नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर व्याख्यान माला का आयोजन

प्रोफेसर सोमा बंदोपाध्याय ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि नेताजी बचपन से ही अत्यंत मेधावी और साहसिक थे। उनके अंदर देशप्रेम, स्वाभिमान और साहस की भावना कूट-कूट कर भरी हुई थी। कॉलेज के दिनों में ही उन्होंने देशबंधु चितरंजन दास के साथ मुक्ति आंदोलन में भाग लिया था।
नेताजी भारतीय परंपरा, आध्यात्मिकता और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की परिकल्पना को साकार करने वाले महान नेता थे। उन्होंने नेताजी की प्रमुख उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए कहा कि नेताजी ने आजाद हिंद फौज की स्थापना की और स्वतंत्रता संग्राम को एक नया मोड़ दिया। उनके नेतृत्व में भारतीयों ने अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष तेज किया। प्रोफेसर सोमा ने यह भी बताया कि नेताजी का मानना था कि देश के सभी नागरिकों को एकजुट होकर संघर्ष करना चाहिए, तभी भारत को स्वतंत्रता मिल सकेगी।
प्रोफेसर सोमा बंदोपाध्याय ने नारी शक्ति पर भी नेताजी के विचारों को साझा किया, जिसमें उन्होंने महिलाओं को स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए प्रेरित किया था। उन्होंने यह भी कहा कि आज के युवाओं को नेताजी जैसी महान हस्तियों की स्मृतियों से प्रेरणा लेकर अपने देश के प्रति जिम्मेदारी निभानी चाहिए। इस अवसर पर, मां पाटेश्वरी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर रवि शंकर सिंह ने कहा कि नेताजी का व्यक्तित्व इतना विशाल था कि उसे किसी भी समय और स्थान की सीमा में नहीं बांध सकते। उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रीय संगठन के निर्माण के लिए अपनी सांस्कृतिक धरोहर को बचाए रखना जरूरी है। कार्यक्रम का संचालन किसान महाविद्यालय बहराइच के प्राचार्य ने किया, जबकि कुल सचिव प्रमोद कुमार ने व्याख्यान माला में शामिल सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया।