जाखू मंदिर: 8,000 फीट की ऊँचाई पर विराजमान 108 फीट ऊँचे हनुमान जी

Jakhu Temple: 108 feet tall Hanumanji situated at an altitude of 8,000 feet
 
Jakhu Temple: 108 feet tall Hanumanji situated at an altitude of 8,000 feet
(लेखक: संजीव शर्मा – विनायक फीचर्स)
हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला, जिसे ‘क्वीन ऑफ हिल्स’ कहा जाता है, न केवल अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहाँ स्थित जाखू मंदिर अपनी आध्यात्मिक महत्ता और भव्यता के कारण हर आगंतुक को आकर्षित करता है।
मॉल रोड से ऊपर नजर डालते ही दूर पहाड़ी की चोटी पर खड़ी 108 फीट ऊँची हनुमान जी की विशाल प्रतिमा तुरंत ही सबका ध्यान खींच लेती है। यह प्रतिमा कभी बादलों में छिप जाती है तो कभी सूर्य की किरणों से नहाकर दिव्यता से दमक उठती है — जैसे स्वयं भगवान का आशीर्वाद बरस रहा हो।

शिमला के रक्षक – जाखू हनुमान

समुद्र तल से लगभग 8,000 फीट की ऊँचाई पर स्थित जाखू हिल्स न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह स्थान आस्था, इतिहास और प्रकृति का अद्भुत संगम है। यहां के हनुमान जी को स्थानीय लोग “शिमला के रक्षक” के रूप में पूजते हैं — हनुमान चालीसा की पंक्ति “तुम रक्षक काहू को डरना” को साकार करते हुए।
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रामायण से जुड़ी पौराणिक कथा

जाखू मंदिर की कथा रामायण काल से जुड़ी है। कहा जाता है कि जब लक्ष्मण जी मेघनाथ के शक्ति बाण से मूर्छित हुए, तो हनुमान जी संजीवनी बूटी लाने हिमालय की ओर जा रहे थे। रास्ते में उन्होंने इस पर्वत पर तपस्या करते ऋषि यक्ष को देखा और उनसे संजीवनी बूटी के बारे में पूछने के लिए यहाँ रुके।
हनुमान जी के वेग से यह पर्वत जो पहले बहुत ऊँचा था, आधा धरती में धँस गया। जब हनुमान जी लौटे, तो समयाभाव के कारण वे सीधे लंका चले गए, जिससे ऋषि यक्ष उनकी प्रतीक्षा करते रहे। उनकी तपस्या और आस्था से प्रसन्न होकर हनुमान जी ने उन्हें दर्शन दिए। तभी से यहाँ स्वयंभू हनुमान प्रतिमा की पूजा होती है।
कहा जाता है कि ऋषि यक्ष के नाम से ही इस पर्वत का नाम पहले यक्ष था, जो कालांतर में याक, याखू और फिर जाखू बन गया।

108 फीट ऊँची सिंदूरी प्रतिमा – शिमला की शान

साल 2010 में यहाँ 108 फीट ऊँची सिंदूरी हनुमान जी की मूर्ति स्थापित की गई। यह प्रतिमा इतनी विशाल है कि इसे शिमला के लगभग हर हिस्से से देखा जा सकता है। यह न केवल धार्मिक श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि आज “प्राइड ऑफ शिमला” के नाम से भी जानी जाती है। हाल ही में यहाँ एक विशाल ध्वज स्तंभ भी स्थापित किया गया है, जो मंदिर की भव्यता को और बढ़ाता है।
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जाखू मंदिर तक पहुँचने का रोमांच

रिज मैदान से जाखू मंदिर तक पहुँचने के लिए श्रद्धालु और पर्यटक पैदल, टैक्सी या रोपवे के माध्यम से जा सकते हैं।
पैदल मार्ग घने देवदार के जंगलों से होकर गुजरता है, जो ट्रेकिंग प्रेमियों के लिए स्वर्ग समान है।
टैक्सी मार्ग संकरे पहाड़ी रास्तों से होकर गुजरता है, जो रोमांच का अलग अनुभव देता है।
जाखू रोपवे कुछ ही मिनटों में आपको मंदिर तक पहुँचा देता है, साथ ही पूरे शिमला शहर का विहंगम दृश्य भी दिखाता है।
जाखू हिल्स की चोटी से सूर्योदय और सूर्यास्त का नज़ारा इतना मनमोहक होता है कि यह अनुभव सदा के लिए स्मृतियों में बस जाता है।

आस्था और प्रकृति का संगम

जाखू मंदिर केवल एक ऐतिहासिक संरचना नहीं, बल्कि वह पवित्र स्थान है जहाँ भक्ति, शांति और प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत मेल होता है। यही कारण है कि शिमला यात्रा तब तक अधूरी मानी जाती है जब तक कोई श्रद्धालु जाखू हनुमान जी के दर्शन न कर ले।

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