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महारानी लाल कुँवरि स्नातकोत्तर महाविद्यालय बलरामपुर को "महाकुंभ 2025 का अवदान " विषय पर एकदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के उदघाटन समारोह का शुभारंभ हुआ

The inaugural ceremony of the one-day national seminar on the topic "Contribution of Mahakumbh 2025" was started at Maharani Lal Kunwari Postgraduate College, Balrampur.
 
The inaugural ceremony of the one-day national seminar on the topic "Contribution of Mahakumbh 2025" was started at Maharani Lal Kunwari Postgraduate College, Balrampur.
बलरामपुर  : मां पाटेश्वरी विश्वविद्यालय बलरामपुर एवं महारानी लाल कुँवरि स्नातकोत्तर महाविद्यालय बलरामपुर के संयुक्त तत्वावधान में मंगलवार को "महाकुंभ 2025 का अवदान " विषय पर एकदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के उदघाटन समारोह का शुभारंभ हुआ।  संगोष्ठी में वक्ताओं ने महाकुंभ के उद्देश्य व महत्ता पर प्रकाश डाला।

The inaugural ceremony of the one-day national seminar on the topic
       समारोह का शुभारंभ मुख्य अतिथि व मुख्य वक्ता  संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी के कुलपति प्रो0 बिहारी लाल शर्मा, कार्यक्रम अध्यक्ष मां पाटेश्वरी विश्वविद्यालय बलरामपुर के कुलपति प्रो0 रवि शंकर सिंह, राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजन समिति के अध्यक्ष व प्राचार्य प्रो0 जे पी पाण्डेय,संगोष्ठी के समन्वयक प्रो0 प्रकाश चन्द्र गिरी सहित आयोजन समिति के पदाधिकारियों ने दीप प्रज्वलित एवं मां सरस्वती के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करके किया। उपस्थित शोधार्थियों को संबोधित करते हुए कार्यक्रम अध्यक्ष प्रो0 रवि शंकर सिंह ने कहा कि महाकुंभ जहां  सांस्कृतिक चेतना का केंद्रबिंदु है वहीं सामाजिक सदभाव  का परिचायक भी है।

The inaugural ceremony of the one-day national seminar on the topic

महाकुंभ से सामुदायिक संवेदना में वृद्धि हुई है। यह वैश्विक फलक का प्रतीक है। महाकुंभ ने भारतवर्ष के लोगों को गत्यात्मक बना दिया है। धार्मिकता एवं ग्रह-दशा के साथ-साथ कुम्भ पर्व को पुनः तत्वमीमांसा की कसौटी पर भी कसा जा सकता है, जिससे कुम्भ की उपयोगिता सिद्ध होती है। कुम्भ पर्व का विश्लेषण करने पर ज्ञात होता है कि यह पर्व प्रकृति एवं जीव तत्व में सामंजस्य स्थापित कर उनमें जीवनदायी शक्तियों को समाविष्ट करता है। मुख्य अतिथि व मुख्य वक्ता कुलपति प्रो0 बिहारी लाल शर्मा ने महाकुंभ की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि महाकुंभ वसुधैव कुटुम्बकम का साकार रूप है।

The inaugural ceremony of the one-day national seminar on the topic

कुम्भ धर्म के जागरण का कार्य करता है। इसका लाभ सर्व सामान्य व्यक्ति को मिलता है। भव्यता व दिव्यता से युक्त महाकुंभ राष्ट्र के सांस्कृतिक जागरण  का प्रतीक है।  भारत के  प्रयागराज  धरती पर इन 45 दिनों में एक विस्मयकारी घटना है जिसमें बिना तनाव ,बिना भय व द्वेष के 66 करोड़ सनातनी एक साथ स्नान किये। यह सामाजिक वैमनस्य का आधार है। इसका उद्देश्य दिव्य संदेश-दिव्य विचार निरंतर आगे बढ़ाना है। भारत सनातनियों की धरती है। सभी को समन्वित ,धैर्य व धार्मिक जागरण ही सनातन परंपरा है। प्रो शर्मा ने सनातन संस्कृति के 10 गुणों की विस्तृत महत्व पर प्रकाश डाला।

The inaugural ceremony of the one-day national seminar on the topic

महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो0 जे पी पाण्डेय ने सभी का स्वागत करते हुए कहा कि आस्था, विश्वास, सौहार्द एवं संस्कृतियों के मिलन का पर्व है “कुम्भ”। ज्ञान, चेतना और उसका परस्पर मंथन कुम्भ मेले का वो आयाम है जो आदि काल से ही हिन्दू धर्मावलम्बियों की जागृत चेतना को बिना किसी आमन्त्रण के खींच कर ले आता है। कुम्भ पर्व किसी इतिहास निर्माण के दृष्टिकोण से नहीं शुरू हुआ था अपितु इसका इतिहास समय द्वारा स्वयं ही बना दिया गया। वैसे भी धार्मिक परम्पराएं हमेशा आस्था एवं विश्वास के आधार पर टिकती हैं न कि इतिहास पर। यह कहा जा सकता है कि कुम्भ जैसा विशालतम् मेला संस्कृतियों को एक सूत्र में बांधे रखने के लिए ही आयोजित होता है।

The inaugural ceremony of the one-day national seminar on the topic

संगोष्ठी के समन्वयक व विभागाध्यक्ष हिंदी प्रो0 प्रकाश चन्द्र गिरी ने सभी अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त किया। उदघाटन समारोह का संचालन महाविद्यालय के एसोसिएट एन सी सी ऑफिसर व संगोष्ठी के  समन्वयक समिति लेफ्टिनेंट डॉ देवेन्द्र कुमार चौहान ने किया। इसके पूर्व संगोष्ठी के सह संयोजक डॉ दिनेश कुमार मौर्य, आयोजन सचिव डॉ प्रखर त्रिपाठी, डॉ ऋषि रंजन पाण्डेय संयुक्त आयोजन सचिव डॉ स्वदेश भट्ट,डॉ जितेन्द्र कुमार व डॉ बी एल गुप्त ने सभी अतिथियों का बैज अलंकरण व माल्यार्पण, स्मृति चिन्ह व हरित पौध भेंटकर स्वागत व सम्मान किया। समारोह की औपचारिक शुरुआत मां सरस्वती की वंदना, महाविद्यालय के कुलगीत व स्वागत गीत के साथ हुआ।


    इस अवसर पर  मुख्य नियंता प्रो0 राघवेंद्र सिंह,प्रो0 अरविंद द्विवेदी, प्रो0 पी के सिंह,प्रो0 एस एन सिंह,प्रो0 एम अंसारी,प्रो0 वीणा सिंह,प्रो0 तबस्सुम फरखी,प्रो0 विमल प्रकाश वर्मा, प्रो0 अशोक कुमार, डॉ अरुण कुमार सिंह, डॉ तारिक कबीर ,डॉ राजीव रंजन,,डॉ आलोक शुक्ल,डॉ सुनील मिश्र,डॉ आशीष लाल,डॉ एस के त्रिपाठी, डॉ के के सिंह,डॉ सुनील शुक्ल,डॉ रमेश शुक्ल सहित महाविद्यालय के सभी शिक्षक,प्रतिनिधि गण व शोधार्थी मौजूद रहे।

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