आकाश छूती लखनऊ की लेखिकाएं

Lucknow's sky-high writers
 
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लेखिका : डॉ. अर्चना प्रकाश

समीक्षा

डॉ. अर्चना प्रकाश की यह कृति अपने शीर्षक को पूरी तरह सार्थक करती है। उन्होंने लखनऊ की नामचीन लेखिकाओं के साथ-साथ उन गुमनाम एवं नवोदित लेखिकाओं को भी स्थान दिया है, जिनके योगदान पर अक्सर प्रकाश नहीं पड़ पाता। पुस्तक में सरल एवं संक्षिप्त भाषा में लेखिकाओं के व्यक्तित्व और कृतित्व का अत्यंत प्रभावी वर्णन मिलता है।

पूर्व प्राचार्या एवं उच्च शिक्षा से दीक्षित डॉ. अर्चना प्रकाश की यह 30वीं कृति है, जो अपने आप में एक अनूठा और श्रमसाध्य प्रयास है। यह पुस्तक न केवल वर्तमान साहित्य जगत के लिए उपयोगी है, बल्कि भविष्य के लिए भी संग्रहणीय दस्तावेज साबित होगी। पूर्वज महिलाओं को समर्पित यह कृति नारी शक्ति के प्रति लेखिका के संस्कारों और सरोकारों को भी प्रकट करती है।

पुस्तक में अनेक महत्वपूर्ण साहित्यिक हस्तियों पर प्रभावशाली लेखन किया गया है

  • श्रीमती स्वरूप कुमारी बक्शी के स्वतंत्रता संग्राम, शिक्षा एवं राजनीति में अविस्मरणीय योगदान को अत्यंत कम शब्दों में सटीक रूप में समेटा गया है।

  • शिवानी जी के साहित्यिक कृतित्व के साथ उनके जीवन के विरोधाभासों पर भी लेखिका ने संवेदनशीलता से प्रकाश डाला है।

  • सूफी काव्य परंपरा पर शोध तथा साहित्य में उल्लेखनीय योगदान के लिए प्रसिद्ध डॉ. सरला शुक्ला पर भी समृद्ध सामग्री प्रस्तुत की गई है।

  • डॉ. उषा सक्सेना, श्रीमती सरोजिनी श्रीवास्तव, श्रीमती हेमलता शर्मा, तथा

  • डॉ. उषा चौधरी, श्रीमती प्रमिला भारती, आशा श्रीवास्तव व डॉ. मीरा दीक्षित — इन सभी पर लेखिका ने तथ्यात्मक और संतुलित लेखन किया है।

इसी क्रम में लोक साहित्य एवं अनेक विधाओं में देश-विदेश में प्रसिद्ध डॉ. विद्या विंदु सिंह के रचना-संसार और उनके सहज, प्रेमपूर्ण व्यक्तित्व का प्रभावी वर्णन किया गया है पुस्तक में आगे नीरजा द्विवेदी, डॉ. मंजू शुक्ला, डॉ. निर्मल सिंह ‘निर्मल’, मनोरमा लाल श्रीवास्तव, रत्ना कौल, निरुपमा मेहरोत्रा, डॉ. रमा जैन अग्रवाल, स्नेहलता सहितअलका प्रमोद, अनीता सिन्हा, नीलम राकेश और डॉ. अमिता दुबे (जिनकी पुस्तकें शीघ्र ही शतक पूरा करने वाली हैं) को भी विशेष रूप से स्थान दिया गया है।

अंत में कृति अलका अस्थाना, शीला पाण्डेय और निवेदिता श्रीवास्तव पर आकर पूर्ण होती है। डॉ. अर्चना प्रकाश ने अपने परिचित लेखिकाओं को ही केंद्र में रखा है, किंतु विषय-वस्तु का महत्व और प्रस्तुत सामग्री का रूप अत्यंत मूल्यवान है। यह पुस्तक सचमुच ‘गागर में सागर’ भरने का एक सराहनीय और सफल प्रयास है।

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