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कामाख्या देवी मंदिर: इतिहास, संस्कृति, लोकप्रियता और विश्वास

Kamakhya Devi Temple: History, Culture, Popularity and Faith
 
Kamakhya Devi Temple: History, Culture, Popularity and Faith
लखनऊ डेस्क (आर एल पाण्डेय)।भारत को उसके प्राचीन मंदिरों, धार्मिक स्थलों और आध्यात्मिक शक्ति के केंद्रों के लिए जाना जाता है। इनमें से एक प्रमुख मंदिर है कामाख्या देवी मंदिर, जो असम के गुवाहाटी शहर में नीलांचल पहाड़ी पर स्थित है। यह मंदिर भारत के 51 शक्तिपीठों में से एक है और इसे देवी सती का सबसे पवित्र स्थान माना जाता है।
यह मंदिर तांत्रिक साधना, देवी उपासना और शक्ति साधना का प्रमुख केंद्र है। यहां न केवल भारत से बल्कि विदेशों से भी हजारों श्रद्धालु, साधक और पर्यटक आते हैं। मंदिर से जुड़ी अनेक धार्मिक मान्यताएँ, ऐतिहासिक घटनाएँ और परंपराएँ इसे विशेष बनाती हैं। इस लेख में हम कामाख्या देवी मंदिर के इतिहास, संस्कृति, वास्तुकला, धार्मिक महत्व, उत्सवों और श्रद्धालुओं की आस्था पर विस्तृत चर्चा करेंगे।
कामाख्या देवी मंदिर का इतिहास
पौराणिक कथा और शक्तिपीठ की स्थापना
कामाख्या मंदिर का इतिहास अत्यंत प्राचीन है और इससे हिंदू धर्म की एक प्रमुख पौराणिक कथा जुड़ी हुई है।
शिव और सती की कथा
हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार, जब राजा दक्ष ने एक महायज्ञ का आयोजन किया, तो उन्होंने अपने दामाद भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया। उनकी पुत्री देवी सती इस अपमान को सहन नहीं कर सकीं और उन्होंने अपने पिता के यज्ञ में जाकर आत्मदाह कर लिया।
जब भगवान शिव को इस घटना का पता चला, तो वे अत्यंत क्रोधित हो गए और उन्होंने सती के पार्थिव शरीर को अपने कंधे पर रखकर तांडव नृत्य करना शुरू कर दिया। इससे पूरा ब्रह्मांड विनाश की ओर बढ़ने लगा।
भगवान विष्णु ने सृष्टि की रक्षा के लिए अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर के टुकड़े कर दिए, जिससे उनके अंग अलग-अलग स्थानों पर गिर गए। जहां-जहां ये अंग गिरे, वहां शक्तिपीठों की स्थापना हुई।
कामाख्या मंदिर वह स्थान है जहां देवी सती का योनिभाग गिरा था, इसलिए यह माँ शक्ति और उर्वरता (फर्टिलिटी) का प्रतीक माना जाता है।
इतिहास में कामाख्या मंदिर
कामाख्या मंदिर का उल्लेख प्राचीन धार्मिक ग्रंथों जैसे कालिका पुराण, योगिनी तंत्र और तंत्र चूड़ामणि में मिलता है।
 1. प्राचीन काल
 • इस मंदिर का निर्माण प्राचीन गुप्त, पाल और कचारी राजाओं के समय में हुआ।
 • यह स्थान हमेशा से तांत्रिक साधना और शक्ति उपासना का केंद्र रहा है।
 2. मध्यकालीन इतिहास
 • 16वीं शताब्दी में, कछारी राजा विश्वसिंह ने जब इस मंदिर को खंडहर में पाया, तो उनके पुत्र नरनारायण ने इसका पुनर्निर्माण कराया।
 • मंदिर पर मुगलों के आक्रमण भी हुए, लेकिन इसे बार-बार पुनः स्थापित किया गया।
 • अहोम राजाओं ने भी इस मंदिर का संरक्षण किया और इसे भव्य रूप दिया।
मंदिर की वास्तुकला और विशेषताएँ
कामाख्या मंदिर की वास्तुकला अद्वितीय है और यह असम की शक्ति और तंत्र परंपरा का अद्भुत उदाहरण है।
 1. मंदिर की संरचना
 • यह मंदिर असम की पारंपरिक नीलाचल वास्तुकला में बना हुआ है।
 • मंदिर के प्रमुख गुंबद पर कमल की आकृति बनी हुई है।
 • मंदिर में कोई मूर्ति नहीं है, बल्कि देवी का प्राकृतिक योनिकुंड (शिला रूपी गुफा) है।
 • इस कुंड से एक जलधारा निकलती है, जो साल में एक बार लाल रंग की हो जाती है।
 2. मंदिर की विशेषताएँ
 • यहां देवी के रजस्वला होने (मासिक धर्म) का उत्सव मनाया जाता है, जिसे अंबुबाची मेला कहते हैं।
 • यहां बलिप्रथा भी प्रचलित है, जिसमें बकरों की बलि दी जाती है।
कामाख्या मंदिर की लोकप्रियता और उत्सव
1. तांत्रिक साधना का प्रमुख केंद्र
यह मंदिर भारत के प्रमुख तांत्रिक स्थलों में से एक है। यहां पर तंत्र साधना, काली साधना और अघोर तंत्र की सिद्धियाँ प्राप्त करने के लिए साधक आते हैं।
2. अंबुबाची मेला
अंबुबाची मेला इस मंदिर का सबसे बड़ा पर्व है, जिसे देवी के रजस्वला होने का उत्सव माना जाता है।
 • यह मेला अषाढ़ महीने में मनाया जाता है।
 • इस दौरान मंदिर के द्वार तीन दिनों तक बंद रहते हैं।
 • चौथे दिन, जब मंदिर के पट खुलते हैं, तो हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।
3. दुर्गा पूजा और नवरात्रि
नवरात्रि और दुर्गा पूजा के समय यहां विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं और माता का विशेष श्रृंगार किया जाता है।
श्रद्धालुओं की आस्था और विश्वास
1. माँ कामाख्या को उर्वरता और शक्ति की देवी माना जाता है
 • विवाहित महिलाएँ यहाँ संतान प्राप्ति की कामना से आती हैं।
 • अविवाहित कन्याएँ अच्छे वर के लिए प्रार्थना करती हैं।
2. मनोकामना पूर्ण करने वाला शक्तिपीठ
 • कहा जाता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से कामाख्या देवी की पूजा करता है, उसकी सभी इच्छाएँ पूर्ण होती हैं।
 • मंदिर में चरणामृत (अंबुबाची जल) को बहुत शुभ माना जाता है।
3. तांत्रिक और साधकों का पवित्र स्थान
 • इस मंदिर में साधना करने वाले साधकों को अलौकिक सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं।
 • यहां की गुप्त गुफाएँ और भूमिगत स्थान रहस्यमयी माने जाते हैं।
निष्कर्ष
कामाख्या देवी मंदिर न केवल आध्यात्मिक और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, तंत्र साधना और वास्तुकला की अद्भुत धरोहर भी है।
यह मंदिर माँ शक्ति की असीम ऊर्जा का केंद्र है और शक्ति उपासना करने वाले भक्तों के लिए यह सबसे पवित्र स्थानों में से एक है।
यदि आप असम जाते हैं, तो कामाख्या देवी मंदिर के दर्शन अवश्य करें और इस अद्भुत स्थल की दिव्यता का अनुभव करें।

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