल नीति की विफलता नहीं, मानवाधिकारों का उल्लंघन भी है। नीदरलैंड, जर्मनी, बेल्जियम, दक्षिण कोरिया, इंटर-अमेरिकन कोर्ट ऑफ ह्यूमन राइट्स और यूरोपीय मानवाधिकार न्यायालय पहले ही ऐसी राय दे चुके हैं।

कानून अब जनता के साथ खड़ा हो चुका है।

 क्या कहते हैं जलवायु अधिकार विशेषज्ञ?

Climate Litigation Network की को-डायरेक्टर सारा मीड ने इस पर प्रतिक्रिया दी यह सलाह उस भरोसे को कानूनी मान्यता देती है, जो लोग अपनी सरकारों से रखते हैं—कि वे हमारी और आने वाली पीढ़ियों की सुरक्षा के लिए ठोस जलवायु कदम उठाएंगी।”

 आगे का रास्ता

अब जब दुनिया के कई देशों में जलवायु परिवर्तन से जुड़े कानूनी मुकदमे चल रहे हैं—जैसे कि बेल्जियम, कनाडा, फ्रांस, पुर्तगाल, न्यूजीलैंड और तुर्की में—तो ICJ की यह राय एक कानूनी और नैतिक दिशा-निर्देशक बन सकती है। ग्रीनपीस स्विट्ज़रलैंड के जॉर्ज क्लिंगलर के अनुसार: ICJ ने स्पष्ट कर दिया है कि जलवायु संकट से सबसे अधिक प्रभावित लोगों और आने वाली पीढ़ियों की सुरक्षा अब हर सरकार की कानूनी जिम्मेदारी है।"

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