आओ बढ़ें खुशहाली की ओर — विश्वास, प्रेम और जीवन निर्माण के सूत्र

यह लेख राष्ट्र संत उपाध्याय डॉ. गुप्ति सागर महाराज के साथ एक संवाद पर आधारित है। उनके विचारों और जीवनदर्शन से प्रेरित यह प्रस्तुति पाठकों को न केवल तनावमुक्त जीवन की राह दिखाती है, बल्कि आत्मिक शांति और स्थायी सफलता की ओर भी मार्गदर्शन करती है। इस लेख में संकलित विचारों को यदि जीवन में उतारा जाए, तो आंतरिक आनंद की अनुभूति निश्चित है।
1. विश्वास — व्यक्तित्व की बुनियाद
महाराज जी का मानना है कि विश्वास ही किसी भी इंसान के चरित्र और ऊँचाई का वास्तविक आधार होता है। ज्ञान, धन और शब्दों की ताकत तब तक ही प्रभावी है, जब तक विश्वास बना रहे।
वे एक प्रेरणादायक कथा से यह बात समझाते हैं — तीन मित्र: ज्ञान, धन और विश्वास एक-दूसरे से विदा लेते हैं। ज्ञान कहता है, "मैं विद्यालयों, मंदिरों और मस्जिदों में मिलूंगा।" धन कहता है, "मैं अमीरों के पास रहूंगा।" लेकिन विश्वास चुप रहता है। जब उससे पूछा गया, तो उसका उत्तर था: "मैं एक बार चला गया, तो फिर कभी नहीं लौटूंगा।"
2. विश्वासघात — आत्मिक पतन का कारण
आज का समय स्वार्थ से भरा है, जहां लोग भौतिक लाभ के लिए रिश्तों में विश्वास तोड़ देते हैं। महाराज जी कहते हैं, "विश्वासघात विष के समान है।" ऐसा व्यक्ति सामाजिक और आत्मिक दृष्टि से गिर जाता है।
3. प्रेम और विश्वास — आत्मा के दो किनारे
उनका मत है कि प्रेम की पहली सीढ़ी विश्वास है। जहां विश्वास होता है, वहीं सच्चा प्रेम फलता-फूलता है। प्रेम, संयम और तपस्या का परिणाम है — यह आनंद की स्वाभाविक अभिव्यक्ति है।
स्वार्थ और शरीर केंद्रित सोच प्रेम और विश्वास दोनों को नष्ट कर देती है। एक बार टूटा विश्वास फिर कभी पूरी तरह नहीं जुड़ता।
4. विश्वास की शक्ति — हर बाधा पर विजय
डॉ. गुप्ति सागर महाराज बताते हैं कि विश्वास मैत्री और उन्नति का मूल तत्व है। यह वह शक्ति है जो व्यक्ति को सबसे कठिन परिस्थितियों से उबार सकती है।
श्रीराम और सुग्रीव की मित्रता इसका श्रेष्ठ उदाहरण है — जहां विश्वास के बल पर दोनों ने मिलकर रावण का अंत किया और धर्म की स्थापना की।
5. संकल्प, सदाचार और आत्मविश्वास — सफलता की कुंजी
वे जीवन में सकारात्मक बदलाव के लिए तीन सूत्र सुझाते हैं:
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दोष खोजने से समाधान नहीं आता।
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चाटुकारों से सावधान रहें।
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अंधविश्वास से दूरी बनाकर आत्मविश्वास के साथ अच्छे कार्य करें।
विश्वास केवल एक भावना नहीं, बल्कि एक अडिग शक्ति है — जो सागर पार करा सकती है और पर्वत को भी हिला सकती है। यह कोई कोमल पुष्प नहीं है जो हवा से झुक जाए, बल्कि यह हिमालय के समान अडोल है।