जैविक खेती को अपनाकर सुरक्षित भविष्य की नींव रखें – विधायक आशीष सिंह आशू

विकासखंड मल्लावां के खंड विकास अधिकारी कार्यालय परिसर में कृषि सूचना तंत्र के सुदृढ़ीकरण, कृषक जागरूकता कार्यक्रम, एवं त्वरित मक्का विकास योजना के अंतर्गत ब्लॉक स्तरीय कृषक गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि व बिलग्राम-मल्लावां विधायक श्री आशीष सिंह आशू द्वारा दीप प्रज्वलित कर की गई।
प्रमुख गतिविधियाँ एवं वितरण:
इस अवसर पर कृषकों को विभिन्न योजनाओं का लाभ प्रदान करते हुए –
-
कृषकों रामगुनी, आशा देवी, पूनम, माधुरी देवी, राजेंद्र कुमार, सुरेश कुमार, विनोद कुमार, रामचंद्र, प्रेमचंद्र एवं मूलनरायण को निःशुल्क बीज मिनीकिट वितरित किए गए।
-
कृषक छुन्नू लाल को सीड ड्रिल अनुदान प्रमाण पत्र तथा रामप्रकाश को सोलर पंप अनुदान प्रमाण पत्र प्रदान किया गया।
विधायक का संबोधन:
विधायक श्री आशीष सिंह आशू ने अपने उद्बोधन में कहा कि हरित क्रांति के बाद भारत में कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए रासायनिक खादों और कीटनाशकों का अत्यधिक प्रयोग शुरू हुआ, जिससे उपज तो बढ़ी लेकिन मिट्टी की उर्वरता में गिरावट, जल स्रोतों में प्रदूषण, और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी उत्पन्न हुईं।
उन्होंने ज़ोर देते हुए कहा कि जैविक खेती ही वर्तमान समय की आवश्यकता है, ताकि हम आने वाली पीढ़ी को स्वच्छ भोजन, शुद्ध जल और उर्वर भूमि दे सकें। उन्होंने सरकार द्वारा कृषकों के लिए चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी भी साझा की।
विज्ञान आधारित खेती पर जोर:
विनीत कुमार, उप संभागीय कृषि प्रसार अधिकारी, हरदोई ने खरीफ की प्रमुख फसलों जैसे – धान, मक्का, बाजरा, उड़द, मूंग और तिल की वैज्ञानिक खेती विधियों की जानकारी दी। साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना, कृषि यंत्रों पर अनुदान, मृदा स्वास्थ्य कार्ड, और फसल बीमा योजना के बारे में भी विस्तार से बताया।
प्रेमचंद्र कुशवाहा, सलाहकार (NFSM), हरदोई ने श्री अन्न (मिलेट्स) की खेती को प्रोत्साहित करते हुए बताया कि मिलेट्स सूखा सहन करने में सक्षम हैं और कम उर्वर भूमि में भी अच्छी पैदावार देते हैं। उन्होंने बीज, उर्वरक, कीटनाशक और सिंचाई की जानकारी भी दी।
साथ में आयोजित हुआ एक और गोष्ठी कार्यक्रम:
इसी प्रकार विकासखंड माधौगंज में भी कृषि सूचना तंत्र के सुदृढ़ीकरण, आत्मा योजना और मक्का विकास कार्यक्रम के अंतर्गत एक कृषक गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में किसान और कृषि विभाग के अधिकारी शामिल हुए।
कार्यक्रम का उद्देश्य:
इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य किसानों को नई तकनीकों से खेती करने के लिए प्रेरित करना, सरकारी योजनाओं की जानकारी देना और प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करते हुए कृषि उत्पादन में सुधार लाना था।