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मां पाटेश्वरी विश्वविद्यालय कुलपति प्रोफेसर रवि शंकर सिंह रहे मुख्य अतिथि

कार्यक्रम का शुभारंभ ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की प्रतिमा तथा मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन से हुआ। विद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ. डीपी सिंह एवं कुलपति ने दीप प्रज्वलन कर संगोष्ठी सत्र का औपचारिक उद्घाटन किया। कार्यक्रम में प्रधानाचार्य प्रोफेसर डीपी सिंह ने अतिथियों को अंगवस्त्र एवं रामचरितमानस भेंटकर कर उनका स्वागत व सम्मान किया।
विद्यालय में आयोजित संगोष्ठी पर प्रकाश डालते हुए प्रधानाचार्य ने बताया कि महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारतीय सनातन संस्कृति की जीवंत विरासत है। जो सामाजिक एवं सांस्कृतिक समरसता का प्रतीक है।मुख्य वक्ता कुलपति प्रोफेसर रवि शंकर सिंह ने महाकुंभ की ऐतिहासिक परंपरा, वैदिक प्रमाण तथा समुद्र मंथन से लेकर आधुनिक काल तक की घटनाओं को जोड़ते हुए सनातन धर्म की गहराइयों को विद्यार्थियों के समक्ष प्रस्तुत किया।
उन्होंने बताया कि महाकुंभ के आयोजन में लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं की उपस्थिति के बावजूद अनुशासन, समरसता एवं सौहार्द की भावना प्रेरणादायक रही। उन्होंने यह भी कहा कि आज के संदर्भ में महाकुंभ भारतीय संस्कृति की धरोहर बन चुका है। जिसने धार्मिक चेतना और राष्ट्रीय एकता को नई दिशा दी है। कुलपति ने संगोष्ठी के माध्यम से विद्यार्थियों को भारतीय दर्शन एवं परंपराओं के मूलभूत मूल्यों से परिचित कराया गया। कार्यक्रम के अंत में विद्यालय के उप प्रधानाचार्य उमानाथ पाण्डेय ने सभी अतिथियों, शिक्षकों एवं विद्यार्थियों का धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कार्यक्रम के सफल आयोजन हेतु सभी को शुभकामनाएं दीं। इस अवसर पर विद्यालय के समस्त शिक्षकगण, छात्र-छात्राएं एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।