सरकारी पेटेंट रिपोर्ट में जियो शीर्ष पर, 1,037 अंतरराष्ट्रीय पेटेंट के साथ बनाया नया रिकॉर्ड

Reliance Jio tops government patent report, setting a new record with 1,037 international patents.
 
Reliance Jio tops government patent report, setting a new record with 1,037 international patents.

नई दिल्ली  18 दिसंबर 2025  :  भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत Controller General of Patents, Designs & Trade Marks द्वारा जारी वर्ष 2024-25 की वार्षिक रिपोर्ट में जियो प्लेटफॉर्म्स को भारत का सबसे बड़ा वैश्विक पेटेंट फाइलर घोषित किया गया है। यह उपलब्धि भारत की उभरती डीप-टेक इकोसिस्टम को वैश्विक पहचान दिलाने की दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही है।

रिपोर्ट के अनुसार, जियो प्लेटफॉर्म्स ने एक ही वर्ष में 1,037 अंतरराष्ट्रीय पेटेंट आवेदन दाखिल किए। यह संख्या रैंकिंग में दूसरे से दसवें स्थान तक मौजूद सभी भारतीय कंपनियों और संस्थानों द्वारा दाखिल कुल पेटेंट आवेदनों से भी कई गुना अधिक है। जहां TVS मोटर, CSIR, IIT मद्रास और ओला इलेक्ट्रिक जैसे प्रतिष्ठित नाम सैकड़ों के आंकड़े तक सीमित रहे, वहीं जियो ने इस सूची में स्पष्ट बढ़त दर्ज की।

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यदि घरेलू पेटेंट आवेदनों को भी शामिल किया जाए, तो 2024-25 के दौरान जियो द्वारा कुल 1,654 पेटेंट आवेदन किए गए। 31 मार्च 2025 तक कंपनी के नाम 485 पेटेंट स्वीकृत हो चुके थे, जिनमें बड़ी संख्या 5G, 6G, नेटवर्क इंफ्रास्ट्रक्चर और उन्नत डिजिटल तकनीकों से संबंधित है। यह दर्शाता है कि जियो अब सिर्फ टेलीकॉम सेवाओं तक सीमित नहीं, बल्कि भारत की अग्रणी डीप-टेक इनोवेशन कंपनियों में अपनी मजबूत पहचान बना चुका है।

सरकारी आंकड़ों के अलावा उद्योग जगत ने भी जियो के नवाचार प्रयासों को सराहा है। CII इंडस्ट्रियल इनोवेशन अवॉर्ड्स 2025 में जियो प्लेटफॉर्म्स को भारत की टॉप-20 इनोवेटिव कंपनियों की सूची में स्थान मिला। इसके साथ ही Large ICT कैटेगरी में कंपनी को “बेस्ट पेटेंट पोर्टफोलियो” के लिए रनर-अप अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।

इस सफलता के पीछे जियो का निरंतर और बढ़ता R&D निवेश भी एक प्रमुख कारण रहा है। वित्त वर्ष 2024-25 में रिलायंस समूह ने 4,185 करोड़ रुपये से अधिक राशि अनुसंधान एवं विकास पर खर्च की, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 15 प्रतिशत अधिक है। पिछले तीन वर्षों में कंपनी का वार्षिक R&D निवेश 1,500 करोड़ रुपये से ज्यादा बढ़ चुका है, जिससे भारत में अत्याधुनिक तकनीकी नवाचारों को नई गति मिली है।

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