पश्चिम बंगाल में ‘सॉफ्ट हिंदुत्व’ की राजनीति: 2026 से पहले ममता बनर्जी के बड़े दांव
पश्चिम बंगाल की राजनीति में इन दिनों बड़ा उबाल है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक के बाद एक बड़े ऐलान कर BJP को हिंदुत्व के मुद्दे पर सीधी चुनौती दे दी है। सोमवार को कोलकाता के न्यूटाउन में 'दुर्गा आंगन' का शिलान्यास किया, सिलीगुड़ी में महाकाल मंदिर की नींव जनवरी के दूसरे हफ्ते में रखने का वादा किया, और गंगासागर में पुल का शिलान्यास 5 जनवरी को। ये सिर्फ धार्मिक परियोजनाएं नहीं, बल्कि 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले BJP की 'पिच' पर बैटिंग करने का सोचा-समझा प्लान है। आज हम पूरी स्टोरी बताएंगे – क्यों ममता अब 'सॉफ्ट हिंदुत्व' की राह पर हैं?
पहले समझिए क्या हुआ। 29 दिसंबर 2025 को ममता बनर्जी ने न्यूटाउन में 'दुर्गा आंगन' का शिलान्यास किया। ये एक भव्य दुर्गा मंदिर कॉम्प्लेक्स है, जो 17.28 एकड़ जमीन पर बन रहा है। करीब 2 लाख स्क्वायर फीट एरिया में फैला ये प्रोजेक्ट एक साथ 1 लाख श्रद्धालुओं को जगह देगा। मुख्य गर्भगृह की ऊंचाई 54 मीटर होगी, जिसमें 108 देवी-देवताओं की मूर्तियां और 64 शेरों की प्रतिमाएं होंगी। ममता ने कहा – यहां 365 दिन मां दुर्गा की पूजा होगी, रोज प्रांगण होगा, सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे, दुकानें खुलेंगी और हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा। UNESCO ने दुर्गा पूजा को इंटैंजिबल कल्चरल हेरिटेज का दर्जा दिया है, इसलिए ये बंगाल की संस्कृति को संरक्षित करने का बड़ा कदम है।इसी मौके पर ममता ने दो और बड़े ऐलान किए। पहला – सिलीगुड़ी में महाकाल मंदिर (भगवान शिव का मंदिर) की नींव जनवरी के दूसरे हफ्ते में रखी जाएगी। ये ऐलान असल में अक्टूबर 2025 में हुआ था, जब ममता दार्जिलिंग की बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा कर रही थीं। वहां महाकाल मंदिर दर्शन के बाद उन्होंने कहा था कि सिलीगुड़ी में एक भव्य महाकाल मंदिर बनवाएंगी, जिसमें क्षेत्र की सबसे बड़ी शिव प्रतिमा होगी।
नवंबर में कैबिनेट ने इसे मंजूरी दी और जमीन ट्रांसफर की। सिलीगुड़ी उत्तर बंगाल का प्रवेश द्वार है, जहां BJP की पकड़ मजबूत है – आदिवासी, गोरखा और हिंदू वोट बैंक की वजह से। ममता यहां सेंध लगाना चाहती हैं।दूसरा ऐलान – गंगासागर में पुल का शिलान्यास 5 जनवरी 2026 को होगा। ये 1700 करोड़ का प्रोजेक्ट है, जो सागर आइलैंड को मुख्य भूमि से जोड़ेगा। ममता ने कहा – केंद्र से 12 साल कोशिश की, लेकिन कोई मदद नहीं मिली, इसलिए खुद बनवाएंगी। दो साल में पुल तैयार हो जाएगा। गंगासागर मेला हर साल करोड़ों श्रद्धालु आते हैं, पुल से पहुंच आसान होगी और टूरिज्म बूस्ट होगा।ये सब पहले से चल रही कड़ी का हिस्सा है। दीघा में जगन्नाथ मंदिर पहले ही बन चुका है – 250 करोड़ की लागत, 20 एकड़ में पुरी जैसा भव्य मंदिर। अप्रैल 2025 में उद्घाटन हुआ, जो बंगाल का बड़ा टूरिस्ट स्पॉट बन गया। वहां 1 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु आ चुके हैं। ममता की सरकार ने दक्षिणेश्वर स्काईवॉक, इस्कॉन को 700 एकड़ जमीन जैसी कई धार्मिक परियोजनाएं की हैं।
अब सवाल – क्यों? पहले ममता 'जय श्री राम' नारे से इरिटेट होती थीं, अल्पसंख्यक तुष्टीकरण के आरोप लगते थे। लेकिन 2021 चुनाव के बाद BJP ने 77 सीटें जीतीं, खासकर उत्तर बंगाल में। 2024 लोकसभा में भी BJP मजबूत रही। 2026 चुनाव नजदीक हैं, तो ममता 'सॉफ्ट हिंदुत्व' अपनाकर BJP के हिंदू वोट बैंक में सेंध लगा रही हैं। शिलान्यास कार्यक्रम में ममता ने विपक्ष पर पलटवार किया – "कुछ लोग कहते हैं मैं तुष्टीकरण करती हूं, लेकिन मैं सभी धर्मों का सम्मान करती हूं। मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, गिरजा – सब जाती हूं। रोजे पर जाने पर ही सवाल क्यों? मैं सच्ची सेक्युलर हूं। बंगाल और भारत से प्यार करती हूं।"BJP ने इसे चुनावी स्टंट बताया। दिलीप घोष जैसे नेता कह रहे हैं – ये हिंदुओं को खुश करने की कोशिश है, लेकिन असल में वोट बैंक पॉलिटिक्स। कुछ analyst कहते हैं ममता BJP की ध्रुवीकरण की राजनीति को बैलेंस कर रही हैं – हिंदू वोटरों को भरोसा दे रही हैं कि TMC हिंदू विरोधी नहीं। टूरिज्म और रोजगार का एंगल भी है – 2025 में बंगाल विदेशी टूरिस्ट में दूसरे नंबर पर था, 2026 में पहला बनने का लक्ष्य। दुर्गा पूजा से 70-80 हजार करोड़ का कारोबार होता है।दोस्तों, बंगाल की राजनीति अब आर-पार की लड़ाई बन गई है। ममता BJP को हिंदुत्व पर वॉकओवर नहीं देना चाहतीं। क्या ये रणनीति काम करेगी? कमेंट में बताएं!
