ज्योति मल्होत्रा: एक ट्रैवल व्लॉगर से जासूस तक

भारत में एक चौंकाने वाला जासूसी मामला सामने आया है, जिसमें हरियाणा की यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा को पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। उनकी गिरफ्तारी ने राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया है और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखने की आवश्यकता को उजागर किया है।
 
ज्योति मल्होत्रा: एक ट्रैवल व्लॉगर से जासूस तक
सार निवासी ज्योति मल्होत्रा, जो 'Travel with JO' नामक यूट्यूब चैनल चलाती थीं, को मई 2025 में गिरफ्तार किया गया। उन पर आरोप है कि उन्होंने पाकिस्तान के खुफिया एजेंटों के साथ संपर्क स्थापित किया और संवेदनशील जानकारी साझा की। पुलिस जांच में पाया गया कि वह पाकिस्तान उच्चायोग के अधिकारी एहसान-उर-रहीम उर्फ दानिश के संपर्क में थीं, जिन्हें भारत ने मई 2025 में निष्कासित कर दिया था।

डिजिटल साक्ष्य और डेटा विश्लेषण

जांच के दौरान, पुलिस ने ज्योति के पांच मोबाइल फोन और एक लैपटॉप से लगभग 13 टेराबाइट डेटा बरामद किया है। इसमें रक्षा प्रतिष्ठानों, सैन्य ठिकानों और सुरक्षा व्यवस्था से संबंधित महत्वपूर्ण दस्तावेज शामिल हैं। इसके अलावा, उन्होंने अपने पाकिस्तानी संपर्कों के नाम छिपाने के लिए कोड नेम्स का उपयोग किया, जैसे "जट्ट रंधावा"।

अंतरराष्ट्रीय संपर्क और वित्तीय लेन-देन

ज्योति की पाकिस्तान, चीन, भूटान, नेपाल, इंडोनेशिया, थाईलैंड और दुबई की यात्राएं जांच के दायरे में हैं। उनकी इन यात्राओं के लिए फंडिंग के स्रोतों की जांच की जा रही है। संयुक्त अरब अमीरात स्थित एक ट्रैवल फर्म 'वेगो' द्वारा उन्हें प्रायोजित किया गया था, जो अब जांच एजेंसियों के रडार पर है। 

अन्य गिरफ्तारियां और नेटवर्क का विस्तार

ज्योति मल्होत्रा के अलावा, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में 12 अन्य लोगों को भी जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। इनमें मलेरकोटला की गजाला, यमीन मोहम्मद, नोमान इलाही, अरमान, देविंदर सिंह ढिल्लो और गुजरात के सहदेव सिंह गोहिल शामिल हैं। इन सभी पर पाकिस्तान के लिए संवेदनशील जानकारी साझा करने का आरोप है।

कानूनी प्रक्रिया और अगला कदम

ज्योति मल्होत्रा को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया है। उनके वकील कुमार मुकेश ने अदालत में उनका प्रतिनिधित्व किया है, और अगली सुनवाई 9 जून 2025 को निर्धारित की गई है। 

यह मामला दर्शाता है कि कैसे सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स को विदेशी खुफिया एजेंसियां अपने जाल में फंसा सकती हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से यह अत्यंत गंभीर मामला है, जो सुरक्षा एजेंसियों, सरकार और जनता को सतर्क रहने की आवश्यकता की ओर संकेत करता है। अब समय आ गया है कि हम अपने देश के भीतर छिपे गद्दारों की पहचान करें और उन्हें सख्त सजा दिलाएं, ताकि भविष्य में कोई भी व्यक्ति देशद्रोह करने की हिम्मत न कर सके।

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