बुधनी के रास्ते झारखंड और शिवराज निशाने पर

Jharkhand and Shivraj are on target through Budhni
Jharkhand and Shivraj are on target through Budhni
पवन वर्मा-विनायक फीचर्स) मध्य प्रदेश में भाजपा में आमतौर पर आपसी गुटबाजी कम ही दिखाई देती है। दूसरे राजनीतिक दलों की तरह यहां अपनी ही पार्टी के  नेता को कमजोर करने के किस्से भी कम ही सुनाई देते हैं। लेकिन मध्यप्रदेश में अब भाजपा बदल रही है। पार्टी  में शह मात और बड़े नेताओं को कमजोर करने की अंदरुनी बिसातें तेजी से बिछ रही है। इस बार मध्य प्रदेश भाजपा के कुछ नेताओं के निशाने पर मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान हैं।

शिवराज सिंह चौहान को कमजोर करने वाले  न सिर्फ शिवराज सिंह चौहान को बल्कि साथ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को भी झारखंड में झटका दे रहे हैं। दरअसल झारखंड के साथ ही  मध्य प्रदेश के बुधनी में भी विधानसभा का उपचुनाव है। शिवराज सिंह चौहान के इस्तीफे से रिक्त हुई बुधनी विधानसभा सीट पर  चौहान की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। बुधनी में भाजपा लगातार कुछ न कुछ ऐसा कर रही हैं जिससे शिवराज सिंह चौहान की चिंता बढ़ती जा रही है। शिवराज सिंह की बढ़ती चिंता झारखंड चुनाव पर भी असर डाल सकती है। शिवराज सिंह चौहान झारखंड चुनाव के पार्टी प्रभारी भी हैं। वे इन दिनों झारखंड में ज्यादा वक्त दे रहे हैं, लेकिन बुधनी की स्थिति ऐसी हो गई है कि उन्हें लगातार यहां पर भी संपर्क में बने रहना पड़ रहा है। यह भी माना जा रहा है कि झारखंड में भाजपा की सरकार बनती है तो शिवराज सिंह चौहान का कद देश के साथ ही मध्य प्रदेश में भी और बढ़ जाएगा।


शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री के रूप में बुधनी विधानसभा से चुनाव लड़ते थे। इस बार उन्हें लोकसभा भेजा गया तो उन्होंने बुधनी विधानसभा से इस्तीफा दे दिया। इस सीट पर अब उपचुनाव है। यहां पर भाजपा ने शिवराज सिंह चौहान के करीबी एवं विदिशा लोकसभा के पूर्व सांसद रमाकांत भार्गव को उम्मीदवार बनाया है। रमाकांत भार्गव का टिकट काटकर विदिशा लोकसभा सीट से शिवराज सिंह को चुनाव लड़ाया गया था।अब इन्हीं रमाकांत भार्गव को बुधनी विधानसभा से उपचुनाव के लिए भाजपा ने अपना उम्मीदवार बनाया है। उपचुनाव के लिए रमाकांत भार्गव के टिकट का विरोध, भाजपा के अंदर  जिस तेजी से हुआ, उसने पूरे प्रदेश को आश्चर्य चकित कर दिया। शिवराज सिंह चौहान के निर्णय और उनके करीबी को टिकट दिए जाने का ऐसा विरोध होगा प्रदेश भर में किसी ने नहीं सोचा था। वैसे भी भाजपा में किसी उम्मीदवार को टिकट मिलने के बाद उसके विरोध की परम्परा नहीं है लेकिन उसी भाजपा में शिवराज सिंह के गढ़ माने जाने बुधनी में शिवराज के उम्मीदवार का पार्टी के भीतर जो विरोध हुआ उसने सबको चौंका दिया है।

 सब पर भारी पड़ रही शिवराज की छवि 

शिवराज सिंह चौहान आज भी मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा लोकप्रिय नेता माने जाते हैं। महिलाओं में उनकी छवि भाई और मामा की है। प्रदेश में मामा के नाम से विख्यात शिवराज सिंह चौहान का जनता के बीच खासा प्रभाव लगातार बना हुआ है। दूसरी ओर मध्य प्रदेश में कई नेता ऐसे हैं जो अपनी छवि को जनता के बीच में मजबूत करने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। इसमें सरकार और संगठन से जुड़े नेता भी शामिल हैं। केंद्र में पहुंचने के बाद भी शिवराज सिंह चौहान की छवि फिलहाल इन सभी नेताओं पर भारी है।

 बुधनी में नयी चुनौती खड़ी करने का प्रयास 

जो नेता कल तक शिवराज सिंह चौहान के सामने बोल नहीं पाते थे, वे अचानक से कैसे इतने ताकतवर हो गए कि  शिवराज सिंह के फैसले पर खुलेआम सवाल खड़े करने लगे? यह वह सवाल है जो प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में तेजी से घूम रहा है। इसके पीछे कई नेता माने जाते हैं। संगठन की मजबूती और अनुशासन के चलते कोई भी नेता सीधे तौर पर इतने  बड़े नेता को कमजोर करने का प्रयास नहीं कर सकता, इसलिए भाजपा और सरकार के बड़े नेता ऐसा दांव खेल रहे हैं कि शिवराज सिंह चौहान को बुधनी में ही चुनौती दे दी जाए और फिर यह संदेश भोपाल से लेकर दिल्ली तक जाए कि प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की पकड़ कमजोर हो गई है।

ऐसे  हुआ विरोध 

रमाकांत भार्गव के भाजपा  उम्मीदवार बनने के बाद शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल स्थित अपने आवास पर बुधनी के नेताओं की एक बैठक बुलाई। इस बैठक में  पूर्व विधायक राजेंद्र सिंह राजपूत नहीं पहुंचे। शिवराज सिंह चौहान के खास समर्थक गुरुप्रसाद शर्मा भी इस बैठक में नहीं पहुंचे। अगले दिन राजेंद्र सिंह राजपूत और अन्य नाराज नेताओं ने भैरुंदा में अपने समर्थकों की एक बैठक  बुलाई। बैठक में पार्टी के कई कार्यकर्ता पहुंचे। जिन्हें मनाने के लिए शिवराज सिंह चौहान के करीबी एवं पूर्व मंत्री रामपाल सिंह यहां पर पहुंचे, लेकिन उन्हें भी वहां पर मौजूद कार्यकर्ताओं ने परिणाम भुगतने की चेतावनी दे दी। इस चेतावनी का मतलब ही यह निकाला जा रहा है कि  प्रदेश की राजनीति में भाजपा के कोई ताकतवर नेता ही  इन लोगों को दम दे रहे हैं।

परिपक्व नेता ऐसी गलती कैसे कर सकते है? 

भाजपा के सभी बड़े नेताओं ने एक ऐसी गलती कर दी जिसने बुधनी के निर्वाचन अधिकारी सहित भाजपा उम्मीदवार रमाकांत भार्गव के साथ ही शिवराज सिंह चौहान का तनाव बढ़ा दिया  हैं। निर्वाचन आयोग के नियमानुसार नामांकन दाखिल करने के लिए प्रत्याशी के साथ चार लोग और जा सकते हैं। मध्य प्रदेश कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि रमाकांत भार्गव के नामांकन भरने के दौरान प्रत्याशी के साथ छह भाजपा नेता अंदर तक पहुंचे। कांग्रेस का आरोप है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा, शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश भाजपा के प्रभारी महेंद्र सिंह के अलावा प्रभारी मंत्री कृष्णा गौर और प्रदेश भाजपा के मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल  रमाकांत भार्गव के नामांकन दाखिल करते समय निर्वाचन अधिकारी के कक्ष में मौजूद थे।

शिवराज झारखंड में व्यस्त 

शिवराज सिंह चौहान भाजपा के झारखंड में चुनाव प्रभारी है। वे पिछले तीन महीने से लगातार झारखंड में सक्रिय है। चुनाव के दौरान वे अपना पूरा समय झारखंड को ही दे रहे हैं। यहां पर अभी झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार है। शिवराज सिंह चौहान के प्रयास है कि यहां पर भाजपा की सरकार बन सके। छोटा राज्य और विधानसभा की 81 सीटें होने से यहां पर मुकाबला कड़ा है, यहां पर सरकार बनाने के लिए 41 सीटों की जरुरत है। ऐसे में एक-एक सीट पर शिवराज सिंह चौहान का फोकस करना जरुरी है। यह तो तय है कि झारखंड में यदि भाजपा ने सरकार बना ली तो शिवराज सिंह चौहान का कद मध्य प्रदेश के साथ ही देश की राजनीति में और बढ़ जाएगा। शिवराज सिंह की योग्यता, क्षमता,नेतृत्व शैली और ऊर्जावान व्यक्तित्व के चलते झारखंड में भाजपा को उनसे काफी उम्मीदें भी हैं लेकिन यदि  बुधनी में बार-बार उनकी परेशानियां बढ़ती रही तो भाजपा के लिए झारखंड जीतना भी मुश्किल हो सकता हैं।कुल मिलाकर मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह को कमजोर करने के प्रयास जारी हैं जो राजनीतिक हलकों में न केवल शिवराज सिंह बल्कि झारखंड के जरिए मोदी, शाह और भाजपा को कमजोर करने के प्रयास माने जा रहे हैं।

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