जीवन को व्यवस्थित एवं उद्देश्य परक बनाना चाहिए
मुख्य वक्ता योगाचार्य श्री के. के. शुक्ला ने अपने संबोधन में कहा कि स्वास्थ्य के कई अंग हैं। जिसमें शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य, सामाजिक स्वास्थ्य, आध्यात्मिक स्वास्थ्य, प्रमुख हैं। शारीरिक स्वास्थ्य के विकास के लिए संतुलित आहार होना चाहिए। गतिमय पश्चिमोत्तानासन, पार्श्वकोणासन, भुजंगासन तथा जोड़ों को गति प्रदान करने वाली क्रियाओं को करना चाहिए।
आज समूची मानव जाति मानसिक समस्या से गुजर रही है। इस समस्या से भारत में ढेर सारी जनसंख्या प्रभावित हैं। मानसिक स्वास्थ्य से निजात पाने के लिए जीवन को व्यवस्थित एवं उद्देश्य परक बनाना चाहिए ।
आदर्श जीवन शैली के साथ ही साथ विचार और व्यवहार में परिवर्तन लाकर प्रतिदिन योग के ध्यानात्मक आसन करना चाहिए। जिसमें ध्यान मुद्रा, ज्ञान मुद्रा, भैरवी मुद्रा, तथा प्रत्याहार, धारणा, ध्यान प्रमुख हैं। जीवन की आंतरिक सुंदरता के लिए सत्य अहिंसा का अभ्यास करना चाहिए। जिससे आध्यात्मिक स्वास्थ्य की उन्नति होती है।
इस अवसर पर अधिष्ठाता प्रोफेसर अशोक कुमार सोनकर, कोऑर्डिनेटर डॉ अमरजीत यादव एवं डॉ रामकिशोर डॉ रामनरेश तथा छात्र-छात्राएं एवं आमजन उपस्थित थे।