लोकमाता देवी अहिल्याबाई होलकर: सुशासन और महिला सशक्तिकरण की प्रतीक

(डॉ. मोहन यादव — विनायक फीचर्स)
लोकमाता देवी अहिल्याबाई होलकर भारतीय इतिहास की ऐसी प्रेरणादायी महिला हैं, जिन्होंने न सिर्फ एक आदर्श शासन व्यवस्था प्रस्तुत की, बल्कि महिला सशक्तिकरण और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का भी मार्ग प्रशस्त किया। उन्होंने एक ऐसे समरस, आत्मनिर्भर और सुरक्षित समाज की नींव रखी, जो सुशासन की मिसाल बन गया।
सांस्कृतिक पुनर्जागरण की अग्रदूत
देवी अहिल्याबाई ने अपने शासनकाल में भारत की सांस्कृतिक विरासत को पुनर्जीवित करने का अद्वितीय कार्य किया। उन्होंने देशभर में लगभग 130 मंदिरों का पुनर्निर्माण और जीर्णोद्धार कराया, नदी घाट, धर्मशालाएं बनवायीं, अन्न सत्र शुरू किए और पूजा-पाठ की स्थायी व्यवस्था करवाई। उन्होंने भारत को सांस्कृतिक रूप से एक सूत्र में पिरोया और अपने शासन को राष्ट्र के सांस्कृतिक उत्कर्ष का स्वर्ण काल बना दिया।
महिला सशक्तिकरण की दिशा में ऐतिहासिक कार्य
अहिल्याबाई होलकर ने महिलाओं की सामाजिक और आर्थिक स्वतंत्रता को प्राथमिकता दी। उन्होंने महिलाओं की एक सैन्य टुकड़ी बनाकर सुरक्षा को मजबूती दी और संपत्ति अधिकार, विधवा पुनर्विवाह, दत्तक पुत्र ग्रहण जैसे क्रांतिकारी निर्णय लिए। दहेज प्रथा पर रोक लगाने के लिए नियम बनाए। साथ ही, महेश्वरी साड़ी उद्योग की स्थापना कर शहीद सैनिकों की विधवाओं को आर्थिक स्वावलंबन का साधन दिया।
विकास और समृद्धि का आदर्श राज्य
होलकर शासनकाल सूचना तंत्र, न्याय व्यवस्था, पंचायती राज, सशक्त सेना, नगरीय और ग्रामीण नियोजन के लिए जाना गया। उन्होंने महेश्वर को कला, शिल्प, साहित्य, शिक्षा और व्यापार का केंद्र बनाकर राज्य को सांस्कृतिक और आर्थिक दृष्टि से समृद्ध किया।
त्रिशताब्दी वर्ष: देवी अहिल्याबाई को समर्पित
मध्यप्रदेश सरकार द्वारा देवी अहिल्याबाई होलकर के 300वें जन्म वर्ष को भव्य रूप से मनाया जा रहा है। इस उपलक्ष्य में शस्त्र पूजन, कार्यशालाएं, संगोष्ठियां, नाट्य मंचन जैसे विविध सांस्कृतिक और बौद्धिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। अहिल्याबाई के विचारों को समाज तक पहुंचाने के लिए व्यापक प्रयास किए गए।
विरासत से विकास की ओर
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए “विकास के साथ विरासत” के मंत्र को आत्मसात करते हुए, मध्यप्रदेश सरकार ने अपने विकास कार्यक्रमों में ऐतिहासिक आदर्शों को समाहित किया है। डेस्टिनेशन कैबिनेट की पहल के तहत, दो ऐतिहासिक कैबिनेट बैठकें—एक महेश्वर किला (24 जनवरी 2025) और दूसरी इंदौर राजवाड़ा (20 मई 2025)—का आयोजन किया गया। इन बैठकों में धार्मिक स्थलों पर शराबबंदी और देवी अहिल्याबाई प्रशिक्षण कार्यक्रम जैसे महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए।
महिला सशक्तिकरण के लिए समर्पित पहल
देवी अहिल्याबाई के दिखाए मार्ग पर चलते हुए, "देवी अहिल्याबाई नारी सशक्तिकरण मिशन" की शुरुआत की गई है, जो प्रधानमंत्री जी के GYAN (गरीब, युवा, किसान, नारी) सिद्धांत के ‘नारी’ स्तंभ को समर्पित है। मिशन के अंतर्गत:
-
महिला शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण और सुरक्षा सुनिश्चित करना
-
बाल विवाह, महिला अपराध, मातृ मृत्यु दर में कमी लाना
-
महिला श्रमबल और स्वरोज़गार को बढ़ावा देना
योजनाएं जो बना रही हैं आत्मनिर्भर महिला समाज
-
लाड़ली बहना योजना
-
बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ
-
लाड़ली लक्ष्मी योजना
-
वन स्टॉप सेंटर, महिला हेल्पलाइन, वूमेन इंडस्ट्री पार्क
-
एमएसएमई नीति 2025 में महिला उद्यमियों को 50% पूंजी अनुदान
-
सेफ टूरिज्म डेस्टिनेशन फॉर वूमेन के तहत 10,000 महिलाओं को प्रशिक्षण
-
शासकीय सेवाओं में महिलाओं के लिए 35% आरक्षण
-
लाडो अभियान, शौर्या दल, सैनिटेशन योजना, 18 लाख महिलाओं को सामाजिक सुरक्षा पेंशन