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जागते रहो भारत यात्रा का पंद्रहवां दिन

लखनऊ डेस्क (आर एल पाण्डेय)।उज्जैन से चलकर यात्री दल खरगौन के महेश्वर पहुंचा। समृद्ध ऐतिहासिक और धार्मिक विरासत समेटे महेश्वर का अनुभव विलक्षण रहा । वीरांगना श्री देवी अहिल्याबाई होलकर की राजधानी का स्पंदन हमें गौरव और ऊर्जा से सराबोर कर रहा था। अहिल्याबाई होलकर स्मृति सेवा समिति तथा होलकर संस्कृतिक केन्द्र द्वारा आयोजित कार्यक्रम में समिति अध्यक्ष रोहित ने बताया कि इस वर्ष महेश्वर मां साहब की तीन सौवीं जयंती मना रहा है।
यह हमारे लिए ऐतिहासिक अवसर होगा। उन्होंने कहा कि इतिहास का केवल एकमात्र उदाहरण है जिसमें राजा अपनी प्रजा के हित में हर निर्णय शिव आदेश मानकर करता था। रियासत कालीन दौर में देश भर के शिव मंदिरों का निर्माण और जीर्णोद्धार करवाना मां साहब की दूरदर्शिता का अनुपम उदाहरण है। होलकर संस्कृतिक केन्द्र के मंदर चौधरी ने बताया कि कल्याणकारी राज्य की अवधारणा का विचार श्रीदेवी अहिल्याबाई होलकर ने तीन सौ साल पूर्व स्थापित किया था। पुरुष राजाओं के वर्चस्व के बीच जिस वीरता के साथ आक्रमणकारियों से अपनी प्रजा की रक्षा की वह अद्वितीय मिसाल है।
जागते रहो भारत यात्रा संयोजक राजेन्द्र यादव ने बताया कि जन सहयोग आधारित राष्ट्रीय अभियान में मिल रहा समर्थन और सहयोग अपेक्षा से कहीं अधिक है। परिणामस्वरूप बारह हजार किलोमीटर के अनुमान से शुरू हुई यात्रा बीस हजार किलोमीटर तक पहुंच सकती है। महिला अपराध की दृष्टि से अपेक्षाकृत अधिक संवेदनशील बीस राज्यों में इस चरण में उत्तर पूर्व के राज्यों को शामिल नहीं किया गया है।
सुबह छः बजे नर्मदा घाट पर स्नान से आज का दिन शुरू कर अहिल्याबाई होलकर की समाधि पर श्रद्धांजलि अर्पित कर किला प्रांगण में बैठक के बाद आलीराजपुर जिले के भामरा गांव पहुंचे। यह भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के क्रांतिकारी वीर सपूत चंद्रशेखर आजाद की जन्मभूमि है।
भामरा को अब चंद्रशेखर आजाद नगर के नाम से जाना जाता है। देश के वीर सपूत की समाधि पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मन में ख्याल आ रहा था कि अब देश को शैतानों से आज़ाद करा महिला समाज को सम्मान दिलाने के लिए जन जागरण करना शहीदों का अपमान है। यहां से यात्रा झाबुआ के लिए रवाना हो गई।