मेजर मोहित शर्मा: वह बहादुर योद्धा जिसकी वीरगाथा को देश कभी नहीं भुला सकता

Major Mohit Sharma: The brave warrior whose heroic saga the country can never forget
 
Major Mohit Sharma: The brave warrior whose heroic saga the country can never forget
13 जनवरी 1978 को जन्मे मेजर मोहित शर्मा भारतीय सेना के उन वीर सपूतों में से एक थे, जिनमें साहस, राष्ट्रभक्ति और बलिदान की भावना कूट-कूटकर भरी थी। 6 फीट 2 इंच लंबे और व्यक्तित्व में जितने तेजस्वी, मैदान-ए-जंग में उतने ही निर्भीक। 21 मार्च 2009 को जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में आतंकियों से मुकाबला करते हुए उन्होंने अपने प्राणों का बलिदान दिया। उस ऑपरेशन में वह अपनी टीम का नेतृत्व कर रहे थे।

हालांकि उनके शरीर पर कई गोलियां लगी थीं, लेकिन उन्होंने चार आतंकियों को मार गिराकर अपने दो साथियों की जान बचाई। उनका यह बलिदान भारत की सैन्य गाथा का एक स्वर्णिम अध्याय बन गया है, जिसे पीढ़ियाँ याद रखेंगी।

इफ्तिखार भट्ट: एक कोवर्ट ऑपरेशन की चौंकाने वाली सच्चाई

मेजर मोहित शर्मा की वीरता केवल जंग के मैदान तक सीमित नहीं थी। उन्होंने कोवर्ट ऑपरेशन में भी ऐसी मिसाल कायम की, जो किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं लगती। अपनी पहचान छुपाकर, वह "इफ्तिखार भट्ट" के नाम से आतंकियों के बीच शामिल हो गए थे। यह ऑपरेशन इतना गोपनीय था कि दुश्मनों को वर्षों तक भनक तक नहीं लगी कि उनके बीच रहने वाला साथी वास्तव में भारतीय सेना की 1-पैरा स्पेशल फोर्स का ऑफिसर था।

एक सुनियोजित भेषभूषा और गहरी रणनीति

साल 2001 में एक कश्मीरी युवक के मारे जाने के बाद, उसके भाई ने आतंक की राह पकड़ ली थी। इसी बैकस्टोरी को इस्तेमाल कर मोहित शर्मा ने 'इफ्तिखार' का किरदार गढ़ा। उन्होंने हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडरों तेरारा और सबजार का विश्वास जीतकर आतंकी ट्रेनिंग ली और उनके साथ मिलकर हमले की योजना में शामिल हो गए।

मार्च 2004: जब ‘इफ्तिखार’ ने दिखाई असली पहचान

मार्च 2004 में एक दिन, सबजार को अचानक शंका हुई कि इफ्तिखार आखिर कौन है? पूछताछ करते हुए जब उसने सवाल किया, तो इफ्तिखार ने राइफल ज़मीन पर फेंकते हुए जवाब दिया –
"भाईजान, अगर भरोसा नहीं तो गोली मार दीजिए, लेकिन सवाल मत कीजिए।"

इस अप्रत्याशित उत्तर से सबजार और तोरारा स्तब्ध रह गए। इससे पहले कि वे कुछ समझ पाते, इफ्तिखार ने अपनी पिस्टल निकाल कर दोनों को प्वाइंट ब्लैंक रेंज से मार गिराया। कुछ ही पलों बाद भारतीय सेना की स्पेशल फोर्स टीम वहाँ पहुँच गई, और यह रहस्य सामने आया कि इफ्तिखार असल में मेजर मोहित शर्मा थे।

वीरगाथा जो प्रेरणा बन गई

मेजर मोहित शर्मा की बहादुरी और सूझबूझ ने यह सिद्ध कर दिया कि भारत माता के सच्चे सपूत सिर्फ लड़ाई के मैदान में ही नहीं, हर मोर्चे पर अपना सर्वश्रेष्ठ देते हैं। उन्होंने जिस चुपचाप और सटीकता से मिशन को अंजाम दिया, वह भारतीय सैन्य इतिहास का गौरवपूर्ण अध्याय है।

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