मेदांता ने महिलाओं में बढ़ते स्तन कैंसर के सटीक इलाज के लिए आयोजित की कार्यशाला

कम उम्र में बढ़ता स्तन कैंसर बदलते वक्त की चुनौती  ब्रेस्ट कैंसर में मरीज की सर्जरी के बाद उसे मानसिक और समाजिक रूप से भी तैयार करना आवश्यक
 
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लखनऊ डेस्क (प्रत्यूष पाण्डेय)महिलाओं में स्तन कैंसर के बढ़ते मामलों को देखते हुए मेदांता हॉस्पिटल, लखनऊ ने ब्रेस्ट कैंसर पर एक कार्यशाला का आयोजन किया। इसका उद्देश्य स्तन कैंसर के उपचार से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर चिकित्सा विशेषज्ञों को ट्रेनिंग देना था ताकि डॉक्टर्स महिलाओं में बढ़ते स्तन कैंसर के मामलों को अधिक सटीकता से 

इस अवसर पर डॉ. अमित अग्रवाल ने कहा कि ब्रेस्ट कैंसर एक महामारी जैसा रूप लेता जा रहा है। ऐसे में ज़रूरी है कि इससे जुड़े सर्जन, ऑन्कोलॉजिस्ट, रेडियोथेरेपिस्ट आदि सभी विशेषज्ञों को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार तैयार किया जाए।

यह कार्यशाला इसी दिशा में एक प्रयास है, जिसमें एक केस को केंद्र में रखकर प्रशिक्षण दिया गया ताकि विभिन्न कॉलेजों के पोस्ट ग्रेजुएट और युवा फैकल्टी इस बीमारी के समग्र इलाज को समझ सकें। खास बात यह है कि ब्रेस्ट कैंसर में इलाज सिर्फ सर्जरी तक ही सीमित नहीं होता। डॉक्टर अपने पेशंट की कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी के बाद मानसिक स्वास्थ्य, सामाजिक परिस्थितियाँ और बोन हेल्थ से जुड़ी परेशानियों को समझे, यह भी जरूरी है। डॉ.रोमा ने बताया यह हमारी मास्टरक्लास सीरीज़ की पहली कड़ी है, जिसमें हमने खास तौर पर युवा मरीज़ों पर ध्यान केंद्रित किया है क्योंकि अब 40 साल की उम्र के आसपास की महिलाएं भी ब्रेस्ट कैंसर से प्रभावित हो रही हैं।

कार्यशाला के दौरान देश के कई प्रमुख चिकित्सा संस्थानों के विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया। इसमें केजीएमयू में एंडोक्राइन सर्जरी विभाग की प्रोफेसर, डॉ. पूजा रमाकांत ने युवाओं में स्क्रीनिंग, डायग्नोसिस और इमेजिंग से जुड़े आधुनिक तरीकों पर प्रकाश डाला। मेदांता, गुरुग्राम में ब्रेस्ट सर्विसेस के निदेशक डॉ. राजीव अग्रवाल ने युवा अवस्था में होने वाले स्तन कैंसर में लोकोरीजनल ट्रीटमेंट और एचआर+ एचईआर2- ब्रेस्ट कैंसर में ऑन्कोटाइप डीएक्स के माध्यम से व्यक्तिगत उपचार योजना को आगे बढ़ाने के बारे में चर्चा की।
मेदांता हॉस्पिटल, लखनऊ के मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. अभिषेक सिंह ने युवाओं में होने वाले स्तन कैंसर में नियो-एडजुवेंट ट्रीटमेंट की रणनीतियाँ साझा कीं। एम्स, नई दिल्ली के अतिरिक्त प्रोफेसर डॉ. अशुतोष मिश्रा ने जेनेटिक टेस्टिंग और रिस्क रिड्यूसिंग सर्जरी की भूमिका बताई। लखनऊ की आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. राधिका बाजपेई ने फर्टिलिटी प्रिज़र्वेशन पर चर्चा करते हुए बताया कि कैंसर ट्रीटमेंट के दौरान प्रजनन क्षमता की रक्षा कैसे की जा सकती है। वहीं, किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू), लखनऊ के एंडोक्राइन सर्जरी विभाग के प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष डॉ. आनंद मिश्रा ने ज़्यादा जोखिम वाले कैंसर में आवश्यकता से अधिक उपचार, दीर्घकालिक जटिलताओं और सर्वाइवरशिप से जुड़े मुद्दों को प्रभावशाली रूप से प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम के अंतिम सत्र में एक केस आधारित पैनल चर्चा आयोजित की गई, जिसका संचालन डॉ. अमित अग्रवाल और डॉ. रोमा प्रधान ने किया। इस चर्चा में डॉ. राजीव अग्रवाल, डॉ. आनंद मिश्रा, डॉ. अशुतोष मिश्रा, डॉ. पूजा रमाकांत, डॉ. अंजलि मिश्रा, डॉ. अमित पांडे, डॉ. सुहैल, डॉ. अभिषेक कृष्णा और डॉ. कुशाग्र गौरव जैसे विशेषज्ञ शामिल हुए।

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